नगर पंचायत के टैक्स बढ़ोतरी के खिलाफ़ आक्रोश: नागरिकों के सवालों के जवाब देते सीओ के छूटे पसीने. क्या इस मामले को कोर्ट में चुनौती देगी महा विकास आघाड़ी? | New India Times

नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

जलगांव जिले के शेंदूर्णी नगर पंचायत की ओर से की गई मनमाने टैक्स बढ़ोतरी के खिलाफ़ शहर के नागरिकों ने विशाल मोर्चा निकाला। महा विकास आघाड़ी के नेताओं के नेतृत्व में आयोजित मोर्चा में शामिल लोगों की ओर से पूछे गए ताबड़तोड़ सवालों का जवाब देते देते नगर पंचायत के मुख्याधिकारी साजिद पिंजारी के पसीने छूट गये। सीओ अपने बगल में नगर निगम का रूल मैनुअल बुक दबाकर खड़े थे बाबजूद इसके उनसे जवाब देते नहीं बना! पंचायत की ओर से 2022-23 में टैक्स में 20 % बढ़ोतरी की गई है जिसे 2023 से 2026 तक कायम रहना है।

लोगों ने मांग की है कि बढ़े हुए टैक्स को रद्द किया जाए, संस्था की ओर से मास्टर प्लान के तहत किसानों के निजी खेतों पर गैरकानूनी तरीके से आरक्षण लाया गया है वो रद्द हो, टैक्स बढ़ोतरी को लेकर टैक्स पेयर्स को अपनी आपत्ती दर्ज कराने के लिए समय विस्तार प्रदान करे, इन मांगों को को लेकर आंदोलन किया गया। ज्ञात हो कि जब से नगर पंचायत हुई है तब से चार बार टैक्स बढ़ोतरी की जा चुकी है जबकि इसके तुलना में शहर के लिए बुनियादी सुविधाएं जीरो हैं।

आंदोलन के दौरान एनसीपी नेता संजय गरुड, शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट से पंडित जोहरे, शांताराम गुजर, सुधाकर बारी, दगड़ू पाटील और कांग्रेस के कार्यकर्ता मौजूद रहे।

प्रशासन और नेताओं की मिलीभगत

ग्राम पंचायत से नगर पंचायत मे तब्दील की गई इस स्थानीय निकाय संस्था पर भाजपा की सत्ता है! नगर पंचायत के CO सत्ता के संरक्षण के कारण बिना तबादला एक ही सीट पर सालों से डटे हुए हैं। बताया जाता है कि कमीशन का खेल और भ्रष्टाचार इतना प्रचंड है कि आम आदमी के सूचना अधिकार आवेदनों को जवाब तक नहीं दिया जाता। आरोप है कि प्रशासन और नेता दोनों के आपसी सहमति से विपक्ष और जनता को सताया जाता आ रहा है। टैक्स बढ़ोतरी का मसला इसी का नतीजा है। पहले भाजपा ने कहा था कि नगर पंचायत की ओर से कोई टैक्स नहीं बढ़ेगा लेकिन कथनी और करनी में अंतर न हो तो वो भाजपा कैसी। मंत्री महाजन के गृह नगर जामनेर में नगर परिषद के कामकाज का हाल ठीक शेंदूर्णी जैसा है। गैर-जरूरी टैक्स बढ़ोतरी, अव्यवस्था की जमीनी हकीकत और संवैधानिक बिंदुओं को लेकर MVA की ओर से इस मसले को जनहित याचिका के माध्यम से उच्च न्यायालय में लिस्ट किया जाएगा के नहीं यह सवाल जनता के बीच उठाया जा रहा है।


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