विवेक जैन, नई दिल्ली, NIT:

दिल्ली में लौहड़ी का त्यौहार बड़े ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। शेडस ऑफ इंडिया मैगजीन की डॉयरेक्टर एवं सुप्रसिद्ध समाज सेविका सविता आरोडा ने बताया कि हम भाग्यशाली हैं कि हमने विविध संस्कृतियों वाली भारत भूमि पर जन्म लिया। भारत जैसे महान देश में जन्म लेने का हमें यह फायदा हुआ कि हम साल भर विभिन्न राज्यों के विभिन्न त्यौहारों को बिना किसी भेदभाव के मिलजुलकर मनाते हैं और लौहड़ी का त्यौहार भी इन्हीं त्यौहारों का एक अहम हिस्सा है। बताया कि लौहड़ी को खासतौर पर पहले पंजाब राज्य में मनाया जाता था। अब यह त्यौहार पंजाब सहित विश्वभर में बड़े ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। कहा कि लौहड़ी का त्यौहार पंजाबी संस्कृति द्वारा देश को दिया अनमोल त्यौहार है। सविता अरोडा ने बताया कि लौहडी फसलों के पकने का समय होता है।
परंपरागत रूप से इस त्यौहार की तैयारी लगभग एक या दो सप्ताह पहले से शुरू हो जाती है। किशोर लड़के और लड़कियां अलाव के लिए उपले बनाने के लिए गाय का गोबर और टहनियां इकट्ठा करना शुरू कर देते हैं। लौहड़ी वाले दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं और अलाव जलाने के लिए उसके चारों ओर इकट्ठा होते हैं। लोग अलाव के सामने प्रार्थना करते हैं और उसमे तिल, मूंगफली और चूरा, पॉपकान आदि डालते हैं। इन सभी खाद्य पदार्थों को लौहड़ी का प्रसाद माना जाता है। सविता अरोडा ने बताया कि इस दिन पारंपरिक गीत और भांगड़ा और गिद्दा कर के लोग अपनी खुशी जाहिर करते हैं। इसके आलावा लौहड़ी के दिन, स्वादिष्ट भोजन पकाया जाता है, जिसमें मुख्य रूप लौहड़ी का विशेष भोजन सरसों का साग और मक्की की रोटी और खीर, आटे के लड्डू के साथ.साथ कई अन्य व्यंजन बनाए और खिलाए जाते हैं।
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