अतिश दीपंकर ,पटना (बिहार), NIT; झारखण्ड के चतरा जिला में टंडवा और पिपरवार काले हीरे की नगरी से जाना जाता है। इस काले हीरे से भारत सरकार कोल मंत्रालय को बड़ी राजस्व की प्राप्ति होती है। सूत्रों के अनुसार कोल मंत्रालय के द्वारा नियुक्त किए गए सीसीएल अधिकारी और कर्मियों की मिली भगत से करोड़ों रुपये के राजस्व की चोरी की जा रही है।
जैसा कि आप सभी जनमानस जानते हैं कि टंडवा और पिपरवार हमेशा विवादों में घिरा रहता है। इसके बावजूद सारे मामले दब कर रह जाते हैं। हम जो बताने जा रहे हैं यह मामला पिपरवार CHP/CPP परियोजना का मामला है। इस परियोजना में कोयले के काले खेल का गोरख धन्धा जारी है। CHP/CPP परियोजना में कई वर्षों से रिजेक्ट यार्ड में शुद्ध कोयला का भण्डारण हाईवा डम्पर से किया जा रहा है और फिर रिजेक्ट कोयला के नाम पर शुद्ध कोयला गलत ढंग से बेचा जा रहा है। गौरतलब है कि कोयले के खदान में कोयला उत्खनन कर वासरी मशीन में बेल्ट के माध्यम से कोयला आता है। इस मशीन में उत्खनन कोयला लाने का मुख्य वजह यह है कि कोयला में मिले पत्थर को रिफाइन कर शुद्ध कोयले को अलग कर देना है और मिक्स पत्थर को अलग कर देना है। आश्चर्य कि बात यह है कि जिस वासरी मशीन में कोयला रिफाइन किया जाता है उसका जीक वर्षों से ख़राब पड़ा है इसके बावजूद मशीन प्रक्रिया का कोरम पुरा किया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार CHP/CPP परियोजना पदाधिकारी आर बी सिंह के द्वारा मशीनी प्रक्रिया के अलावे रिजेक्ट यार्ड में शुद्ध कोयले का भंडारण कर रिजेक्ट कोयला बेचने के नाम पर शुद्ध कोयला बेचा जा रहा है। यह खेल आज भी निरन्तर जारी है। जीएम एस एस अहमद ने इस मामले में अन्यभिज्ञता जाहिर की है।
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