नरेंद्र कुमार, जामनेर/जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

धुले जिला के दोंडाईचा में रावण दहन को लेकर पनपे विवाद के चलते भाजपा के पूर्व मंत्री ने आदिवासी समुदाय के लिए जातिवाचक भाषा का प्रयोग किया है. जानकारी के मुताबिक पूर्ववर्ती देवेंद्र फडणवीस सरकार में पर्यटन मंत्री रहे जयकुमार रावल द्वारा आयोजित कराए जाने वाले रावण दहन को लेकर आदिवासियो ने तार्किकता के आधार पर कुछ सवाल पूछे जिससे गुस्साए रावल ने आदिवासियों को लेकर जातिसूचक शब्दों में अभद्र भाषा का प्रयोग किया और अहंकारी मानसिकता से प्रेरित होकर मानवीय मानदंडों को किनारे करते हुए बुरा भला कहा. मामले को लेकर रावल समेत आयोजन समिती के करीब 15 से अधिक लोगों के खिलाफ SC/ST Act धारा 3(1)(R)(S), IPC 506 तहत मामला दर्ज किया गया है. रावल की ओर से संस्था कर्मी की शिकायत पर विपक्षी नेता हेमंत देशमुख समेत अन्य 30 लोगों पर IPC 153(A), 295(A), 147, 37(1) 3, 4 के तहत मामला कलमबद्ध किया गया. देश की प्रथम आदिवासी महिला राष्ट्रपति के रूप मे द्रौपदी मुर्मू जी को नियुक्त कर आदिवासी वोट साधने में जुटी दुनिया की नंबर एक की पार्टी भाजपा में रावल जैसे नेताओं द्वारा आदिवासियों को लेकर किए गए जातिसूचक बयान कही गई. यह आदिवासियों के प्रति पार्टी के भीतर की अंतरभावना को प्रकट तो नहीं कर रहे है? चोटी के मराठी अखबारों ने इस खबर को राजनीतिक रंग देते हुए तीसरे चौथे पन्ने पर मात्र 2 कॉलम की जगह दी है. महाराष्ट्र की सियासत में एक बात साफ देखी गई है कि जब भी भाजपा सत्ता में वापसी करती है तब मिडिया द्वारा क्रिएटेड संकटमोचक, भाग्यविधाताण, मैचो मैन, चाणक्य, मसीहा, आरोग्यदुत, गरीबों के दाता वगैरा वगैरा टाइप वाले नेता कैमरों के सामने आकर विवादास्पद और फैक्टलेस बयानबाजी करते हैं. इसके उलट सत्ता से बाहर रहने पर ऐसे नेता कैमरों और पत्रकारों के सवालों से बचते हुए अपने अपने निर्वाचन क्षेत्रों में खुद की सीट बचाने की जुगत में लोकप्रियता को बरकरार रखने के लिए कई तरह के इवेंट मैनेजमेंट में लगे रहते हैं.
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