सद्दाम हुसैन, लखनऊ (यूपी), NIT:
पुलिस ने विकास नगर लखनऊ में हुए ट्रिपल मर्डर का खुलासा कर दिया है। परिवार के बड़े बेटे ने ही तीनों की हत्या की थी. विकासनगर सेक्टर-2 निवासी इंडियन आयल कार्पोरेशन से सेवानिवृत्त महमूद अली खां, उनकी पत्नी दरख्शा और बेटे शावेज की हत्या उनके बड़े बेटे सरफराज ने की थी। सरफराज ने अपने एक साथी अनिल यादव के साथ मिलकर वारदात को अंजाम दिया था। उसने 5 जनवरी की रात को दाल में नींद की गोलियां मिलाकर खिला दी जिससे सभी बेहोश हो गये। इसके बाद उनकी बांके से गला रेतकर हत्या कर दी। आरोपी ने तीनों शव तीन थानाक्षेत्र में अलग-अलग दिन फेंका ताकि किसी को संदेह न हो। इसके बाद कश्मीर निकल गया। वहीं से तीनों के गायब होने की सूचना रिश्तेदारों को दी। पुलिस ने जब पड़ताल शुरू की तो सभी के मोबाइल की लोकेशन लखनऊ में मिली। पुलिस ने इस मामले में दोनों आरोपियों को हिरासत में ले लिया है। पूछताछ में दोनों ने जुर्म भी कुबूल कर लिया। वारदात को अंजाम देने के पीछे का कारण परिवार में तरजीह न मिलने और संपत्ति को कब्जा करना सामने आया है।
एसपी ग्रामीण हृदेश कुमार के मुताबिक विकासनगर के सेक्टर-2 में इंडियन आयल कार्पोरेशन से सेवानिवृत्त महमूद अली खां परिवार सहित रहते थे। परिवार में उनकी पत्नी दरख्शा और बेटे शावेज और सरफराज है। जबकि बेटी की शादी हो चुकी है। बेटी अपने परिवार के साथ नोएडा में रहती है। 5 जनवरी को महमूद अली खां, उनकी पत्नी दरख्शां और छोटे बेटे शावेज की गला रेतकर हत्या कर दी गई थी। हत्या घर के अंदर की गई थी। इस हत्याकांड को अंजाम उनके बड़े बेटे सरफराज ने दिया था। पुलिस ने सरफराज को हिरासत में लिया तो हत्याकांड का खुलासा हुआ।
दाल में मिलाई नींद की 90 गोलियां
पुलिस के मुताबिक, पड़ताल में सामने आया कि आरोपी सरफराज ने 5 जनवरी को दाल में नींद की गोलियां मिला दी थी। उसने दाल में एक-दो नहीं 90 गोलियां मिलाई थी ताकि कोई होश में न रहे। सभी के बेहोश होने के बाद उनके कमरे में ही बिस्तर पर बांके से गला रेतकर हत्या कर दी। इसके बाद अपने साथी अनिल यादव जो बैकुंठ धाम में सफाई कर्मचारी है। उसके साथ मिलकर शव को ठिकाने लगाया फिर फरार हो गया।
तीन शव, तीन इलाका और तीन दिन
पुलिस के मुताबिक सरफराज ने हत्याकांड को फिल्मी अंदाज में अंजाम दिया। हत्या के बाद उसने तीनों शव को तीन दिन में तीन इलाके में फेंका ताकि किसी को शक न हो। सरफराज ने 6 जनवरी को इटौंजा में माल रोड के किनारे शावेज का शव चादर में बांधकर फेंका। जिसकी शिनाख्त नहीं हो पाई थी। इसके बाद 8 जनवरी को पिता महमूद खां की मलिहाबाद में और 13 जनवरी को मां दरख्शां का शव माल में फेंका। अरोपी सरफराज ने तीनों शव को ठिकाने लगाने केलिए आठ दिन का समय लिया। इस दौरान शव घर के अंदर ही पड़ा रहा। सवाल खड़ा होता है कि आखिर एक सप्ताह में शव से दुर्गंध क्यों नहीं आई। अगर आई तो पड़ोसियों को पता नहीं चला। पुलिस इन सवालों का जवाब तलाश रही है।
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