अरशद आब्दी, ब्यूरो चीफ, झांसी (यूपी), NIT:
जिला कृषि रक्षा अधिकारी/जिला कृषि अधिकारी श्री के0के0सिंह ने जनपद के समस्त किसानों को मक्का, बाजरा, धान, गेहूं तथा गन्ना आदि फसलों को हानी पहुँचाने वाले फाॅल आर्मी वर्म की पहचान एवं प्रबंधन हेतु एडवाइजरी जारी की। जिला कृषि रक्षा अधिकारी श्री के0के0सिंह ने जनपद के समस्त किसानों को फॉल आर्मी वर्म की जानकारी देते हुए बताया कि यह कीट बहुभोजीय तथा मक्का,बाजरा, धान,गेहूं तथा गन्ना सहित अन्य फसलों को हानि पहुंचा सकता है।
उन्होंने किसानों को बताया की अपनी फसल को सुरक्षित रखने के लिए जो महत्वपूर्ण जानकारियाँ दी जा रही हैं, उसे आत्मसात करते हुए उसका नियम से पालन सुनिश्चित करें ताकि फसल को सुरक्षित रखा जा सके। जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने बताया कि यह एक बहुभोजीय कीट है,जिसके कारण अन्य फसलों जैसे-मक्का, बाजरा, धान, गेहूँ, तथा गन्ना आदि फसलों को हानि पहुँचा सकता है इसके अतिरिक्त देर से बुवाई एवं संकर किस्में इस कीट के प्रकोप हेतु संवेदनशील है।
उन्होंने किसानों को फॉल आर्मी वर्म की पहचान एवं लक्षण बताते हुए कहा कि -इस कीट की मादा ज्यादातर पत्तियों के निचलें सतह पर अण्डे देती है, कभी-कभी पत्तियों की ऊपरी सतह एवं तनों पर भी अण्डे देती है इसकी मादा एक से ज्यादा पर्त मे अण्डे देकर सफेद झाग से ढक देती है। इसके अण्डे धूसर से हरे व भूरे रंग के होते है। फाल आर्मी वर्म का लार्वा भूरा, धूसर रंग का होता है। जिसके शरीर के साथ अलग से ट्यूबरकल दिखता है इस कीट के लार्वा अवस्था में पीठ के नीचे तीन पतली सफेद धारिया और सिर पर एक अलग सफेद उल्टा अंग्रेजी शब्द का वाई (Y) दिखता है। इसके शरीर के दूसरे अन्तिम खण्ड पर वर्गाकार चार बिन्दु दिखाई देते है तथा अन्य खण्ड पर चार छोटे-छोटे बिन्दु समलम्ब आकार में व्यवस्थित होते है।
उन्होंने इसकी विश्व जानकारी देते हुए बताया कि यह कीट फसल की लगभग सभी अवस्थाओं में नुकसान पहुँचाता है, लेकिन मक्का इस कीट की रूचिकर फसल है। यह कीट मक्का के पत्तो के साथ-साथ बाली को विशेष रूप से प्रभावित करता है, इस कीट का लार्वा मक्के के छोटे पौधे के डन्ठल आदि के अन्दर घुसकर अपना भोजन प्राप्त करते है। इस कीट के प्रकोप की पहचान फसल की बढ़वार की अवस्था में जैसे पत्तियो को खुरच कर खाने से पारदर्शी झिल्ली का बनना, पत्तियों मे छिद्र एवं कीट के मल-मूत्र से पहचाना जा सकता है, मल महीन भूसे के बुरादे जैसा दिखाई देता है।
जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने फसल की गहन निगरानी एवं सर्वेक्षण के साथ प्रबंधन की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि फाॅल आर्मी वर्म के अण्डों एवं लार्वा को एकत्रित करके नष्ट कर देना चाहिए। टैप फसल जैसे नैपियर की 3-4 मक्के की फसल के चारों ओर बुवाई करने से इसका प्रभावी नियंत्रण होता है। टैप फसलों पर इसका प्रकोप दिखाई देने पर 5 प्रतिशत एन०एस०के०ई० (नीम सीड करनल एक्सटेक्स) अथवा एजाडिरैक्टिन 1500 पी०पी०एम० (नीम आयल) का छिड़काव करना चाहिए।
उन्होंने जनपद के किसानों को कीट से बचाव हेतु सुझाव देते हुए बताया कि फसल की प्रारम्भिक अवस्था मे यांत्रिक विधि के तौर पर सांयकाल (7 से 9 बजे तक) मे 3 से 4 की संख्या मे प्रकाश प्रपंच एवं 8 से 10 की संख्या मे बर्ड पर्चर टी आकार की डण्डे जिस पर चिड़िया बैठे प्रति एकड़ लगाना चाहिए।
इसके अतिरिक्त उन्होंने रासायनिक नियंत्रण हेतु स्पीनेटोरम 11.7 प्रतिशत एस०सी० 0.5 मिली० अथवा क्लोरेन्टानिलिप्रोल 18.5 प्रतिशत एस०सी० 0.4 मिली० अथवा थायोमेथाक्साम 12.6 प्रतिशत लैम्ब्डा साईहैलोथ्रिन 9.5 प्रतिशत जेड०सी० 0.25 मिली० को प्रति ली० पानी में घोल बनाकर भूहा (टेसल) की अवस्था से पूर्व छिडकाव करे।
जिला कृषि रक्षा अधिकारी श्री के0के0सिंह ने जनपद के समस्त किसानों को बताया कि फॉल आर्मी वर्म की पहचान एवं प्रबन्धन हेतु जो जानकारियाँ दी गई हैं, उनका संवेदनशील होकर प्रयोग करें ताकि इस कीट के प्रकोप से फसल को बचाया जा सके।
Discover more from New India Times
Subscribe to get the latest posts sent to your email.