देवरी के शिक्षक ज़बूर अहमद तड़वी के निलंबन के तरीके पर सवाल- सामाजिक संस्थाओं ने मीडिया की भूमिका पर उठाई आपत्ति | New India Times

मेहलक़ा इक़बाल अंसारी, ब्यूरो चीफ, बुरहानपुर (मप्र), NIT:

ग्राम देवरी के शासकीय हिंदी माध्यमिक शाला के शिक्षक श्री ज़बूर अहमद तड़वी के निलंबन की प्रक्रिया और इस पूरे मामले में मीडिया की भूमिका को लेकर ज़िले की प्रमुख सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने सवाल उठाए हैं और इसका कड़ा प्रतिवाद किया है।

देवरी की हिंदी प्राथमिक शाला में पदस्थ शिक्षक ज़बूर अहमद तड़वी पर योग (सूर्य नमस्कार) के दौरान नमाज़ सिखाने का आरोप लगाया गया है। प्रतिनिधियों का कहना है कि देशभर में जिस तरह वैमनस्यता का माहौल बनाया जा रहा है, उसी तरह यह मामला भी स्थानीय स्तर पर एक प्रायोजित साज़िश के तहत दोहराया गया प्रतीत होता है।

इस प्रकरण को लेकर मुस्लिम समाज में असंतोष व्याप्त है।
हज़रत शाह चमन वली सामाजिक संस्था के अध्यक्ष एवं पार्षद प्रतिनिधि जनाब सैय्यद इसहाक अली ने कहा कि निलंबित शिक्षक पर लगे आरोपों की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि “मैं एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में न्यायपूर्ण कार्यवाही की अपेक्षा करता हूं, क्योंकि यह हर भारतीय नागरिक का अधिकार है।”

सैय्यद इसहाक अली ने सोशल मीडिया के माध्यम से भी मीडिया की भूमिका पर कड़ी आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि कुछ स्थानीय पत्रकार बिना सत्यापन किए एकतरफ़ा ख़बरें प्रसारित और प्रकाशित कर रहे हैं, जिससे क्षेत्र का माहौल प्रभावित हो रहा है। इस बीच, निलंबित शिक्षक ज़बूर अहमद तड़वी का एक स्पष्टीकरण वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। वीडियो सामने आने के बाद कुछ पत्रकारों ने इस मामले पर अपना दृष्टिकोण बदला है।

सैय्यद इसहाक अली ने कहा:
“पत्रकारिता का मूल उद्देश्य सूचना देना है, आरोप लगाना नहीं। बिना तथ्यों की पुष्टि किए किसी व्यक्ति की छवि को ठेस पहुँचाने वाली ख़बरें प्रकाशित नहीं की जानी चाहिए। सत्य और निष्पक्षता ही पत्रकारिता की असली पहचान है।”
इस मामले को लेकर मंगलवार को सुबह 11:30 बजे जिला कलेक्टर की जनसुनवाई में मुस्लिम समाज के प्रतिनिधियों द्वारा एक ज्ञापन प्रस्तुत कर प्रशासन का ध्यान आकर्षित किया जाएगा।

सैय्यद इसहाक अली ने मुस्लिम समाज के जनप्रतिनिधियों और सर्व समाज के सम्मानित नागरिकों से अपील की है कि वे अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित होकर निष्पक्ष जांच की मांग में सहयोग करें, ताकि भविष्य में किसी भी शिक्षक पर बेबुनियाद आरोपों के आधार पर कार्रवाई न हो।

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