अबरार अहमद खान/मुकीज़ खान, भोपाल (मप्र), NIT:
कोरोना महामारी ने जहां लोगों की आर्थिक स्थिति पूरी तरह से बिगाड़ दी है वहीं बच्चों की पढ़ाई भी इससे बुरी तरह से प्रभावित हुई है। ऐसे में पढ़ाई का सिर्फ एक ही विकल्प ऑनलाइन क्लास रह गया है, जिसके लिए मोबाइल या फिर लैपटॉप की जरूर रहती है लेकिन गरीब लोगों के लिए पैसे ना होने की वजह से पढ़ाई से वंचित होना पड़ रहा है। सबसे ज्यादा पढ़ने वाले छोटे बच्चे प्रभावित हो रहे हैं। पिछले दो सालों से बच्चों ने स्कूल का मुंह तक नही देखा है। इसके साथ ही लोगों के पास ऑनलाइन पढ़ाने के पैसे तक नहीं है।यह बात सरकार के इस कदम से आसानी से समझी जा सकती हे कि जिस देश में 80 करोड़ लोगों के पास खाने के दाने नही उसे सरकार राशन उपलब्ध करा रही है। ऐसे में वह गरीब लोग अपने बच्चों की आनलाइन पढ़ाई के लिए पेस कहां से लायेंगे ?
इसके अलावा मध्य प्रदेश की बात करें जो कुछ दिन पूर्व मीडिया रिपोर्ट सामने आई है जिस में प्रदेश की आर्थिक स्थिति को बयां करती है जिसमें कहा गया है कि पहली बार प्रदेश में सरकारी स्कूलों में पिछले वर्षो के मुकाबले इस वर्ष बड़ी संख्या में बच्चे भर्ती हो रहे।माता पिता के पास पैसा नहीं कि वह अपने बच्चो को निजी शिक्षण संस्थानों में दाखिला कराए ,इसलिए वह न चाहते हुए भी मजबूरी में अपने बच्चो को सरकारी स्कूल में भर्ती करा रहे हैं।
न तो बच्चों के माता पिता के पास पैसा हे और न ही स्कूल संचालकों की ऐसी हालत हे कि वह अपने टीचर सहित स्टाफ को पर्याप्त वेतन दे सकें।उन स्कूलों की कमर ज्यादा टूट गई जो किराए के भवनों में लगते आए हैं।
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