रहीम शेरानी हिन्दुस्तानी, ब्यूरो चीफ, झाबुआ (मप्र), NIT:
आज ईदुलफितर का दिन है सुबह से ही बच्चे बड़े सभी ईद की नामाज़ अदा करने के लिए इदगाह पर पहुंचे। इदगाह पर मौलाना रूहल अलेमीन ने नमाज़ अदा करवाई व मुल्क में अमन चैन व खुशहाली की दुआ मांगी गई। मौलाना ने ख़ुत्बा सुनाया व सभी ने खामोशी के साथ खुत्बा सुकुन से सुना उसके बाद सभी ने एक दुसरे से गले मिलकर ईद की मुबारकबाद दी।
आलमे अरवाह में जो वादा लिया उस वादा वफाई को करना ही बंदगी है
मौलाना रूहुल आलेमीन ने अपने बयान में फरमाया की आलमे अरवाह में खुदा ने हमसे कहा क्या तुम मेरी ही ईबादत करोगे मेरे हुक्म बजा लाओगे तो हमने वादा किया कि जी रब्बुल आलमीन हम तेरी ही इबादत करेंगे ओर तुझ ही को अपना रब मानेंगे तेरे हुक्म को बजा लाएँगे। मौलाना ने आगे फारमाया की हमे इत्तफाक व इत्तहाद के साथ रहना तुम एक जिस्म की तरह हो जैसे जिस्म का कोई हिस्सा माउफ हो जाता है तो जिस्म के सारे आजा उसका साथ देते है।
आगे फरमाया ईद के दिन ईदगाह पर इनाम (तोहफ़ा) भी उन्हीं को मिलता है जो रमजान में रमजान का हक़ अदा करते हैं जैसे रोजे का रखना, तरावीह का पड़ना, कुराने पाक का पड़ना खुदा की इबादत करना ये सारी चीजें पूरे महीने करने के बाद जब ये ईदगाह पर जाकर दुआ मांगते हैं तो खुदा इसे बेशुमार नेमते मयस्सर फरमाता है। खुदा भी अपने बंदे से खुश होकर ईदगाह पर इसके द्वारा मांगी गई दुआ कुबूल फरमाता है। जब वे ईदगाह से लौटते हैं तो रब उनसे राजी हो चुका होता है।
हुजूर सल्ल. ने मेम्बर के तीनों दहलीज़ पर वइद के तौर पर आमीन कही
हाफ़िज़ मोहसिन पटेल सहाब ने ईदगाह में अपने बयान में कहा की आप सल्ल. ने इर्शाद फ़र्माया उस वक़्त जिब्रील अलैहिस्सलाम मेरे सामने आये थे (जब पहले दर्जे पर मैंने क़दम रखा, तो) उन्होंने कहा की हलाक होजियो वह शख़्स, जिसने रमज़ान का मुबारक महीना पाया, फिर भी उसकी मग्फ़िरत न हुई मैंने कहा आमीन, फिर जब मैं दूसरे दर्जे पर चढ़ा तो उन्होंने कहा, हलाक होजियो वह शख़्स जिस के सामने आपका जिक्र मुबारक हो और वह दरूद न भेजे। मैंने कहा आमीन, जब मैं तीसरे दर्जे पर चढ़ा तो उन्होंने कहा हलाक हो वह शख़्स जिसके सामने उसके वालिदैन या उनमें से कोई एक बुढ़ापे को पावे और वे उस को जन्नत में दाखिल न कराएं। मैंने कहा, आमीन।
मौलवी सलमान सहाब ने कहा: की हुजूर सल्ल० का इर्शाद है कि तीन आदमियों की दुआ रद्द नहीं होती। एक रोजेदार की, इफ्तार के वक़्त दूसरे आदिल बादशाह की दुआ, तीसरे मजलूम की, जिस को हक़ तआला शानहू बादलों से ऊपर उठा लेते हैं और आसमान के दरवाजे उसके लिए खोल दिए जाते हैं, और इर्शाद होता है की मैं तेरी ज़रूर मदद करूंगा, गो (किसी मसलहत से) कुछ देर हो जाए।
हाफिज रिजवान सहाब ने कहा: कि नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का इर्शाद है कि जब ईमान वाला दुआ करता है, बशर्ते कि क़ता-ए-रहमी’ या किसी गुनाह की दुआ न करे तो हक़ तआला शानुहू के यहां से तीन चीजों में से एक चीज़ ज़रूर मिलती है। या खुद वही चीज मिलती है जिसकी दुआ की या उसके बदले में कोई बुराई मुसीबत उससे हटा दी जाती है या आख़िरत में उसी क़दर सवाब उसके हिस्से में लगा दिया जाता है।
गले मिलकर ईद की मुबारकबाद दी मुल्क में अमन चैन की दुआ मांगी
ईद की नमाज़ के बाद ईदगाह पर व शहर में हिन्दू मुस्लिम ने आपस में एक दूसरे को ईद की मुबारकबाद दी ख़ुससन मुस्लिम समाज की जानिब से पूरे मुल्क को ईद की मुबारकबाद दी गई। नमाज़ के बाद समाज जन कब्रस्तान पहुंचे वहां अपने मरहूमों के लिए भी दुआएं खेर की गई।
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