गणेश मौर्य, अंबेडकरनगर (यूपी), NIT:
लोकसभा चुनाव ज्यों ज्यों नजदीक आ रहा है प्रत्याशी अपने समर्थकों के साथ वोटरों को लुभाने के लिए दिन रात एक कर रहे हैं। देर रात तक जनसंपर्क चल रहा है। हर एक राजनीतिक दल अपने संगठन को मजबूत करने के लिए गली गांव शहर में एड़ी चोटी का जोर लगा रहा है। दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष कपिल देव वर्मा पर जिस तरह के गंभीर आरोप बीते दिनों जिले के भाजपा सांसद डॉ हरिओम पांडे ने लगाया कि समाजवादी पार्टी की गोद में बैठने वाला भारतीय जनता पार्टी का नैय्या कैसे पार कर सकता है, यहां की जनता पर इनका भरोसा पूरी तरह उठ चुका है (रहते हैं बीजेपी में गुण गाते हैं सपा की) इन आरोपों के बाद जिले की जनता तरह तरह की बात कर रही है। सांसद ने ऐसी चोट मारी की जख्म अभी तक नहीं भर पाए हैं। जनता कहती है कि भारतीय जनता पार्टी के सम्मानित सांसद जी ने इस तरह की बात कही है तो बात कहीं ना कहीं जरूर सत्य है। वोटर भी खुल कर पत्रकारों से सवाल पूछने से नहीं चूक रहे हैं।
वैसे भी अध्यक्ष कपिल देव वर्मा किसी भी सवाल का जवाब देने के लिए राजी नहीं होते, इन सब सवालों से बगलें झांकने लगते हैं। खैर चुनाव के लिए दागदार और दामन साफ नेता की जरूरत होती है। “लोकसभा चुनाव में छुटभये नेताओं की चांदी कट रही है। प्रत्याशी किसी भी पार्टी का हो। छुटभये नेता प्रत्याशी को जीत के सपने दिखा कर वोट मांगने के बहाने लग्जरी गाड़ियों को हथियाने में लगे हुए हैं।चुनाव के समय करोड़ों रुपया चंदा के रूप में भी आएगा एक बार गाड़ी मिली तो फिर क्या पौवारा हो गए। गांव-गांव घूम कर जनसंपर्क करने के साथ दोनों पहर का खाना भी प्रत्याशी के खाते से डकारा जा रहा है
इतना ही नहीं अपने लोगों के बीच गाड़ी ले जाकर रुतबा भी गांठने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जा रही है। चुनाव का रिजल्ट क्या रहेगा। नेताजी को यह डर भी सता रहा है। लेकिन यह सोच कर संतोष कर लिया जाता है कि चार दिन का चांदनी है फिर अंधेरी रात है। नेताजी..अपनी नेतागिरी को लेकर खूब मूंछों पर ताव देते है। मगर सांसद जी के बयान पर स्थिति वक्त ने ऐसी करवट ली कि मूंछों पर ताव चढ़ना ही खत्म हो गया। हाल में आए हुए प्रदेश संगठन मंत्री सुनील बंसल लॉ कॉलेज में स्पीच दे रहे थे मगर नजरें नहीं ऊपर उठी नेता जी की मोबाइल पर ही मगन रहे कोशशि तो खूब की पर,नजरें नहीं उठी स्थिति ऐसी थी।दूसरी पार्टियों का भी दामन थामा पर लंबे वक्त तक वहां भी दाल नहीं गली। कभी यहां तो कभी वहां, मूंछों ने जो इशारा किया उसकी तरफ बह चले। इन नेताजी के कारनामों का ऐसा ताव चढ़ा कि अपनी भारतीय जनता पार्टी के सिद्धांतों को भूल गए किसी ने फेसबुक अकाउंट पर इन्हें दर बदलू नेता कहा तो नेताजी तिलमिला गए थे संगठन के सदस्य को सबक सिखाने के लिए मैदान में ताल ठोंक दी पर, बाजी उलटी पड़ गई।
बेचारे क्या करते? यह इन नेताजी को भी समझ आ गया था। ऐसे में अपनी मूंछों की जिद छोड़कर चुपचाप बैठना ही अच्छा बेहतर समझा जिले में भारतीय जनता पार्टी में भी दो गुटबाजी चल रही है मौजूदगी दिखाने के लिए सभी लोग हाजिर तो हो जाते हैं मगर कहीं ना कहीं दिलों में चुभन बनी रहती है!
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