नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

18 वीं लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत हासिल नहीं हो सका है। अपने बूते प्रचंड बहुमत के आदी हो चुके नरेन्द्र मोदी को NDA के मुख्य घटक दल तेलगु देसम पार्टी और जनता दल यूनाइटेड ने घुटनों पर ला दिया है। 239 सीटों के साथ भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है, TDP 16, जेडीयू 12, LJP 05, शिवसेना (S) 7, JDS 2 मैजिक फिगर 272 है। भाजपा को 33 सीटों की दरकार है।

चंद्रबाबू नायडू और नितीश कुमार ने भाजपा को समर्थन तो दे दिया है लेकिन जानबूझकर शर्ते कड़ी रखी है। तय तारीख को NDA सरकार का शपथ ग्रहण समारोह हो जाएगा। मोदी – शाह ने देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में महाराष्ट्र में शिवसेना और NCP को तोड़ा। इसी उदाहरण से सबक लेकर नायडू और नितीश यह दोनों नेता नरेन्द्र मोदी के साथ जाने के बाद काफ़ी सतर्कता बरत रहे हैं। इस लोकसभा चुनाव में उद्धव ठाकरे और शरद पवार को अपनी पार्टी को खड़ा करने का मौका मिल गया लेकिन चंद्रबाबू नायडू और नितीश कुमार को इस मौके के लिए पांच साल तक का लंबा इंतजार करना पड़ेगा शायद यह मौका नहीं भी मिल सकता है।
पाला बदलने को तैयार अजित पवार के विधायक
ED, CBI और जेल के भय से अजीत पवार को नेता बनाकर भाजपा के साथ गए NCP के 40 विधायकों में से 20 फिर से शरद पवार के पाले में वापिस आने की खबरे है। गठबंधन सरकार के कारण दिल्ली का पिक्चर आने वाले पांच सालों के लिए धूमिल रहेगा। कुछ महीनों के अंदर महाराष्ट्र विधानसभा के आम चुनाव होने हैं प्रदेश में महाविकास आघाड़ी काफ़ी मजबूती से उभरी है। राज्य में सत्ता का संरक्षण पाने और विधायकी बचाने की मंशा से बागी विधायकों में से किसी एक की भी घर वापसी होती है तो शरद पवार की पार्टी जनता के बीच अपना विश्वास खो सकती है। यही स्थिती उद्धव ठाकरे की शिवसेना में देखी जा रही है एकनाथ शिंदे के वर्तमान 4 सांसद इंडिया गठबंधन को समर्थन देने के मूड में बताए जा रहे हैं। देवेंद्र फडणवीस की सरकार से बाहर निकलने की भूमिका से महाराष्ट्र भाजपा के कट्टर ईमानदार और हजारों करोड़ की संपत्ति बना चुके नेताओं मंत्रियों की चिंताएं बढ़ चुकी है। आगामी चुनावों में कई मंत्री अभी से डेंजर जोन में हैं।
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