जामिया एवं अलीगढ़ यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों पर पुलिस हिंसा के ख़िलाफ़ भोपाल में हुआ ज़बर्दस्त विरोध प्रदर्शन | New India Times

अबरार अहमद खान/मुकीज खान, भोपाल (मप्र), NIT:

जामिया एवं अलीगढ़ यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों पर पुलिस हिंसा के ख़िलाफ़ भोपाल में हुआ ज़बर्दस्त विरोध प्रदर्शन | New India Times

जुल्मी जब ज़ुल्म करेगा सत्ता कि गलयारों से। चप्पा चप्पा गूंज उठेगा इंकलाब के नारों से।।

मध्य प्रदेश कि राजधानी भोपाल के तमाम नागरिकों, विद्यार्थियों, लेखकों, कवियों, कलाकारों व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया दिल्ली एवं अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों पर पुलिस की बर्बर कार्यवाही के विरोध में प्रदर्शन कर इन विद्यार्थियों के लोकतांत्रिक आंदोलन का पुरज़ोर समर्थन किया।

लोगों का कहना है कि मोदी सरकार द्वारा प्रस्तुत नागरिकता संशोधन कानून 2019 और देशव्यापी NRC थोपने की कोशिश संविधान, लोकतंत्र और इंसानियत के मूल्यों के ख़िलाफ़ है और इसका विरोध करना देश के लोगों का न सिर्फ अधिकार है बल्कि नागरिकता व इंसानियत का फर्ज़ भी है। विरोध की इन आवाज़ों का दमन कर के भाजपा सरकार यह साफ सन्देश दे रही है कि उसे न तो संविधान की परवाह है, न लोगों के अधिकारों की, न इंसानियत के मूल्यों की और न ही इस देश की सांस्कृतिक विरासत की।

जामिया एवं अलीगढ़ यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों पर पुलिस हिंसा के ख़िलाफ़ भोपाल में हुआ ज़बर्दस्त विरोध प्रदर्शन | New India Times

नागरिकता संशोधन कानून 2019 और NRC का विरोध करने वाले विद्यार्थियों की बहादुरी को सलाम करते हुए भोपाल के लोगों ने कहा कि यह विद्यार्थी देश व संविधान और हमारी आज़ादी की लड़ाई के विरासत को बचाने का संघर्ष कर रहे हैं जिसका समर्थन करना हर इंसान का फर्ज़ है।
लोगों ने मांग की कि विद्यार्थियों पर हुए पुलिसिया हमले की न्यायिक जाँच कर दोषी अधिकारियों व राजनीतिक नेतृत्व के खिलाफ कार्यवाही की जाए और संविधान विरोधी नागरिकता संशोधन कानून 2019 को रद्द किया जाए।
गौरतलब है कि इस कानून में पाकिस्तान, बांग्लादेश व अफ़गानिस्तान से आए गैर-मुस्लिम (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई) शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान है। यह भारत के संविधान के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों व प्रावधानों के ख़िलाफ़ जाकर धार्मिक आधार पर लोगों में भेदभाव करता है। यह कानून अंतर्राष्ट्रीय मानवतावादी कानूनों का भी उल्लंघन करता है जिनके अनुसार प्रताड़ना के शिकार लोगों को बिना किसी भेदभाव के शरण देना हर राज्य की ज़िम्मेदारी है। यह कानून भारत के सांस्कृतिक मूल्यों के भी ख़िलाफ़ है क्योंकि हमारे देश में प्राचीन काल से ही दुनिया भर से तमाम धर्मों व मतों के लोग आकर बसते रहे हैं और देश का हिस्सा बन गए हैं। यह कानून असल में भाजपा/आरएसएस की मुस्लिम विरोधी कट्टरता को कानूनी रूप से स्थापित करने वाला कदम है।


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