श्रीमद् भागवत कथा का भव्य आयोजन राधा कृष्ण मंदिर पिटोल में, भागवत कथा अमृत का रसपान कर रहे श्रद्धालु | New India Times

रहीम शेरानी हिन्दुस्तानी/पंकज बडोला, झाबुआ (मप्र), NIT:

श्रीमद् भागवत कथा का भव्य आयोजन राधा कृष्ण मंदिर पिटोल में, भागवत कथा अमृत का रसपान कर रहे श्रद्धालु | New India Times

राधा कृष्ण मंदिर पिटोल में भागवत कथा अमृत का रसपान कर रहे श्रद्धालु प्रतिवर्ष अनुसार इस वर्ष भी सार्वजनिक राधा कृष्ण मंदिर पिटोल में भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। इस आयोजन में पिटोल सहित आसपास गांवों के सैकड़ो श्रद्धालु भागवत कथा सुनने के लिए आ रहे हैं। इस कथा में राजस्थान तलवाड़ा के गो संत श्री रघुवर दास के मुखारविंद से संगीत मय भागवत कथा में भागवत ज्ञान गंगा प्रवाहित हो रही है।

श्रीमद् भागवत कथा का भव्य आयोजन राधा कृष्ण मंदिर पिटोल में, भागवत कथा अमृत का रसपान कर रहे श्रद्धालु | New India Times

कथा में महाराज श्री ने कहा कि राधा और कृष्ण अलग नहीं है दोनों एक ही है, राधा- कृष्ण की परछाई है अतः राधा कृष्ण दोनों ही नाम सुखदाई है ।

भक्ति की विवेचना करते हुए बताया कि मानव शरीर में भक्ति प्रकट होगी तो ईश्वर पाने रास्ता सुलभ हो जाएगा मनुष्य एक बार भगवान की तरफ झुक जाए तो उसके जीवन में मंगल ही मंगल होना शुरू हो जाएगा, प्रत्येक परिवार में छोटे-छोटे बच्चों को संस्कार देना ही सनातन धर्म है, जिसने जिंदगी भर राम-राम किया होगा वह मरते समय भी राम को याद करेगा व जिसने कभी राम नाम जपा ही नहीं वह मरते समय भी राम नाम नहीं जप सकेगा।

कथा अमृत में विभिन्न प्रासंगिक भागवत कथा , भक्त और भगवान दोनों की कथा है और इसका मूल भाव है “ सत्यम परम धीमहि “ भागवत के आरम्भ में विष्णु या नारायण की नहीं “ सत्य “ की पूजा करी गई है ।
प्रेम बस और कुछ नहीं, प्रेम से ही सब कुछ सार्थक है, प्रेम से ही भगवान को वशीभूत किया जा सकता है, यही भागवत का सार है।कथामृत से पापों का होता है नाश।

श्रीमद भागवत महापुराण ऐसी कथा अमृत है जो देवताओं के लिए भी दुर्लभ है। इसीलिए परीक्षित ने स्वर्गामृत के बजाय कथामृत की ही मांग की।
क्योंकि इस कथामृत का पान करने से समस्त पापों का नाश हो जाता है। इंसान के मन में भक्ति तो जागृत होती है, पर वह भक्ति स्थाई नहीं होती। इसका कारण यह है कि हम ईश्वर की भक्ति तो करते हैं पर हमारे अंदर वैराग्य व प्रेम नहीं होता।

इसलिए वृंदावन में जाकर भक्ति देवी तो तरुणी हो गई,पर उनके पुत्र ज्ञान और वैराग्य अचेत और निर्बल पड़े रहते हैं। उनमें जीवंतता और चैतन्यता का संचार करने हेतु नारद जी ने भागवत कथा का ही अनुष्ठान किया।
कल्पवृक्ष है भागवत कथा में बताया कि व्यास जी कहते हैं कि भागवत कथा एक कल्पवृक्ष की भांति है, जो जिस भाव से कथा श्रवण करता है, वह उसे मनोवांछित फल देती है, और यह निर्णय हमारे हाथों में है आज की कथा में भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया गया इस जन्मोत्सव में झाबुआ जिले के प्रसिद्ध तपोभूमि तीर्थ स्थल पीपल खुटा के संत 108 श्री दयाराम दास महाराज भी पिटोल कथा में पधारकर भक्तों को आशीर्वचन के साथ आशीर्वाद दिया

महाराज ने श्रद्धालुओं को प्रवचन के दौरान कहा कि भागवत कथा संपूर्ण शास्त्रों का सार है।
इसे पंचम वेद भी कहा जाता है। भागवत के संपूर्ण मंत्र भगवान श्री कृष्ण के स्वरूपों का वर्णन है।

उन्होंने कहा कि भागवत कथा से ही परित्राण से मुक्ति प्राप्त हो सकता है। उन्होंने कहा कि इसके सुनने मात्र से ही पारिवारिक सुख-शांति एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है
भजन- लगन तुमसे लगा बैठे जो होगा देखा जाएगा, तू तो काली ने कल्याणी मारी मां ,द्वारिका नो नाथ मारा राजा रणछोड़ छे एने मने माया लगाड़ी रे ,भजनों के साथ श्रोतागण झूम उठे तबले पर ओम प्रकाश जेठवा, सेंथोसाइजर पर जिग्नेश कुमार, भजन गायक शैलेश भट्ट एवं नरेंद्र आचार्य ने भजनों के साथ संगत दी अंत में आरती के बाद प्रसाद भी वितरित किया गया ।


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