अब्दुल वाहिद काकर, ब्यूरो चीफ, धुले (महाराष्ट्र), NIT:
कोरोना काल में बिजली के बिल लोगों को जबर्दस्त झटके दे रहे हैं. बिजली विभाग की बाजीगरी कहें या मीटर रीडर की कारस्तानी कि बंद मकानों के बिजली बिल भी हजारों रुपये के भिजवाए जा रहे हैं. संक्रमण के इस दौर में आर्थिक परेशानियों से घिरे लोगों के लिए यह अप्रत्याशित देनदारी भारी पड़ रही है. कुछ तो बिजली ऑफिस के चक्कर लगा-लगाकर परेशान हो चुके हैं लेकिन समस्या नहीं सुलझ पा रही है. बिजली विभाग मनमानी पर उतर आया है इस तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं. बंद घर में बिजली नहीं जली और हजारों का बिजली बिल विभाग ने थमा दिया है. गुरुवार को बिजली उपभोक्ता मुश्ताक अहमद कुर्बान अहमद के पुत्र तैयब अहमद से संवाद किया गया गया तो कई मामले ऐसे सामने आए जिन पर खुद बिजली अधिकारियों को भी यकीन न हो, लेकिन उनका कहना है कि बिल तो भरना ही पड़ेगा.
कई सालों से घर पर ताला, बिल आया 9 हजार
बीते कई सालों से पूरे परिवार के साथ मुश्ताक अहमद कारोबार करने के लिए नंदुरबार चले गए हैं और घर पर ताला लगा हुआ था. अनेक बार बिजली आपूर्ति बंद करने और मीटर निकालने के लिए लालबाग बिजली विभाग को आवेदन लिखे गए लेकिन बिजली का बिल लगातार विभाग के द्वारा दिया गया. लॉकडाउन में घर वापस आए और इस माह का जब बिल आया तो उसमें राशि 9 हजार 190 रुपए लिखी थी. बीते 4 माह से दो वक्त के भोजन का गुजारा करना मुश्किल है, ऐसी स्थिति में जब कोई मजदूरी भी नहीं मिल रही तब यह बिल परेशानी का सबब बने हुए हैं. शासन को इस तरफ भी नजर करनी होगी. तैयब अहमद ने बिजली विभाग पर लूटमार करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि एक साल पहले मीटर बंद करने का आवेदन बिजली विभाग को दिया है. मीटर पुराना बदल कर बिजली विभाग में नया मीटर लगा दिया है, घर कई सालों से बंद है. मीटर से वायर कनेक्शन घर में भी नहीं गए हैं इसके बावजूद बिजली विभाग ने ₹9000 का बिल थमा दिया है. वह बाहर रहते हैं, कभी कभी अपनी प्रोपर्टी देखने यहां आ जाते हैं, आवास के दरवाजे पर ताला लगा रहता है. उसके बाद भी 9 हजार 190 रुपए का बिल आ गया. जब लाइट जली ही नहीं तो इतना बिल कैसे आ गया. उन्होंने मांग की है कि उनकी समस्या का समाधान कराया जाए.
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