नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
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पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजे 48 घंटो बाद सामने आ जाएंगे जिसके बाद मोदी सरकार का वन नेशन वन इलेक्शन जुमला फेल साबित हो जाएगा। महंगाई, बेरोजगारी, राशन दुकानों, बैंको और सेवा केंद्रो के बाहर ऑनलाइन के नाम पर लगने वाली लंबी कतारों की मारामारी से तंग आ चुका नागरिक जुमलों और शगुफो पर हंसना भी पसंद नहीं कर रहा है। उसने अंधभक्तों के देशभक्त नेताओं को सोशल मीडिया पर ट्रोल करना छोड़ दिया है। छल कपट की सोच ने महाराष्ट्र के राजनिति की जो स्थिती बनाई है उससे चिड़ा हुआ किसान – मजदूर , बेरोजगार और समाज का हर तबका सभी पार्टियों की सभाओं से दूरी बनाकर सब्र का परिचय दे रहा है। जलगांव में 30 नवंबर को NCP (शरद पवार) की ओर से आयोजित आक्रोश मोर्चा में महज 2 हजार किसान शामिल हुए। भाजपा के घर – घर अभियान का हाल इससे भी बुरा है नेता और कार्यकर्ता हि हर घर – घर – घर मुहिम में फोटो खिंचवा रहे हैं बेघर गरीब की कौन सुद लेगा। मध्य प्रदेश , छत्तीसगढ़ , राजस्थान , तेलंगाना , मिजोरम इन पांच राज्यो की विधानसभा चुनाव नतीजों को लेकर कई सर्वे रिपोर्ट जारी हो चुके है।
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भाजपा को राजस्थान से उम्मीद है मैजिक का खेल आंकड़ों पर निर्भर करेगा। रिपोर्ट के मुताबिक भाजपा मध्य प्रदेश गंवा रही है यहां कांग्रेस 230 सीटों मे 140+ हो सकती है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सत्ता में वापसी करती नजर आ रही है। तेलंगाना में मुकाबला BRS और कांग्रेस के बीच है यहां भी जनता परिवर्तन के मुड़ में है। मिजोरम में भाजपा का दूर दूर तक कोई संबंध नहीं यहां क्षेत्रीय पार्टियों का आपसी भाईचारा रंग लाएगा। सीमावर्ती राज्य काऊ बेल्ट कहे जाने वाले मध्य प्रदेश के नतीजों को काउंटर करने के लिए महाराष्ट्र में भाजपा ने कमर कस ली है। एक से सात दिसंबर तक राज्य में ताबड़तोड़ तरीके से विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कराया गया है। देश और प्रदेश की जनता में लोकतंत्र के उत्सव की आभा निष्प्रभ करने के लिए यंत्र-तंत्र-मंत्र का सहारा लिया जा रहा है। 4 को स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कोंकण में पधार रहे हैं। सात दिसंबर से राज्य विधानसभा का शीत सत्र शुरू होगा जो महीने के अंत तक चलेगा। इस सत्र से अकाल पीड़ित किसानों बेरोजगार नौजवानों को कोई ठोस लाभ मिलेगा इसकी गारंटी नहीं है।
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