संदीप शुक्ला, ब्यूरो चीफ, ग्वालियर (मप्र), NIT:
मानव तस्करी संबंधी जागरूकता बढ़ाने तथा तस्करी के शिकार लोगों के अधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा के लिए प्रतिवर्ष विश्व मानव तस्करी विरोधी दिवस 30 जुलाई को मनाया जाता है। इसी तारतम्य में पुलिस मुख्यालय भोपाल की महिला शाखा द्वारा आज पुलिस कन्ट्रोल रूम सभागार ग्वालियर में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। ग्वालियर में आयोजित कार्यशाला पुलिस महानिरीक्षक ग्वालियर जोन श्री अरविन्द कुमार सक्सेना (भापुसे), पुलिस महानिरीक्षक महिला सुरक्षा शाखा पुलिस मुख्यालय भोपाल श्रीमती हिमानी खन्ना (भापुसे), पुलिस उप महानिरीक्षक ग्वालियर रेंज श्रीमती कृष्णावेणी देशावतु (भापुसे), पुलिस अधीक्षक ग्वालियर श्री धर्मवीर सिंह (भापुसे), एडीएम ग्वालियर श्रीमती अंजू अरूण कुमार एवं अति. पुलिस अधीक्षक ग्रामीण श्री निरंजन शर्मा की उपस्थिति में सम्पन्न की गई। इस अवसर पर भोपाल से आए विशेषज्ञों द्वारा उपस्थित पुलिस अधिकारियों को मानव तस्करी की बारीकियों तथा कानून से अवगत कराया गया।
कार्यशाला के प्रारम्भ में उपस्थित वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को पौधे देकर स्वागत किया गया तद्उपरान्त डीएसपी महिला सुरक्षा श्रीमती किरण अहिरवार द्वारा उपस्थित पुलिस अधिकारियों को कार्यशाला की रूपरेखा से अवगत कराया गया। उसके बाद श्रीमती हिमानी खन्ना (भापुसे) पुलिस महानिरीक्षक महिला सुरक्षा शाखा पुलिस मुख्यालय भोपाल द्वारा उपस्थित पुलिस अधिकारियों को मानव तस्करी क्या है तथा उसका क्या उद्देश्य है, इसके संबंध में अवगत कराया गया और विश्व मानव तस्करी विरोधी दिवस के अवसर पर मानव तस्करी की रोकथाम हेतु उपस्थित प्रतिभागियों को शपथ भी दिलाई गई।
कार्यशाला में पुलिस महानिरीक्षक ग्वालियर जोन ने कहा कि मानव तस्करी व श्रम तस्करी एक वैश्विक समस्या बन चुकी है और इस समस्या की रोकथाम एक बहुत बड़ा चैलेंज है। मानव तस्करी की रोकथाम हेतु सख्त कानून हैं, केवल कानून का प्रभावी क्रियान्वयन आवश्यक है। 01 जुलाई से लागू नवीन कानून में भी इसकी रोकथाम हेतु नये कानून बनाए गए हैं। इस अवसर पर पुलिस उप महानिरीक्षक ग्वालियर रेंज ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण है लेकिन हमारे देश में बहुत से लोग मानव तस्करी के संबंध में ज्यादा नहीं जानते हैं जबकि यह बहुत ही संवेदनशील विषय है और इस प्रकार के अपराध हमारे समाज में बिल्कुल अपनाने लायक नहीं है क्योंकि इस प्रकार के अपराधों में छोटे-छोटे बच्चों को काम कराने के लिये बंधुआ मज़दूर बनाया जाता है।
प्रायः हमें फैक्ट्री एवं कारखानों में छोटे-छोटे बच्चे काम करते हुए दिखाई दे जाते हैं जो कि कानूनन गलत है जबकि उस बच्चे का अधिकार है कि वह स्कूल जाए और अपनी पढ़ाई करे। यदि कोई बच्चा काम करता हुआ दिखाई देता है या किसी प्रकार की मानव तस्करी का पता चलता है तो तत्काल पुलिस को एक्शन लेना चाहिए। मानव तस्करी के विरूद्व पुलिस लगातार इस प्रकार के अपराधों की रोकथाम हेतु लगातार प्रयासरत् है। इस अवसर पर उपस्थित एडीएम ग्वालियर ने कहा कि मानव तस्करी के विरूद्व सभी एजेंसियों को एक साथ समन्वय स्थापित कर इसकी रोकथाम हेतु प्रयास करना चाहिए और आमजन को भी इस प्रकार के अपराधों की रोकथाम व बचाव हेतु जागरूक किया जाकर उनकी भागीदारी भी आवश्यक रूप से होना चाहिए।
इस प्रकार के कृत्य की रोकथाम हेतु सभी को प्रतिभागी बनना पड़ेगा तभी इसके विरूद्व प्रभावी कार्यवाही की जा सकेगी। मनोविज्ञान प्रैक्टिशनर आलोक बैंजामिन एवं उनकी टीम के सदस्य विक्रम अशोक व पियाली मुखर्जी द्वारा कार्यशाला में उपस्थित पुलिस अधिकारियों एवं अमेटी विश्वविद्यालय से आये मनोविज्ञान विभाग के छात्र-छात्राओं को एक्टिविटी एवं प्रेजेंटेशन के माध्यम से मानव तस्करी के संबंध में विस्तृत जानकारी दी गई एवं कार्यशाला में उपस्थित पुलिस अधिकारियों एवं प्रतिभागियों के प्रश्नों का उत्तर दिया जाकर उनकी समस्याओं का समाधान किया गया।
कार्यशाला के अंत में उपस्थित पुलिस महानिरीक्षक ग्वालियर जोन, पुलिस महानिरीक्षक महिला सुरक्षा शाखा पुलिस मुख्यालय भोपाल श्रीमती हिमानी खन्ना(भापुसे) एवं मनोविज्ञान प्रैक्टिशनर आलोक बैंजामिन एवं उनकी टीम को स्मृति चिन्ह भेंट किये गये।
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