फराज़ अंसारी, ब्यूरो चीफ, बहराइच (यूपी), NIT:
उत्तर प्रदेश के बहराइच जिला अस्पताल/मेडिकल काॅलेज व महिला अस्पताल की बिल्डिंग में नकली दवाओं व दलाली कर मरीजों की जेब हल्की करने का काला धंधा अपने चरम सीमा पर है। न स्वास्थ्य कर्मियों को कार्यवाही का डर है न ही दलालों को पकड़े जाने का जरा सा भी खौफ, यहां दवा व इलाज के नाम पर जमकर शोषण किया जा रहा है फिर भी तीमारदार अपने मरीज को ठीक होने की आस में सबकुछ सहन करने को विवश हैं। कुछ चिकित्सक खुलेआम कमीशन की दवा लिखते है और दलालों के माध्यम से उन दवाओं को धड़ल्ले से बिक्री की जा रही है। यही नहीं बकायदा चिकित्सकों के अधिकारों का प्रयोग करते हुए दलाल व स्वास्थ्यकर्मी खुद ही कमीशन की दवा/ इंजेक्शन की पर्ची लिखकर तीमारदारों के हाथों में चुपके से पकड़ाते हैं और महिला अस्पताल के पास चिन्हित मेडिकल पर भेजते हैं। कमीशन में लिप्त स्वास्थ्यकर्मी मेडिकल स्टोर संचालक पूरी रात्रि दुकान खोलकर कमीशन की दवा की पूर्ति करता है और किसी से कुछ न कहने की सख्त चेतावनी भी देते है। विश्वसनीय सूत्र बताते है कि मात्र एक लूज क्वालिटी का इंजेक्शन खरीदवाने पर चिकिस्ता कर्मियों व दलालों को दो सौ बीस (220) रुपये से लेकर दो सौ पचार (250) रुपये तक का कमीशन दिया जाता है। दवा की पर्ची लिखने की कोड भाषा भी इन दलाल रूपी भेड़ियों ने बना रखी है जिससे कभी ये पकड़े न जायें। एक माह पूर्व मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डाॅक्टर डी के सिंह ने ऐसे ही मानकविहीन इंजेक्शन/दवा के सप्लायर ढक्कन गैंग को पकड़ कर बड़ा खुलासा किया था व एक स्वास्थ्यकर्मी को कमीशनखोरी में संलिप्त पाते हुए बर्खास्त भी किया था लेकिन दलालों के गैंग ढक्कन गैंग के और भी सक्रिय सदस्यों की धर पकड़ कर कोई बड़ी कार्यवाही नहीं की और मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। अगर इस मामले में कायदे से जांच हो जाती तो एमरजेंसी ड्यूटी कर रहे कुछ चिकित्सक व दर्जनों स्वास्थ्यकर्मियों पर गाज गिरनी तय थी लेकिन अस्पताल की बदनामी व संलिप्त चिकित्सकों व उनके आकाओं के दवाब में खानापूर्ति कर मामलों को रफा दफा कर दिया गया।
बेगुनाहों के खून से सिंचित इन नर पिशाचों पर कार्यवाही कब होगी ये तो वक्त हो बताएगा।
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