हिमांशु सक्सेना, ग्वालियर/भोपाल (मप्र), NIT:
चंबल नदी का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। चंबल का उफान 26 साल पुराने उच्चतम रिकार्ड को तोड़कर पहली बार 146.50 मीटर को पार कर गया है। कई गांव पानी में डूब चुके हैं, कई गांव में ग्रामीण घरों की छतों पर फंसे हुए हैं। हालात बिगड़ते देख गुरुवार की दोपहर बाद सेना के दो हेलिकाप्लर बुलाए गए, जिन्होंने मुरैना व जौरा क्षेत्र में बाढ़ में फंसे लोगों का रेस्क्यू शुरू किया।
चंबल नदी लगातार तीसरे दिन खतरे के निशान से ऊपर रही। गुरुवार को जलस्तर बढ़ने की गति धीमी हो गई। हर दो घंटे में 0.10 मीटर की गति से जलस्तर बढ़ रहा है और बहाव की गति लगभग 12 से 13 किलोमीटर प्रति घंटे की है। हालात यह हैं, कि जलस्तर जितना बढ़ नहीं रहा, उससे ज्यादा पानी का फैलाव होता जा रहा है। कई क्षेंत्रों में नदी का पानी अपने तट को लांघकर डेढ से दो किलोमीटर दूर तक पहुंच गया है। राजघाट क्षेत्र में चंबल का पानी अल्लाबेली चौकी तक आ गया है। चंबल का जलस्तर 144 मीटर से ज्यादा बढ़ने के बाद हालात बेकाबू हैं, क्योंकि जिला प्रशासन ने 144 मीटर जलस्तर का अनुमान लगाकर 68 गांव में बाढ़ का खतरा माना था, लेकिन 145 मीटर तक जलस्तर पहुंचने से पहले की 200 गांव बाढ़ की चपेट में आ गए। इसके बाद जलस्तर 145 को पार करते ही 35 से 40 अन्य गांव भी बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं। करीब 60 गांवों में रेस्क्यू का दावा किया जा रहा है, जिनमें से करीब 9 हजार ग्रामीण व हजारों मवेशियों को निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का दावा किया जा रहा है। बाढ़ के कारण 300 से ज्यादा गांवों की बिजली सप्लाई बंद कर दी गई है, क्योंकि बिजली के ट्रांसफार्मर तो क्या 20 फीट ऊंचे बिजली तार व खंभी भी जलमग्न हो गए हैं। सती माता मंदिर, किसरोली मंदिर सहित बीहड़ में बने अन्य मंदिर पानी में समा गए हैं। इन तमाम परेशानियों के बीच गुरुवार-शुक्रवार की रात से चंबल का जलस्तर कम होने लगेगा, क्योंकि कोटा डैम से अब केवल 87 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है, पार्वती नदी का जलस्तर भी कम हो रहा है। इस कारण श्योपुर क्षेत्र में चंबल नदी खतरे के निशान से नीचे आ चुकी है।
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