Edited by Sabir Khan, NIT:
नज़ीर मलिक, वरिष्ठ पत्रकार

इज़राइल के आधुनिक हथियारों की दुनियां में बेहद चर्चा होती थी। उसकी सीमा पर परिंदा पर नहीं मार सकता क्योंकि उंसके आयरन डोम पूरे इस्राइली आकाश की हिफाज़त करते हैं। अनजाने में भी कोई मिजाइल इज़राइल की ओर बढ़े तो यह आयरन डोम उसे आकाश में ही मार गिराएंगे। उनके टैंकों के बारे में दावा था कि उसे तोड़ने के लिए लोहे के चने चबाने पड़ेंगे। उनका राडार सिस्टम, उनके युध्द सबंधी अन्य खुफिया अस्त्र शस्त्र के बारे में विश्व में सर्वश्रेष्ठ होने का दावा किया जाता था। अपने इसी दावे को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ज़बरदस्त प्रचारित कर इज़राइल ने अपने अस्त्रों, शस्त्रों को खूब बेचा और भारी कमाई करता रहा है। भारत भी उसके कुछ आइटम की खरीदारी करता रहा है।
लेकिन पिछले दिनों हमास मिलिशिया के एक हमले ने इज़राइल के सारे दावों की पोल खोल दी। हमास ने ना केवल इज़राइल के दावों की पोल खोली बल्कि उसे नंगा कर के रख दिया। एक लाख की लागत वाली देसी मिसाइलों ने इस प्रकार इज़राइल पर सफल हमले किये की इजराइली आसमान पर बिछी उसकी अजेय आयरन डोम कुछ न कर सकीं। इस हमले ने इज़राइल के मध्य एशिया में उसके अजय होने का भरम तो तोड़ा ही है दुनियां में सर्वश्रेष्ठ कही जाने वाली उसकी खुफिया एजेंसी मोसाद को भी मुंह छिपाने लायक नहीं छोड़ा है। अब इज़राइल से हथियार ख़रीदने वाले मुल्क इस बारे में सोचेंगे ज़रूर।

इज़राइल और हमास के बीच की जंग कब रुकेगी यह कहना तो मुश्किल है मगर हमास के हमले से इतना तो पता चल गया है कि इज़राइल मध्य-एशिया में अजय नहीं है। इसका सबूत 2007 में हिजबुल्लाह ने भी दे दिया था। इस युद्ध से दो बातें सामने आ गईं हैं, पहला यह कि इजराइली डिफेंस आयरन डोम सिस्टम की उपयोगिता पर सवाल खड़े कर दिए तथा उसके विख्यात शक्तिशाली टैंकों को जिस प्रकार हमास मिलिशिया के बाइक सवारों ने मार गिराए उसे देख अब उसकी बिक्री यकीनन घटेगी।
दूसरी बात यह की हिजबुल्लाह के बाद हमास ने जिस प्रकार इज़राइल के इतने सैनिक मारने के साथ उसकी सुरक्षा व्यवस्था को भेदा है उससे वह अजेय नहीं रह गया है। ज़रा सोचिए कि जब इज़राइल हमास व हिज्बुल्लाह जैसे पिद्दी मिलिशियाओं से पिट जा रहा है तो वह ईरान-तुर्की जैसे देशों की विश्वस्तरीय मिसाइलों, युद्धक ड्रोनों व अन्य हथियारों का मुकाबला कैसे कर सकेगा। डिफेंस के जानकार मानते हैं कि आज नहीं तो कल इज़राइल की निर्णायक जंग ईरान से ही होगी।