सीकर लोकसभा चुनाव परिणाम के आंकलन को प्रभावित कर रहा है, माकपा मतदाताओं का मत बंटवारा | New India Times

अशफाक कायमखानी, सीकर/जयपुर (राजस्थान), NIT:सीकर लोकसभा चुनाव परिणाम के आंकलन को प्रभावित कर रहा है, माकपा मतदाताओं का मत बंटवारा | New India Times

सीकर लोकसभा चुनाव परिणाम का मतगणना के पहले ठीक ठीक आंकलन करने में सबसे बडा रोड़ा हाल ही में सम्पन्न हुये विधानसभा चुनाव में माकपा उम्मीदवारों को मिले मतों के लोकसभा चुनाव में बंटवारे को लेकर बना हुआ है। हालांकि लोकसभा चुनाव में मोदी लहर का जितना होहल्ला मचा हुआ था उतनी बूथों पर मशीन का बटन दबाते हुये नजर नहीं आया बल्कि एक फैशन के तौर पर कुछ खास वर्ग के मतदाताओं ने मोदी नाम को चलाने की भरपूर कोशिशें करने के बावजूद तवा गरम होता नजर नहीं आया।
मतदान के बाद माकपा के मतों के दांतारामगढ़ व धोद में वैचारिक तौर पर सख्त विरोधी एक दल के उम्मीदवार के पक्ष में शिफ्ट होने की अफवाहों ने चुनाव के ठीक ठीक आंकलन करने में रोड़ा बन चुका है। 2018 में सम्पन्न हुये विधानसभा चुनाव में माकपा उम्मीदवारों को धोद में 61,089, दांतारामगढ़ में 45,186, खण्डेला में 16,378, सीकर में 1676 व लक्षणगढ में 8,617 मिले मतों को मिलाने पर कुल 1,32,946 मतों के बंटवारे पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं।
सीकर लोकसभा क्षेत्र के धोद व दांतारामगढ़ विधानसभा क्षेत्रों से विधानसभा चुनाव में कामरेड अमरा राम व कामरेड पेमाराम को मिले मतों में से एक खास प्रतिशत के मतों का भाजपा उम्मीदवार के पक्ष मे शिफ्ट होने की चर्चा जोरों पर चलने के बावजूद माकपा का कोई भी बड़ा नेता इसकी पुष्टि करने को तैयार नहीं है। जबकि राजनीति पर नजर रखने वाले बताते हैं कि 2018 के विधानसभा चुनावों में कामरेड ब्रिजेन्द्र मील, कामरेड पेमाराम, कामरेड अमरा राम व कामरेड सुभाष नेहरा को मिले मत पूरे के पूरे लोकसभा चुनाव में माकपा उम्मीदवार कामरेड अमरा राम को मिलना हमेशा की तरह सम्भव नहीं है। 2014 के लोकसभा चुनाव में भी कामरेड अमरा राम को 2013 के विधानसभा चुनाव में माकपा को मिले मतों का बड़ा हिस्सा उनको नहीं मिल पाया था। 2014 की ही सूरत 2019 के लोकसभा चुनाव में माकपा उम्मीदवार कामरेड अमरा राम की मतों के हिसाब से बनती नजर आ रही है। यानी विधानसभा चुनावों में माकपा उम्मीदवारों को मिलने वाले मतों का लोकसभा चुनाव में माकपा उम्मीदवार को मत मिलने की बजाये बंटवारा होना अक्सर पाया गया है।
कुल मिलाकर यह है कि राजनीति में माना व समझा जाता है कि विधानसभा चुनाव में दलों को मिले मतों की तरह लोकसभा चुनाव में उन्हीं दलों को मिलने वाले मतों में काफी अंतर देखा गया है जो 2019 के लोकसभा चुनाव में सीकर में भी देखने को मिलेगा।


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