होम्योपैथी के सिरमौर सिद्धार्थनगर उत्तर प्रदेश के डॉक्टर भास्कर शर्मा से खास बातचीत | New India Times

अबरार अली, ब्यूरो चीफ, सिद्धार्थ नगर (यूपी), NIT:

प्रश्न- चिकित्सा के क्षेत्र में आपके पास कौन-कौन सी डिग्री है?
उत्तर- मेरे पास होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति की विश्व की सबसे बड़ी डिग्री है। बीएचएमएस, एमडी (होम्योपैथिक मैटेरिया मेडिका) पीएचडी (होम्योपैथिक)

प्रश्न- आपने होम्योपैथिक चिकित्सा में अपना रजिस्ट्रेशन किन-किन जगहों पर कराया है और रजिस्ट्रेशन नंबर कितना है?
मेरा रजिस्ट्रेशन होम्योपैथिक मेडिसिन बोर्ड उत्तर प्रदेश में जिसका रजिस्ट्रेशन नंबर H028 454 तथा केंद्रीय होम्योपैथिक परिषद नई दिल्ली भारत सरकार में 2539 है।

प्रश्न- अभी तक आपने कितने पुस्तकों का लेखन किया है तथा समाज में इसका क्या प्रभाव रहा है?
मैंने होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति की 156 पुस्तकों का लेखन किया है। हमारी प्रकाशित पुस्तकों के द्वारा समाज में जागरूकता उत्पन्न हुई है। लोग स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हुए और समय रहते अपने इलाज के लिए तत्पर हुए हैं।

प्रश्न- आपने अब तक कितने निःशुल्क चिकित्सा शिविर का आयोजन कर चुके हैं? सैकड़ों निःशुल्क चिकित्सा शिविर का लगा चुका हूं। विभिन्न स्थानों पर निःशुल्क चिकित्सा शिविर लगाने से वहां के स्थानीय लोगों को जो गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं उन्हें तत्काल सुविधा मिली।

प्रश्न -क्या आपका नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है किसके लिए दर्ज है?
मेरा नाम होम्योपैथिक चिकित्सा क्षेत्र में लार्जेस्ट होम्योपैथी लेशन के लिए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है। विश्व का एकमात्र चिकित्सक हूं जो मेरा नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में होम्योपैथी के क्षेत्र में दर्ज है। इससे विश्व के तमाम देशों में स्वास्थ्य के प्रति कार्य करने की जिज्ञासा उत्पन्न हुई जिसमें श्रीलंका, जापान, जर्मनी, लंदन, कंबोडिया आदि इत्यादि देशों में एक सकारात्मक संदेश गया। इसके अलावा वर्ल्ड रिकॉर्ड बुक, इंटरनेशनल बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड, गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड आदि 58 वर्ल्ड रिकॉर्ड बुक में नाम दर्ज है।

प्रश्न- आपने होम्योपैथिक चिकित्सा की कौन-कौन सी पुस्तकों का लेखन किया है। कुछ महत्वपूर्ण पुस्तकों का नाम बताएं? टेक्स्ट बुक ऑर्गनॉन ऑफ़ होम्योपैथिक मेडिसिन, होम्योपैथिक रिपोर्टरी एंड केस टेकिंग, होम्योपैथिक फार्मेसी, प्रैक्टिस ऑफ होम्योपैथिक मेडिसिन, द ह्यूमन एनाटॉमी, द ह्यूमन फिजियोलॉजी, जनरल पैथोलॉजी, होम्योपैथिक साइकोलॉजी, ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी, फॉरेंसिक मेडिसिन एंड टॉक्सिकोलॉजी, टेक्सबुक ऑफ़ बायोकेमेस्ट्री, होम्योपैथिक मैटेरिया मेडिका भाग 1 भाग 2 भाग 3, होम्योपैथिक थैरेपीयूटिक्स, कैंसर एंड होम्योपैथी, होम्योपीडिया मैटेरिया मेडिका,

प्रश्न- आपके द्वारा होम्योपैथी में कोई शोध पत्र भी प्रकाशित किया गया है? जी हां मेरे विश्व के टॉप रिसर्च जर्नल पबमेड, स्कोपस, पीर रिव्यूड, यूजीसी केयर रिसर्च जर्नल में मेरे 100 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं।

प्रश्न- होम्योपैथी क्या है? होम्योपैथी शब्द का अर्थ है ‘समान पीड़ा’। जब एक स्वस्थ व्यक्ति को औषधीय रूप से प्रेरित पदार्थों की उच्च खुराक दी जाती है, तो वे कुछ लक्षण विकसित कर सकते हैं। होम्योपैथिक दवा या होम्योपैथी इस आधार पर काम करती है कि जब एक ही पदार्थ को पतला किया जाता है, तो वे विभिन्न कारणों से उत्पन्न होने वाले समान लक्षणों के उपचार में मदद करते हैं। होम्योपैथिक दवाएं रोगाणुओं पर हमला करने के लिए नहीं जानी जाती हैं, बल्कि रोग के कारण से लड़ने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देती हैं। शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने के अलावा, होम्योपैथिक दवाएं रोगी के मनोवैज्ञानिक, भावनात्मक और शारीरिक कल्याण को बढ़ावा दे सकती हैं, जो उपचार का एक अनिवार्य हिस्सा है।

प्रश्न- क्या होम्‍योपैथिक दवाओं का साइड इफेक्‍ट होता है? होम्‍योपैथी ए‍क पूरी तरह सुरक्षित चिकित्‍सा पद्धति है। एलोपैथी के तरह इसका कोई साइड इफेक्‍ट नहीं होता। अंग्रेजी मेडिसिन में आप जिस भी बीमारी के इलाज के लिए जिस भी दवा का सेवन करते हैं, उसका कोई न कोई साइड इफेक्‍ट जरूर होता है। ट्यूबरकुलोसिस की दवा टीबी का इलाज तो करती है, लेकिन साथ ही लिवर पर भी नकारात्मक असर डालती है। माइग्रेन के लिए ली जा रही दवा का साइड इफेक्‍ट ये है कि ये रक्‍त को पतला करती है। किसी भी तरह के दर्द के लिए हम जो पेनकिलर लेते हैं, वो पेनकिलर शरीर की इम्‍युनिटी को कमजोर कर रहा होता है। लेकिन होम्‍योपैथी के साथ ऐसा नहीं है। इसका कोई साइड इफेक्‍ट नहीं है। यह दवा सिर्फ उस बीमारी और कष्‍ट का ही निवारण करती है, जिसके लिए वह दी जा रही है‌

क्या होम्योपैथी द्वारा सभी रोगों का इलाज किया जा सकता है? चिकित्सा की किसी भी अन्य प्रणाली की तरह, होम्योपैथी की भी अपनी सीमाएँ हैं। होम्योपैथी द्वारा विभिन्न प्रकार के रोगों का इलाज किया जा सकता है सिर्फ ऐसे मामलों के सिवाए जिसमें शल्य-चिकित्सा की आवश्यकता है। इसके अलावा, कुछ तथा-कथित शल्य-चिकित्सीय रोग जैसे कि बढ़े हुए टॉन्सिल, किडनी स्टोन, बवासीर, गर्भाशय के ट्यूमर इत्यादि का भी होम्योपैथी द्वारा इलाज किया जा सकता है।

प्रश्न- होम्योपैथी गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों के लिए पूरी तरह सुरक्षित है? होम्‍योपैथिक दवाएं अपनी प्रकृति में चूंकि आक्रामक नहीं होतीं, इसलिए यह गर्भवती महिलाओं, छोटे बच्‍चों, शिशुओं और बुजुर्गों के लिए भी पूरी तरह सुरक्षित हैं। कमजोर शरीर पर इनका कोई नकारात्‍मक असर नहीं होता।

प्रश्न -होम्योपैथिक दवा कितने दिन में काम करता है?
होम्योपैथिक दवाओं के असर करने का समय कई कारकों पर निर्भर करता है। अगर रोग की हाल ही में उत्पत्ति हुई है तो इलाज कम समय में ही पूरा किया जा सकता है। ऐसे में, अगर दवा का चयन, प्रभावशीलता एवं पुनरावृत्ति का समय सही हो तो होम्योपैथिक दवाएं जल्द असर करती हैं।

प्रश्न- क्या यह सच है कि होम्योपैथिक इलाज के दौरान चाय, प्याज, लहसुन आदि का सेवन करना मना होता है?
नहीं यह सच नहीं है, होम्योपैथिक इलाज के दौरान प्याज, लहसुन, चाय, कॉफी, पान इत्यादि का सेवन करना मना नहीं होता है।

प्रश्न- क्या मधुमेह के रोगी ऐसी होम्योपैथिक दवाओं का सेवन कर सकते हैं जिसमें चीनी होती है?
हाँ, मधुमेह के रोगी चीनी युक्त होम्योपैथिक दवाओं का सेवन कर सकते हैं क्योंकि इन दवाओं में चीनी की मात्रा बहुत कम होती है। जरूरत अनुसार, यह दवाइयां आसुत जल के साथ भी ली जा सकती हैं।


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By nit

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