Edited by Arshad Aabdi, NIT;
लेखक: सैय्यद शहंशाह हैदर आब्दी
शशि थरूर के ब्यान पर खूब चर्चा हो रही है। धर्मनिरपेक्ष लोग यह बतायें की थरूर ने क्या गलत कहा? भारत, पाकिस्तान बनने की राह में चार साल का सफर तय नहीं कर चुका है? इसमें कोई शक? शक की बुनियाद पर मुसलमानों और दलितों पर एक विचारधारा विशेष के उन्मादियों द्वारा सार्वजनिक स्थल पर या घर में घुसकर बर्बर अत्याचार और हत्याएं। एक केंद्रीय मंत्री हत्यारे की लाश को तिरंगे में लपेटकर दाह संस्कार करवाता है, दूसरा केंद्रीय मंत्री ज़मानत पर छूटे मॉब लिंचरों का फूल-माला से स्वागत करता है, तीसरा मंत्री दंगे के आरोपियों से जेल जाकर गले मिलता है, उनके परिवार के पास जाकर घड़ियाली आंसू बहाता है।
कोई सांसद धर्मिक उन्मादियों के केस लड़ने के खर्चे उठाने की बात करता है। लगातार इन लोगों के ख़िलाफ़ सोशल मीडिया पर मनगढ़ंत कहानियां गढ़कर नफरत का ज़हर उगला जा रहा है, कहीं कोई कार्यवाही होती नज़र नहीं आती।
कोई साध्वी, कोई साक्षी, कोई गिरिराज, कोई सिन्हा, कोई दीक्षित, कोई पुंज और न जाने कौन कौन जब चाहे जो चाहे साम्प्रदायिक उन्माद बढ़ाने वाले ब्यान दे देते हैं। शासन प्रशासन मुंह टापता रहता है।
जिस धर्म निरपेक्ष संविधान की शपथ लेकर विधायक, सांसद, मंत्री, मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री बने हैं, उसी संविधान और धर्म निरपेक्षता का उपहास प्रधानमंत्री विदेश तक में उड़ाने से नहीं चूकते। अगर यही राह बनी रही तो अगले पंचवर्षीय योजना में देश को पाकिस्तान बनने से कौन रोक सकता है ?
बात दरअसल यह है कि कांग्रेस एक डरपोक पार्टी है। पार्टी को हिन्दू वोट छिटकने का डर हमेशा बना रहता है। वह दो नावों पर सवारी करने के चक्कर में लगातार मुंह की खा रही है। मेरे भाई अब वोट बचा कितना है ? 44 से नीचे कुछ ना भी करोगे तो नहीं जाओगे। कम से कम सही स्टैंड पर खड़े तो रहो।
संघ परिवार को संरक्षण देकर बटवृक्ष बनाने का काम कांग्रेस ने ही किया है और उसका ख़ामियाज़ा भी भुगत रही है। आज भी कांग्रेस में संघ परिवार के कई हमदर्द मौजूद हैं। जब तक यह कांग्रेस में हैं, कांग्रेस का पनपना मुश्किल है।
सच बताईये, क्या वर्तमान सरकार संघ परिवार के ऐजण्डे पर कार्य नहीं कर रही? संघ के मुख्यालय जाकर अपना रिपोर्ट कार्ड नहीं पेश कर रही? संघ संवैधानिक हैसियत क्या है कि एक संवैधानिक चुनी सरकार अपनी जवाब देही उसके प्रति रखे?
क्या इसका सशक्त विरोध नहीं होना चाहिए? क्यों नहीं राजनीतिक पार्टियां, विशेष कर कांग्रेस इसका विरोध करतीं? क्यों नहीं इस मुद्दे को लेकर न्यायालय की शरण में जातीं?
क्या संघ का मुख्य एजेण्डा देश को हिन्दू राष्ट्र बनाना नहीं? देश के तिरंगे झण्डे को एक रंगा करने के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रयासो का विरोध क्यों नहीं होना चाहिए?
तो फिर शशि थरूर ने क्या ग़लत कहा? कांग्रेस क्यों उनके समर्थन में डटकर खड़ी होती? क्यों उनके ब्यान से पल्ला झाड़ रही है?
हम और हम जैसे करोड़ों धर्मनिरपेक्ष हिन्दुस्तानी शशि थरुर के इस ब्यान का समर्थन करते हैं, क्योंकि विचारधारा के स्तर पर अब आर पार की लड़ाई का वक्त है। हम गंगा जमुनी तहज़ीब, अनेकता में एकता, सर्व धर्म – समभाव के साथ धर्म निरपेक्ष हिन्दुस्तान के समर्थक हैं। क्योंकि इन्हीं ख़ूबियों ने हमारे मुल्क को अज़ीम बनाया है और दुनिया में अलग पहचान दी है।
सैय्यद शहंशाह हैदर आब्दी, समाजवादी चिंतक, झांसी, उत्तर प्रदेश।
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