नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
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फोटो में दिखाई दे रहा प्रोजेक्ट जामनेर नगर परिषद की ओर से 75 करोड़ रुपए से बना हुआ ड्रेनेज सिस्टम प्लान है। इस प्रोजेक्ट की मेहरबानी से हाल हि में शहर के लिए 150 करोड़ रुपए से सीमेंट कांक्रीट की धांसू सड़के बनाने का टेंडर मुंबई के किसी ठेकेदार को बहाल किया गया है। अब इन 150 में कमीशन के किसके कितने वो हिसाब हमें पता नहीं है। ड्रेनेज सिस्टम के अंतिम चरण में मुख्य रूप से बनाई गई फिल्टर प्लांट की जो तकनीकी यूनिट है उसको नगर परिषद ने अब तक अपने कार्यक्षेत्र में समाहित नहीं किया है। जानकारी के मुताबिक बीते तीन चार सालों से सुरंगी ड्रेनेज सिस्टम को निजी कंपनी द्वारा नगर परिषद को सौंपा नहीं गया है। कंपनी की ओर से सिस्टम को चलाया और नियंत्रित किया जा रहा है। कंपनी का निगम के ऊपर कुछ 20 लाख रुपया बकाया होने की बात बताई जा रही है। NIT ने शहर के बाहर खड़े किए जा रहे कूड़े के पहाड़ को लेकर तीन स्टोरी प्रकाशित की थी जिसके बाद आज तक किसी ने कचरा प्रबंधन प्लांट शुरू करने की गारंटी नहीं ली। गारंटी से याद आया कि खुद लोकसभा चुनाव लडने से डरने वाले भाजपा के कई नेता आज कल मोदी की गारंटी की माला जपने में लीन हैं। सूबे की सड़कों पर जूता मारो, पुतला फूंको जैसे इवेंट करने वाली राजनीतिक टोलिया फोटो खिंचवाने में मशगूल है। महाराष्ट्र में लगभग सभी महानगर, पालिका, जिला परिषद और निकायों के चुनाव कराने से भाजपा घबरा रही है। नतीजतन प्रशासक राज में शहरों के बुनियादी ढांचे की हालत बदतर हो चुकी है। जलगांव शहर से तो गड़चिरोली बेहतर मालूम पड़ने लगा है। साफ सफ़ाई के मामले में जलगांव के सार्वजनिक शौचालय लूट के केंद्र बन गए हैं इनमें पेशाब करने का भी एक रूपया देना पड़ रहा है। स्वच्छ भारत अभियान का करोड़ों रुपया कहां गया? किसने खाया? इस भ्रष्टाचार की गारंटी कौन लेगा? आम नागरिक सवाल पूछ रहे हैं। सरकार बस मनपा, जि0प और निकायों के चुनाव घोषित करवा दे जनता को जवाब मिल जाएंगे।
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