नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
“मरे हुए आदमी की हड्डियां गंगा में बहाने से पुण्य नहीं मिलता और गटर में बहाने से पाप नहीं लगता ” इन शब्दों से अंधश्रद्धा पर कड़े प्रहार करने वाले महाराष्ट्र के महान समाज सुधारक गाड़गे बाबा का समाधी स्थल आज प्रतिगामी विचारों के अंधेरे में ओझल हो गया है। तर्कशील और वैज्ञानिक विचारों से भयभीत मोदी सरकार की आश्रित शिंदे – फडणवीस टीम ने गाड़गे बाबा ग्राम स्वच्छता अभियान को बंद कर भाजपा के प्रचार प्रसार के लिए स्वच्छ भारत अभियान चलाया जिसके पोस्टर से गांधी को हटाकर सिर्फ़ उनके चश्मे को जगह दी। New India Time’s की ओर से हमने अमरावती स्थित गाड़गे बाबा के समाधी स्थल को लेकर यह रिपोर्ट बनाई है। डेबुजी झिंगराजी जानोरकर गाड़गे बाबा के देहावसान के बाद उनके पार्थिक को राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज के हाथों 20 दिसंबर 1956 के दिन मुखाग्नि दिया गया था यही पर समाधी स्थल विकसित किया गया।
सर्वोत्तम भूमिपुत्र गौतम बुद्ध , कबीर , महात्मा फूले , छत्रपति शाहू , डॉ बाबासाहेब आंबेडकर , पेरियार रामास्वामी नायकर , कर्मवीर भाऊराव पाटील इन विभूतियों की कतार से गाड़गे बाबा को इतिहास कभी अलग नहीं कर सकता। हाथ में झाड़ू लेकर गांव गांव जा कर लोगों के मन मस्तिष्क से रूढ़िवादी, अप्रगत विचारों की सफ़ाई करने वाले गाड़गे बाबा की अमरावती में बनी समाधी स्थल को ट्रस्ट द्वारा संचालित किया जाता है। अन्नछत्र , निवास , पुस्तकालय , छात्रावास जैसी सुविधाओं के साथ मनुवादी व्यवस्था पर कुठाराघात करने वाले गाड़गे बाबा के प्रवचनों की विरासत को अधूरे संसाधनों के बूते आगे बढ़ाने वाली इस संस्था को सरकार से कोई ठोस आर्थिक सहायता नहीं मिलती। समाधी स्थल के पीछे गाड़गे बाबा की पत्नी कुंतीबाई का मंदिर है। प्रांगण में उच्च शिक्षारत सैकड़ों छात्र हर रोज़ स्वअध्ययन करते नज़र आते हैं। मंदिर में भजन टोलिया सुबह शाम गाड़गे बाबा रचित अभंगो को गुनगुनाती हैं। हमने संस्था के कर्मियों से बात की उन्होंने बताया कि सारा कैंपस दो एकड़ जमीन पर बसा हुआ है। जन भागीदारी और सरकार से मिलने वाले नाममात्र आर्थिक सहायता से कामकाज चलाने मे संतोष मिलता है। देश का नागरिक दशकों से दो विचार धाराओं की लड़ाई लड़ रहा है आज संघर्ष तीव्र है। सेक्युलर विंग की ज़िम्मेदारी बनती है कि वह अपनी विचारधारा के प्रणेताओं की वैचारिक धरोहरों शक्ति केंद्रों को संरक्षित और संवर्धित करें।
Discover more from New India Times
Subscribe to get the latest posts sent to your email.