लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू है भी या नहीं, मध्य प्रदेश-महाराष्ट्र में सार्वजनिक संसाधनों के सहारे जमकर हो रहा है भाजपा का प्रचार, इस करतूत में पिछड़ा विपक्ष | New India Times

नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू है भी या नहीं, मध्य प्रदेश-महाराष्ट्र में सार्वजनिक संसाधनों के सहारे जमकर हो रहा है भाजपा का प्रचार, इस करतूत में पिछड़ा विपक्ष | New India Times

18वीं लोकसभा के आम चुनाव के लिए वोटिंग की समय सारिणी घोषित हो चुकी है। चुनाव प्रक्रिया सुचारू रूप से संपन्न कराने के लिए निर्वाचन आयोग ने आचार संहिता लागू कर तो दी है लेकिन भाजपा के प्रभाव में आ कर नियमों और कानून को अमल में लाने की सख्ती से भाजपा को छूट दे दी गई है। 2014 के चुनाव को याद कीजिए पूरे देश में चरणबद्ध तरीके से मतदान हो रहा था। वोटिंग के दिन भाजपा के PM पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी जी टीवी स्क्रीन पर लाइव आ कर वोटर्स को भाजपा को वोट देने की अपील कर रहे थे। दस साल के बाद कुछ भी नहीं बदला अब मोदी जी रोज किसी न किसी न्यूज चैनल में भाषण देने जा रहे हैं। गाय बेल्ट के हिंदी भाषी राज्य और महाराष्ट्र में सार्वजनिक जगहों की दीवारें भाजपा द्वारा उकेरे गए विज्ञापनों के लिए टीवी स्क्रीन बन चुके है। हम NH 753L फेज 2 की स्टोरी करने मध्य प्रदेश के बुरहानपुर गए तब देखा कि महाराष्ट्र – MP सीमा पर MP की पुलिस चौकी भी कमल के निशान से छापी गई है। इच्छापुर दापोरा शाहपुर बुरहानपुर के छोटे छोटे बस स्टॉप भाजपा के झंडे के हरे और भगवे रंग से रंगे हुए हैं। महाराष्ट्र में दीवार लेखन के नाम पर निजी इमारतों की दीवारों पर धांसू फॉन्ड में चस्पाया गया ” फिर एक बार मोदी सरकार ” का नारा चुनाव आयोग का मखौल उड़ाता मालूम पड़ रहा है। हमने पाया कि प्रचार की इस मनमानी में कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा या विपक्ष के किसी भी दल के झंडा पोस्टर निशान का नामोनिशान नहीं है। संवैधानिक संस्थानों को नियंत्रण में लाकर प्रचार प्रसार प्रणाली में भाजपा ब्रह्मांड की अति भव्य दिव्य महाशक्ति बन चुकी है। भारत कैसे जुटेगा क्या ? इंडिया जीतेगा यह आने वाला समय ही बताएगा। आज शाहिद ए आज़म भगत सिंह का स्मृति दिवस है। जून 1927 को कीर्ती मैगजीन में Religious Rights and their Solutions इस विषय पर भगत सिंह लिखते हैं। ” लोगों को आपस में लड़ने से रोकना है तो उन्हें अमीर गरीब का अहसास दिलाना होगा, गरीब मजदूरों और किसानों को यह समझाना होगा की उनके असली दुश्मन पूंजीवादी हैं।


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