जसराजपुर संकिसा में बाईबीएस के तत्वाधान मैं चल रहे धम्म प्रवचन में समारोह की समाप्ति पर बौद्ध धर्मगुरु परम पावन दलाई लामा ने दिए उपदेश | New India Times

गुलज़ार अहमद, भोगांव/मैनपुरी (यूपी), NIT:

जसराजपुर संकिसा में बाईबीएस के तत्वाधान मैं चल रहे धम्म प्रवचन में समारोह की समाप्ति पर बौद्ध धर्मगुरु परम पावन दलाई लामा ने दिए उपदेश | New India Times

बुधवार को मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर दूर जसराजपुर संकिसा में बाईबीएस के तत्वाधान मैं चल रहे धम्म प्रवचन में समारोह की समाप्ति पर बौद्ध धर्मगुरु परम पावन दलाई लामा ने कहा है कि अंधेरे को नष्ट करने के लिए प्रकाश की जरूरत है दीपक जलाने पर अंधेरा भाग जाता है। ऐसे ही सर्दी को दूर करने के लिए आग की आवश्यकता होती है ऐसे ही मिथ्या विचारों को अलग करने के लिए ज्ञान की आवश्यकता होती है ।अविद्या को मिटाने के लिए सिद्धांत की आवश्यकता होती है स्वयं के अस्तित्व को भी उचित सिद्धांत द्वारा जाना जा सकता है हर चीज एक दूसरे पर निर्भर होती है। करुणा को आधार बनाने की आवश्यकता होती है अपने चित् को आधार बनाएं । अज्ञानता की वजह से सारे गलत कार्य होते हैं। अज्ञानता को खोजें और बाहर निकाले तभी ज्ञान आएगा। किस प्रकार हम फल भी प्राप्त कर सकते हैं फल पर निर्भर है एक भी फल पर निर्भर करता है एक दूसरे पर निर्भर हैं। बिना बीज के अंकुर भी नहीं निकलता जितने सुख दुख हमारे पर निर्भर हैं। हमारा जीवन अर्थव्यवस्था पर निर्भर है हम लोग सामाजिक प्राणी हैं पर्यावरण की आवश्यकता है मानव समाज में मनुष्य अकेला नहीं रह सकता है। वैज्ञानिक सिद्धांत से हम वास्तविकता को समझ सकते हैं सभी जीवधारी सुख चाहते हैं किस प्रकार सुख मिले लेकिन दुख कोई नहीं छोड़ना चाहता दूसरे के प्रति सुख मिले ऐसा करने से हम हमें भी लाभ होगा। कला को आधार बनाने की आवश्यकता है दूसरे के दुखों को लेकर हम सुख दे हमारे जीवन का कोई भी आधार होना चाहिए मोर कितना सुंदर है इसका उदाहरण देते हुए बताते हैं मोर के कितने रंग हैं विभिन्न प्रकार के तरीकों से सुंदर लगता है ऐसे ही मनुष्य को मानव शरीर को प्राप्त के बाद अनुसरण करें बार-बार प्रयास करें कि हम हर प्रकार से सुंदर स्वयोग दिखे हम बार-बार स्मरण करें अध्ययन जीवन भर करने से असली जीवन की प्राप्ति हो सकती है।

जसराजपुर संकिसा में बाईबीएस के तत्वाधान मैं चल रहे धम्म प्रवचन में समारोह की समाप्ति पर बौद्ध धर्मगुरु परम पावन दलाई लामा ने दिए उपदेश | New India Times

उन्होंने बताया कि असली दुश्मन हमारे मन के अंदर क्लेश रूपी शत्रु बैठा है जिसे निकालने के लिए हमें बार-बार अभ्यास करने की आवश्यकता होती है उसे निकालने की कोशिश करें क्रोध और बैर को प्रेम से समाप्त कर सकते हैं बाहरी शत्रु पर नजर रख सकते हैं लेकिन आंतरिक शत्रु पर पैनी नजर रखी जाए जलन ईष्या की वजह से हम हत्याएं कर बैठते हैं हमारे शरीर के अंदर शत्रु पर मन के द्वारा नजर रखें कि चित भटक तो नहीं रहा है। लामा कहते हैं कि हे मुर्ख जब दुख आता है तो दूसरों को कष्ट क्यों दें क्षमा करने से तेरा पाप काटा जा सकता है। उन्होंने बताया कि धैर्य का हम किस पर अभ्यास करें इसके लिए हमें संत गुरु की आवश्यकता होती है हमें जीव धारियों पर कृपा रखनी चाहिए प्रेम करना चाहिए आलस की वजह से अभ्यास करने में कठिनाई आती है आलस को काटना चाहिए जब ध्यान करें तो एक चित मन को रखें ध्यान करते एक चित क्रोध को नष्ट करने के लिए धैर्य का अभ्यास करें सब के प्रति एक समान भावना होनी चाहिए स्वार्थी चित्र की बुराइयों को समझना चाहिए आपस में रहकर झगड़े करते रहते हैं स्वार्थ के लिए जिस से बचना चाहिए संसार में जो दुखी है वह सुख के कारण। महात्मा गांधी जीवन पर्यंत दूसरे के लिए कर्म करते रहे महापुरुषों के आदर्शो पर चलने से जीवन धन्य बनता है उनके आदर्शों पर काम करना चाहिए स्वार्थी चित्र की वजह से कितनी हानियां हुई हैं हम क्लेश रूपी जीवन जीते चले आ रहे हैं अहंकार रूपी भावना की वजह से स्वार्थी रूप चित्र से बचना चाहिए यह कितना घातक है। तिब्बती भाषा का हिन्दी अनुवाद कैलाश बौद्ध ने किया सभी आभर आयोजन समिति अध्य्क्ष आलोक शाक्य व सयोंजक सुरेश बौद्ध ने व्यक्त किया।


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