नरेंद्र इंगले, ब्यूरो चीफ, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
11 जुलाइ को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। दुनिया-भर में बढती आबादी को अलग-अलग नजरीयो से देखा जाता है जिसमें बुनीयादी और तकनिकि पहलुओं को खास तौर पर नोटिस किया जाता है। अब भारत में कुछ सालों से इसी बढ़ती आबादी को धर्म के चश्मे से देखने की कट्टर पंथी सोच ज्यादा ही पनपने लगी है। जो लोग खुद पर संन्यस्तता का पाखंड ओढ़े हैं वह उन्नीस बीस मीडिया के स्टूडियो में बैठकर जनसंख्या कानून की वकालत करते तर्कों के साथ ज्यादती करते नजर आ रहे हैं। बढ़ती जनसंख्या किसी भी देश के लिए कभी भी तब तक शाश्वत उपलब्धि नहीं हो सकती जब तक उस जनसंख्या को सर्वसमावेशक रुप से आत्मनिर्भर नहीं बनाया जाता है। दुनिया में चीन, भारत, संयुक्त राज्य अमरीका, इंडोनेशीया, ब्राजिल यह सबसे अधिक आबादी वाले देश हैं। भारत की आबादी 2024 तक चीन से आगे निकल जाएगी। इसी जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए भारत के सभी राज्यों में सरकारी संस्थानों के आधे अधूरे प्रबंधन के सहारे परिवार नियोजन के मिशन को आगे बढाया जा रहा है। इसी में से एक खास तकनिक है लाक्रोस्कोपिक आपरेशन्स जिसके कारण परीवार नियोजन मिशन को सफ़ल बनाने कि कोशिश की जा रही है। पुरुष प्रधान संस्कृति में परीवार नियोजन की जिम्मेदारी को शुरू से महिलाएं ही ढोती आ रही हैं। वहीं नसबंदी की शायद ही इक्का-दुक्का केसेस कही पढ़ने सुनने में आते होंगे जिसे लेकर अफसोस, चिंता या आलोचना का बीडा उठाने की जहमत कुछेक स्वअनूकरणीय विचारकों के अलावा किसी में नहीं होगी।
यावल स्वास्थ केंद्र के अंतर्गत 19 महिलाओं का लाक्रोस्कोपी के तहत परीवार नियोजन का सफ़ल आपरेशन किया गया। इस आपरेशन को न्हावी अस्पताल में करवाया गया जो जिला स्वास्थ अस्पताल के अधीनस्थ है। जिला परीषद की ओर से मरीजों को मदद मुहैय्या करायी गयी। किनगांव केंद्र की प्रमुख डाॅ मनीषा महाजन और सभी कर्मियों ने इस मुहिम के लिए लोगों के बीच पहुंचकर जी जान से प्रचार प्रसार, जनजागरण अभियान चलाया और इस मुहिम को सफ़ल बनाया। सोचने वाली बात है कि इन महिलाओं की तरह अगर पुरुष स्वयंस्फुर्ती से नसबंदी के लिए पहल करते तो कितना अच्छा होता। अफसोस भारत में धर्म के नाम पर जनसंख्या को लेकर बाँझ लोगों द्वारा गंदी राजनीति जरुर हो सकती है लेकिन वास्तविकता की तर्ज पर पुरुष प्रधान संस्कृति को झकझोरने वाला इस तरह का राष्ट्रवाद नहीं हो सकता है। किनगांव केंद्र प्रमुख डाॅ मनीषा ने अपने सेवाकाल के दौरान स्वास्थ केंद्रों में इस तरह के विभिन्न अभियान चलाए हैं, वह स्वास्थ सेवा में एक ऐसे वीजन को आगे लेकर बढ़ने की कामना रखती हैं जिसमें समाज का बराबरी में योगदान हो।
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