वी.के.त्रिवेदी, ब्यूरो चीफ, लखीमपुर-खीरी (यूपी), NIT:
उत्तर प्रदेश के जनपद लखीमपुर खीरी के एक कोतवाली में ही दबंगों ने एक पत्रकार को जान से मारने की धमकी दे डाली जबकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का फरमान है कि पत्रकारों से बदसलूकी की तो जेल जाना पड़ेगा और पचास हजार जुर्माना देना पड़ेगा तथा जमानत नहीं होगी लेकिन इसके विपरीत कोतवाली परिसर में ही पत्रकार को गोली मार कर ऊपर पहुँचाने की धमकी दी गई और साथ ही पत्रकारिता जगत पर अभद्र टिप्पणी करते हुए आपत्ति जनक भद्दी भद्दी गालियां दी गईं।
आपको बताते चलें कि यह पूरा मामला जनपद लखीमपुर खीरी की कोतवाली गोला गोकर्णनाथ का है जहां एम डी न्यूज पत्र व न्यूज चैनल के ब्यूरो चीफ (जिला संवाददाता) दया प्रकाश आर्य की मानें तो उनके एक साथी ने मामूली सी कहा सुनी को लेकर मोबाइल फोन पर दिनांक 10/02/2019 को आपत्ति जनक गालियां दी थी । मानसिक रूप से तनाव में आकर डी0 पी0 आर्य ने अपने साथी की अभद्रता पूर्ण शैली के संबंध में एक शिकायती प्रार्थना पत्र दिनांक 11/02/2019 को कोतवाली गोला में दिया था जिसके मद्देनजर पुलिस चौकी गोला एस.आई.विनोद कुमार ने विपक्षी साथी को फोन कर थाने बुलाया पहले तो उसने थाने आने के लिए हीला हवाली की और उसके आधे घंटे बाद आने का समय दिया और फिर जब अपने बताये हुए समय के अनुसार आया तो अपनी पैरवी में अपने साथ राजेश आनंद उर्फ मिंनी तथा उनके तीन चार अज्ञात साथी सहित कोतवाली परिसर में आया। जहाँ पर राजेश आनंद उर्फ मिंनी और उनके साथियों ने पत्रकारिता जगत पर अभद्र टिप्पणी करते हुए आपत्ति जनक भद्दी भद्दी गालियां दीं तथा राजेश आनंद उर्फ मिंनी ने गोली मार कर ऊपर पहुँचाने की धमकी पत्रकार को दी। जानकारी के अनुसार राजेश आनंद उर्फ मिंनी अपने को व्यापार मंडल का पदाधिकारी व नेता बताते हैं और उनके साथ आये सभी अन्य साथी भी उनके संगठन के पदाधिकारी थे। यहां यह भी बताना है कि मिंनी का एक सगा भाई जो कि इंडियन आयल अधिकारी मंजू नाथ हत्या कांड में आजीवन कारावास काट रहा है जिसका अपराधिक गिरोह पूरे नगर में सक्रिय है जो किसी भी समय जान माल व हत्या जैसी घटना को अंजाम दे सकता है। जिस संबंध में डी0 पी0 आर्य ने अपनी जान माल की सुरक्षा तथा विपक्षीगणों द्वारा कोतवाली परिसर के अंदर ही दी गई धमकी को लेकर एक लिखित तहरीर देकर अपना मुकदमा लिखवाने हेतु प्रभारी निरीक्षक गोला गोकर्णनाथ विपिन कुमार सिंह को दिया। मामले को संज्ञान में लेते हुए प्रभारी निरीक्षक ने विपक्षी व उसके तीन चार अज्ञात साथियों के विरुद्ध अभियोग पंजीकृत कर दिया है। सूत्रों की मानें तो जिस उद्योग व्यापार मंडल के बैनर तले विपक्षीगण आये दिन सरकार व सरकारी मशीनरी पर अपना दबाव बनाते हुए सरकारी कार्य में बाधा उत्पन्न करते हैं, वास्तव में वो संगठन एक एन.जी.ओ. के रूप में विकास दीप लखनऊ से पंजीकृत है जो एक सामाजिक संस्था है न कि भारत सरकार द्वारा पंजीकृत व्यापारिक संगठन है। अभी तक बीते समय में विपक्षीगण समाजवादी पार्टी के खेमे में थे और सत्ता परिवर्तन के बाद वर्तमान सरकार में काला सफेद करने के लिए अपना गठजोड़ बनाये हुए हैं और पुलिस पर अनैतिक राजनैतिक दबाव बनाकर पीड़ित पत्रकार के ऊपर फर्जी अभियोग पंजीकृत करवाने के लिए पुरज़ोर तरीके से प्रयासरत हैं। अब देखना यह है कि योगी सरकार में पत्रकार को न्याय मिलता है या फिर इसी तरह आये दिन पत्रकारों को जान माल की धमकी मिलतीं रहेगी? कौन करेगा देश के चौथे स्तम्भ की रक्षा या फिर आये दिन यूँ ही चलता रहेगा पत्रकारों पर फर्जी मुकदमे लिखवाने और धमकियों का सिलसिला और इसी तरह होती रहेंगी पत्रकारों की आये दिन हत्याएं। योगी जी का फरमान कि “पत्रकार से की बदसलूकी तो जाना पड़ेगा जेल, होगा पचास हजार का जुर्माना, नहीं होगी जमानत”, यह कितना सार्थक साबित होता है, यह तो समय ही तय करेगा।
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