हनीफ खान, ब्यूरो चीफ, सोनभद्र (यूपी), NIT:
चुनाव का समय आ गया है इसलिए कई कद्दावर नेता एक बार फिर मैदान में दिखेंगे और लोगों को आश्वासन देंगे और जीतने पर आपकी समस्याओं का निराकरण करेंगे या नहीं ये तो बाद की बात है। लेकिन पहले किया गया वादा अब तक पूरा क्यों नहीं हुआ, इसका जबाव शायद ही उनके पास हो। ऐसा ही वादा चोपन गांव और चोपन नगरवासियों से भी किया गया था जो पूरा ना हो सका। यह मुद्दा सालों से मुंह बाये खड़ा है।
बात चोपन नगर से चोपन गांव जाने वाली रेलवे क्रासिंग पर ओवरब्रिज निर्माण की हो रही है। शहर और गांव को दो हिस्सों में बांटने वाले इस रेलवे फाटक पर ओवरब्रिज बनने का सपना शहर और गांव के लोग सालों से देख रहे हैं। इसके निर्माण को लेकर नगर पंचायत के पूर्व चेयरमैन स्व0 इम्तियाज अहमद ने रेलवे के उच्चाधिकारियों से लगातार पत्राचार करते रहे, यहां तक कि प्रधानमंत्री और रेल मंत्री को भी इस समस्या से अवगत कराया लेकिन नहीं हुआ तो इस ओवर ब्रिज का निर्माण। दरअसल इस रेल फाटक के बंद होने के साथ ही सड़क के दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लग जाती हैं। फाटक खुलने के बाद दोनों ओर की गाड़ियां रेंगते हुए निकलती हैं जिसमें लोगो को काफी समय लग जाता है और लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा है। यह फाटक शहर और गांव की सबसे विकट समस्या बन चुकी है जिससे लोग निजात चाहते हैं।
शहर मूल रूप से रेलवे लाइन के पश्चिम भाग में स्थित है और पूरब में चोपन गांव है जहाँ की अत्यधिक जनता अपने जीवकोपार्जन के लिए शहर में आती है। और तो और विद्यार्थियों के लिए अच्छी शिक्षा का साधन भी रेलवे फाटक पर शहर में मिलती है, इसके अलावा इस सड़क मार्ग से ही ग्रामीण क्षेत्रों से भी बड़ी आबादी शहर में प्रवेश करती है। इस रेलखंड की वजह से स्कूल जाने के लिए स्कूली बस भी रेलवे फाटक पर रुकती है जिससे कि स्कूली बच्चों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है और तो और रेलवे फाटक के पास हॉस्पिटल होने से मरीजों को भी काफी मश्कत करनी पड़ती है। रेलवे फाटक पर एम्बुलेंस घण्टों खड़ी रहती है।
सुबह और शाम में होती है सबसे अधिक परेशानी
जाम की सबसे अधिक परेशानी सुबह और शाम के समय होती है। सुबह 9 से 11 बजे तक लगातार रेल गाड़ियां गुजरती हैं। इस समय स्कूली बच्चों और नौकरी पेशा लोगों को निकलने की जल्दी होती है। अगर रेलवे फाटक पर जाम में फंस गए तो देर होना तय है। वहीं शाम के समय साढ़े चार से साढ़े सात बजे तक फाटक बहुत कम अंतराल पर बंद होता है। उस समय बाजार में काफी भीड़ होती है। कई बार तो जाम के कारण रेल फाटक गिराना मुश्किल हो जाता है। सुबह और शाम के समय हर दिन लोग यहां फंसने पर प्रशासन और नेताओं को कोसते हैं जो केवल वादे करते हैं, उन्हें पूरा करने का संकल्प नहीं दिखाते। इस लोकसभा चुनाव में इस रेल फाटक पर ओवर ब्रिज निर्माण का मुद्दा गर्म रहेगा।
चोपन रेलखंड के समपार फाटक संख्या 79, सी.टी, 24 घंटा में करीब 40 बार बंद होती है। कुछ ट्रेनें साप्ताहिक है और अक्सर मालगाड़ी भी आती हैं। अगर साप्ताहिक ट्रेनों और मालगाड़ियों की आवाजाही ना भी हो, तब भी हर दिन करीब 20 बार फाटक का बंद होना निश्चित है क्योंकि चोपन जंक्शन होने के कारण ट्रेनों के इंजन चेंज होते रहते हैं। एक बार फाटक बंद होने पर उसे खुलने में करीब दस से पंद्रह मिनट लगते हैं। इतनी देर में गाड़ियों की कतार लग जाती है। आवागमन में कितनी असुविधा होती होगी इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। लोग अब इस परेशानी से तंग आ चुके हैं उन्हें रेल प्रशासन, स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से इस बात की शिकायत है कि इतनी बड़ी परेशानी होने के बावजूद अब तक इसका निराकरण करने के लिए क्यों प्रयास नहीं किया गया।
Discover more from New India Times
Subscribe to get the latest posts to your email.