सीकर जिले के मुस्लिम समुदाय में चार्टेड ऐकाऊंटेंट (CA ) बनने वालों का अभी भी टोटा बरकरार | New India Times

अशफाक कायमखानी, जयपुर (राजस्थान), NIT; ​सीकर जिले के मुस्लिम समुदाय में चार्टेड ऐकाऊंटेंट (CA ) बनने वालों का अभी भी टोटा बरकरार | New India Times

राजस्थान के मुस्लिम समुदाय में बालिकाएं शिक्षा में सबसे ऊपरी चोटी पर पहुंचने व तालिमी मयार के हिसाब से प्रदेश के टॉप पांच जिलों में शुमार होने वाले सीकर जिले के मुस्लिम समुदाय ने अनेक मयारी फिल्ड में तेजी के साथ कदम बढाये हैं लेकिन भारत में अनेक कठिन परिक्षाओं में से एक सीऐ की परीक्षा में इस समुदाय की जारी कदमचाल को अभी तक वो गति नहीं मिल पाई है। जो गति सामाजिक तरक्की व वतन की खिदमत के लिये मिलना जरुरी माना जाता रहा है।

 सीकर जिले में आज से करीब सैंतीस साल पहले 1979 में गनेड़ी गावं के साधारण कायमखानी परीवार के बेटे अलाद्दीन खान ने भारत की कठिन परीक्षा माने जाने वाली चार्टेड ऐकाऊंटेंट  की परीक्षा पास करके प्रदेश में धूम मचाई थी। परीक्षा पास करने के बाद उन्होंने समाज को दिशा देने के लिये किसी सरकारी सेवा या बहुराष्ट्रीय कम्पनी में जाने के बजाय सीकर शहर में प्रेक्टिस करना तय करके जो प्रेक्टिस उस समय शुरु की थी वो आज अहम मुकाम पर पहुंचने के बाद भी वो अपनी व्यस्तम दिनचर्या के बावजूद खिदमत-ऐ-खल्क के लिये समय निकाल ही लेते हैं। आज इन अलाद्दीन खान को ऐ.खान के नाम से जाना व पुकारा जाता है जिनका निजी दफ्तर सीकर शहर के शेखपुरा मोहल्ले में संचालित है।​
सीकर जिले के मुस्लिम समुदाय में चार्टेड ऐकाऊंटेंट (CA ) बनने वालों का अभी भी टोटा बरकरार | New India Timesहालांकि खान के सीऐ बनने के बाद जिले के मुस्लिम समुदाय को दुसरा सीऐ बनाने के लिये काफी इंतेजार करना पड़ा था। 2005 में खेड़ी गावं के सारिक खान भी सीऐ बने। उसके बाद 2012 मे बेसवा गावं के इकबाल खान नामक एक रोड़वेज कर्मी का बेटा सैय्यद अली ने सीऐ बनकर इस समुदाय में तीसरा सीऐ बनकर इतने सालों तक रुकी हाड को तोड़ कर फिर से समुदाय के युवाओं में इस फिल्ड में कदम बढाने के प्रति ललक पैदा करने की एक दफा फिर कोशिश कि थी। इसके बाद 2015 मे सीकर शहर के नामी व्यवसायी कमाल परीवार का बेटा शाहिद कमाल व 2016 में सीकर शहर के ही वाजिद कछावा ने सीऐ बनकर इस मयारी फिल्ड में जाने के लिये युवाओं को प्रेरित किया है।

 कुल मिलाकर यह है कि सीकर जिले के मुस्लिम समुदाय में 1979 में खान सीऐ बनते हैं तो उनके 33 साल बाद 2012 में बेसवा के सैय्यद अली सीऐ बन पाते हैं। फिर इनके बाद 2015 में शाहिद कमाल व 2016 में वाजिद कछावा सीऐ बनकर संख्या चार तक ही पहुंचा पाते हैं। समुदाय को इस तरफ भी मंथन करके कुछ प्लानिंग करके आगे बढने पर विचार करना होगा।


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