मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और चार अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने वाले सामाजिक कार्यकर्ता परवेज़ परवाज़ को कोर्ट से मिली आजीवन कारावास की सजा | New India Times

साबिर खान, लखनऊ (यूपी), NIT:

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और चार अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने वाले सामाजिक कार्यकर्ता परवेज़ परवाज़ को कोर्ट से मिली आजीवन कारावास की सजा | New India Times

गोरखपुर की ज़िला अदालत ने एक गैंगरेप मामले में योगी आदित्यनाथ के भड़काऊ भाषण पर याचिका डालने वाले कार्यकर्ता परवेज परवाज़ को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। उनके साथियों का कहना है कि भाजपा नेताओं के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज कराने और उनके ख़िलाफ़ याचिका डालने के चलते उन्हें इस फ़र्ज़ी मामले में फंसाया गया है।

गत दिनों गोरखपुर के जिला सत्र न्यायालय ने 65 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता परवेज परवाज़ को 2018 के एक गैंगरेप मामले में दोषी ठहराते हुए उन्हें और उनके साथ एक अन्य आरोपी महमूद उर्फ जुम्मन को उम्र कैद की सजा सुनाई है इसके अलावा कोर्ट ने दोनों ही व्यक्तियों पर 25-25 हजार रुपये का जुर्माना लगाने के साथ साथ 40 हज़ार रुपये गैंगरेप पीड़िता को देने का आदेश दिया है। परवाज को इस मामले में सितंबर 2018 में गिरफ्तार किया गया था।

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परवेज़ परवाज़ वही व्यक्ति हैं जिन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (घटना के समय गोरखपुर के सांसद) पर 27 जनवरी 2007 को गोरखपुर रेलवे स्टेशन गेट के सामने भड़काऊ भाषण देने और उसके कारण गोरखपुर व आस-पास के जिलों में बड़े पैमाने पर हिंसा होने का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
याचिका में अदालत से हेट स्पीच और उसके कारण हुई सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं की स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने का अनुरोध किया गया था।

बाद में प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने और योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद प्रमुख सचिव गृह ने मई 2017 में योगी आदित्यनाथ पर मुकदमा चलाने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मुकदमे से इन्कार के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी योगी आदित्यनाथ के खिलाफ मुकदमा चलाने की इजाजत नहीं दी। इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस 22 फरवरी 2018 के आदेश के खिलाफ परवेज परवाज और उनके वकील असद हयात ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल की थी और ये मामला अभी भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और चार अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने वाले सामाजिक कार्यकर्ता परवेज़ परवाज़ को कोर्ट से मिली आजीवन कारावास की सजा | New India Times

विदित रहे कि परवेज़ परवाज़ के खिलाफ गैंगरेप का केस 4 जून 2018 को गोरखपुर के राजघाट थाने में दर्ज किया गया था और इस केस में उनके साथ महमूद उर्फ जुम्मन को भी आरोपी बनाया गया था। यहां के खोराबार थाना क्षेत्र के मोहल्ला रूस्तमपुर निवासी एक महिला ने यह एफआईआर दर्ज कराई थी।
पीड़िता ने अपनी तहरीर में लिखा था कि ‘वह अपने पति से अलग रहती है, वह झाड़-फूंक के लिए मगहर मजार जाती थी जहां उसे महमूद उर्फ जुम्मन बाबा मिले, उन्होंने कई दरगाहों पर झाड़ फूंक की जिससे मुझे राहत मिली और तीन जून 2018 को उन्होंने रात साढ़े दस बजे पांडेयहाता के पास दुआ करने के बहाने बुलाया और एक सुनसान जगह पर ले गए जहां उन्होंने और उनके साथ मौजूद एक शख्स ने मेरे साथ बलात्कार किया, उस शख्स को जुम्मन परवेज भाई बोल रहे थे। घटना के बाद हमने मोबाइल से 100 नंबर पर फोन किया तब पुलिस आई और हमें साथ ले गई।

न्यूज़ एजेंसी के मुताबिक इस केस के सरकारी वकील यशपाल सिंह ने कहा ‘जिला एवं सत्र न्यायालय ने मंगलवार 28 जुलाई को दो आरोपी परवेज़ परवाज़ और महमूद उर्फ जुम्मन को उम्रकैद की सजा सुनाई। कोर्ट ने दोनों पर 25 – 25 हज़ार रुपये का जुर्माना भी लगाया और 40 हज़ार रुपये रेप पीड़िता को देने का आदेश दिया।
परवेज़ परवाज के वकील मिफ्ताहुल इस्लाम ने कहा है कि वे इस मामले को उच्च न्यायालय में चुनौती देंगे। इस्लाम ने कहा कि कोर्ट ने बचाव पक्ष का बयान लिए बिना ही अपना फैसला सुना दिया है। उन्होंने कहा ‘दलीलों का समापन किए बिना निर्णय सुनाया गया है हमें अपनी लिखित दलील भी कोर्ट में प्रस्तुत करने की अनुमति नहीं दी गई। वहीं सरकारी वकील का कहना है कि उन्हें अपने बयान दर्ज़ कराने के लिए पर्याप्त समय दिए गए थे।
यशपाल सिंह ने कहा ‘वे (बचाव पक्ष के वकील) मुकदमे को लंबित रखने के लिए अदालती कार्यवाही को रोक रहे थे उनके पास बहस करने के लिए पर्याप्त समय था, अदालत की कार्यवाही कानून के अनुसार आयोजित की गई।
परवाज़ के एक दोस्त ने न्यूज़ एजेंसी को बताया कि योगी आदित्यनाथ और चार अन्य लोग जिनमें गोरखपुर शहर से भाजपा विधायक राधामोहन दास अग्रवाल, भाजपा सांसद शिव प्रताप शुक्ला, भाजपा मेयर अंजु चौधरी और पूर्व भाजपा विधायक वाईडी सिंह के खिलाफ भड़काऊ भाषण और उसके कारण शहर में हुई सांप्रदायिक हिंसा का कैंट थाने में 2007 में एफआईआर दर्ज कराने के कारण परवाज़ को इस झूठे मामले में फंसाया गया है। नाम न लिखने की शर्त पर परवाज़ के एक वकील दोस्त ने कहा कि ‘इस मामले में कोई दम नहीं है परवेज़ को 2007 से ही इस तरह के मामलों का सामना करना पड़ रहा है जब से उन्होंने गोरखपुर के तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ के खिलाफ केस दायर किया था।
याद रहे कि जब यह मामला दर्ज हुआ था तब एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया था कि इस गैंगरेप मामले की विवेचना राजघाट के एसओ ने की और घटना को पूरी तरह से फर्जी बताते हुए इस केस के एफआईआर को एक्सपंज करके अदालत को अपनी रिपोर्ट भी भेज दी, इस रिपोर्ट में कहा गया था कि महिला ने जहां घटना स्थल बताया है वह तो काफी भीड़ भाड़ वाली जगह है और घटना के समय भी वहां पर काफी भीड़ थी साथ ही घटना के समय दोनों ही आरोपियों का लोकेशन घटना स्थल से काफी दूर है और इसके साक्ष्य भी हैं।


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