मेहलक़ा इक़बाल अंसारी, बुरहानपुर/इन्दौर (मप्र), NIT:
इस्लाम धर्म के अनुयायियों के सामने दुनिया और आखिरत को बनाने और संवारने की बात पूरी तरह से स्पष्ट है। अपने शिक्षात्मक विकास के साथ भारतीय मुस्लिम ने अपने धार्मिक उलमाओं मार्गदर्शन में इस मिशन पर काम कर रहे हैं। बिरादराने वतन के एक संगठन ने एक सदी की मेहनत के साथ देशवासियों को अपने मिशन के साथ एकत्रित किया है, बिल्कुल उसी तरह मुस्लिम भारतीय भी अब शिक्षा के क्षेत्र में अपने कदम आगे बढ़ाते हुए देश की तरक्की और खुशहाली के लिए प्रयासरत हैं, जिसके परिणाम भी अल्हम्दुलिल्लाह देखने को मिल रहे हैं कि हिन्दुस्तानी मुस्लिम आधुनिक शिक्षा के साथ दीनी शिक्षा भी प्राप्त करके अपनी दुनिया और अपनी आखिरत को बनाने और देश की तरक्की और खुशहाली के लिए तत्परता से प्रयासरत हैं।
कुछ महीने पहले सोशल मीडिया के माध्यम से यह खबर वायरल हुई थी कि केरला में मुस्लिम समुदाय के 50 लोगों ने कानून की डिग्री हासिल करके अपने समुदाय को इंसाफ दिलाने का इरादा किया है। इसके साथ ही एक और खबर सामने आई है कि धार्मिक और आधुनिक शिक्षा का सुंदर संगम और शहर इंदौर का प्रसिद्ध संस्थान तैबा कॉलेज ऑफ इंटीग्रेटेड स्टडीज में अध्यनरत आठ बच्चों ने धार्मिक शिक्षा में आलिम पाठ्यक्रम (धार्मिक विद्वान) के साथ आधुनिक शिक्षा में ग्रेजुएशन किया। इस अवसर पर संस्थान की ओर से तीसरा जश्ने दस्तारबंदी (दीक्षांत समारोह) का आयोजन किया गया। जिसमें मुफ्ती ए आज़म मालवा मुफ्ती मोहम्मद नूर उल-हक नूरी साहब के दस्ते मुबारक से इन 08 छात्रों को सम्मानित किया गया।
मुफ्ती साहब ने फारिग छात्रों को सलाह देते हुए कहा कि: प्रिय बच्चों! अब आप आलिम (धार्मिक विद्वान) बन चुके हैं। आपके सर पर यह दस्तार इसलिए बांधा गया है कि अब आप जिम्मेदार बन जाएं, देश और समाज की प्रगति के लिए सोचें और काम करें। और उन्होंने यह भी कहा कि अपने संस्थान से हमेशा जुड़े रहें; क्योंकि जब एक फूल अपने पेड़ से अलग हो जाता है तो उसका मूल्य और महत्व कम हो जाता है।
इस कार्यक्रम का शुभारंभ हाफ़िज़ अयान की तिलावत ए कलाम पाक से हुआ, जबकि तैबा कॉलेज के छात्रों ने अरबी नशीदें और नअतें पढ़ीं। कार्यक्रम का संचालन उस्ताद ज़हूर मिसबाही ने अपने विशेष अंदाज में किया। कॉलेज के डायरेक्टर ऊस्ताद अबु बक्र सिद्दीक नूरानी ने चादर पोशी (शाल भेंट करना) और मोमेंटो प्रस्तुत करके सभी मेहमानों का उत्साहपूर्वक स्वागत किया और संस्थान का उद्देश्य बयान करते हुए कहा कि इस संस्थान की नींव इसलिए रखी गई है कि मुस्लिम समुदाय के बच्चों को एक साथ एक ही छत के नीचे आलिम बनाने के साथ-साथ ग्रेजुएट भी बनाया जाए।
पाठकों को बता दें कि तैबा कॉलेज इन्दौर में 07 वीं पास छात्रों को आलिमियत पाठ्यक्रम के साथ-साथ पूरे 8 साल नि: शुल्क भोजन और आवास की व्यवस्था के साथ उन्हें ग्रेजुएशन कोर्स भी कराया जाता है। इस आयोजन में बुरहानपुर के ओवैस अहमद अलताफ अहमद निवासी हरीरपुरा को इस दीक्षांत समारोह में दस्तारबंदी के माध्यम से सम्मानित किया गया। बुरहानपुर के इस छात्र अवैस के पिता जनाब अलताफ अहमद गाँव के हफ्तावारी हाट बाज़ारों में फेरी करके अपने परिवार का जीवन यापन करते हैं। अवेस के दादा मरहूम भी नगर पालिका में नियोजित थे, साथ ही लायंस क्लब में भी वे अपनी मानद सेवाएं देते थे। लेकिन इनके पिता ने एक समय का खाना मत खाना लेकिन अपने बच्चों को पढ़ाना की कहावत को चरितार्थ करते हुए उन्होंने अपने बच्चे को आधुनिक शिक्षा के साथ आलिम (धार्मिक विद्वान) बनाया।
ओवैस बुरहानपुर के मशहूर और प्रसिद्ध व्यक्ति और सरकारी शिक्षक हाजी एजाज़ अहमद राही (आनरेरी पेश इमाम टीके वाली मस्जिद बुरहानपुर) के सगे भांजे हैं। इंदौर के इस संस्थान से जिन आठ बच्चों को दस्तार से नवाज़ा गया उनके नाम निम्न अनुसार हैं: (1) अवेस अहमद अल्ताफ अहमद बुरहानपुर (2) जुनैद अंसारी बुरहानपुर (3) अब्दुल मुगीस इन्दौर (4) अब्दुल मतीन इंदौर (5) आले रसूल इंदौर (6) रज़ा अल मुस्तफा अंसारी इंदौर (7) हुसैन अंसारी भिवंडी महाराष्ट्र (8) फैसल शेख़ देवास।
उल्लेखनीय है कि उपरोक्त मदरसा इंदौर शहर के खजराना क्षेत्र में विगत 11 वर्षों से केरला की शाखा और स्थानीय गणमान्य नागरिक जनों की प्रबंधन कमेटी के अंतर्गत संचालित हो रहा है। इस मदरसे में प्रवेश के लिए इच्छुक छात्र इसकी अधिक जानकारी प्राप्त करके अपने बच्चों का दाखिला कर सकते हैं।
Discover more from New India Times
Subscribe to get the latest posts to your email.