सीएए, एनआरसी और एनपीआर को लेकर मंसूर अली पार्क में धरने के 50 वें दिन काले ग़ुब्बारे उड़ा कर हुआ विरोध, संविधान और नागरिकता विषय गोष्ठी का भी हुआ आयोजन | New India Times

अंकित तिवारी, ब्यूरो चीफ, प्रयागराज (यूपी), NIT:

सीएए, एनआरसी और एनपीआर को लेकर मंसूर अली पार्क में धरने के 50 वें दिन काले ग़ुब्बारे उड़ा कर हुआ विरोध, संविधान और नागरिकता विषय गोष्ठी का भी हुआ आयोजन | New India Times

सीएए, एनआरसी, एनआरपी के विरूद्ध रोशन बाग के मंसूर अली पार्क का संघर्ष उतार चढाव के बीच ५०वे दिन में प्रवेश करने पर खुशी इजहार कर संघर्ष को सहयोग कर रही सभी प्रगतिशील ताकतो को सलाम करते हुए सभा की कार्यवाही आगे बढ़ाया।
मुंबई हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश, नायक मूर्ति बी जी को से पाटिल ने कहा सी ए ए, एन आर सी, एन पी आर के द्वारा केवल मुसलमानो पर हमला नहीं है मुसलमान के साथ आदिवासियों, दलितो, ओ बी सी भी निशाने पर है।
एन पी आर का यह पहला चरण है जो माता पिता के जन्म की तारीख व जन्म स्थान पूछेंगे और सभी कमजोर लोगो को डाआउटफुल नागरिक घोषित करेगे।
नागरिकता साबित न होने वाले सभी लोग कम्पनियों सकें लिए सस्ते मजदूर बन जाएगे। यही आर एस एस का गेम प्लान है। भाजपा सरकार मनुस्मृति पर चलती है, सब कमजोरों का हक छीनी है, विदेशी कम्पनियों की सेवा करती है।
आपने जो आदोलन उठाया है, बहुत अच्छा है, इसी से जीत मिलेगी। इसे और बढाओ।

एडवोकेट मोहम्मद शोएब रिहाई मंच ने कहा दशकों से एक-दूसरे के साथ रहते आये लोग साम्प्रदायिक नफ़रत फैलाकर एक-दूसरे के दुश्मन बना दिये गये हैं। दंगों की आग में हज़ारों लोग अपने काम-धन्धों, रोज़ी-रोज़गार और घर-बार से हाथ धो बैठे हैं। जगह आम आबादी भय के साये असामाजिक, समाजविरोधी और साम्प्रदायिक कट्टरपन्थी तत्त्वों को खुलकर मार-काट करने का मौका मिल गया। देश में आज जनता की बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने में सरकार नाकाम साबित हो रही है। अर्थव्यवस्था मन्दी का शिकार है। देश की जनता भयंकर बेरोज़गारी, महँगाई की मार झेल रही है। हिन्दू-मुसलमान के बीच तनाव भड़काकर साम्प्रदायिक तत्त्व असली मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाना चाहते हैं।
सारा अहमद ने कहा आज देश भर में सी ए ए एन आर सी एन पी आर के विरूद्ध देशभर में उभरा है नेतृत्व के कतार में नौजवान आगे है,नए भारत का निर्माण नौजवान करेगा महिलाओं को साथ लेकर शहीदों के सपने को साकार करेगे ।
इस मौके पर रहाज,मो०हमजा,उमर खालिद, जीशान रहमानी ,सै०मो०अस्करी,इरशाद उल्ला,अफसर महमूद,इफ्तेखार अहमद मंदर,अब्दुल्ला तेहामी,अंशु मालवीय,अविनाश,गायत्री,मनीष सिंन्हा,शैलेश,रामचंद्र आदि ने अपने विचार व्यक्त किए।

CAA- NRC- NPR के खिलाफ मिलकर सड़क पर लड़ने की जरूरत है: जस्टिस कोल्से पाटिल

सीएए, एनआरसी और एनपीआर को लेकर मंसूर अली पार्क में धरने के 50 वें दिन काले ग़ुब्बारे उड़ा कर हुआ विरोध, संविधान और नागरिकता विषय गोष्ठी का भी हुआ आयोजन | New India Times

CAA NRC NPR विरोधी अधिवक्ता मंच, इलाहाबाद द्वारा संविधान और नागरिकता विषय पर विचार गोष्ठी दौलत हुसैन इंटर कॉलेज नूरुल्ला रोड इलाहाबाद पर आयोजित हुआ।
99 पर्सेंट लोगों की लड़ाई एक परसेंट लोगों से है एक परसेंट लोग 99 परसेंट लोगों को अलग अलग करके राज कर रहे हैं। इतनी बड़ी ताकत से लड़ने के लिए हमें महात्मा गांधी अंबेडकर, भगत सिंह, सावित्रीबाई फुले, फातिमा शेख, पेरियार के रास्ते पर आगे बढ़ना होगा। उस बातें महाराष्ट्र के पूर्व न्यायाधीश मा. कोलसे पाटिल ने विचार गोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा। उन्होंने कहा कि संविधान की शुरुआत कई तरह से हो सकती थी लेकिन उस समय बहुत बहस के बाद ‘ हम भारत के लोग ‘ से शुरु किया गया। जिससे जनता की ताकत स्थापित होती है। उस समय जो संविधान के खिलाफ थे वही CAA-NRC-NPR लाए हैं। जिससे वे संविधान को ख़त्म करना चाहते हैं क्योंकि संविधान समानता का अधिकार देता है जिसको आरएसएस व वर्तमान सत्ता बर्दास्त नहीं करना चाहती है। उन्होंने कहा कि आज एक बड़ी आबादी को दोयम दर्जे की शिक्षा प्रदान की जा रही है, ताकि लोग बराबरी की लड़ाई न लड़ सकें। सत्ता धारी ताकतें हमें वास्तविक दुनिया के बजाय काल्पनिक दुनिया की ओर ले जाना चाहते हैं ताकि वास्तविक लड़ाई न लड़ी जा सके। उन्होंने जजों से जस्टिस मुरलीधरन की तरह बनने की अपील करते हुए कहा कि हम सब को इंसानियत व मानवता के लिए लड़ना है, काम करना है इसके लिए घर – घर, गांव -गांव जाना होगा।
मुख्य अतिथि पूर्व राज्यपाल अजीज कुरेशी ने न पाने पर दुःख व्यक्त करते हुए अपने वक्तव्य को रिकार्ड कर भेजा, जिसमे उन्होंने CAA को आवश्यक बताते हुए संविधान विरोधी बताया और इसके खिलाफ हो रहे आंदोलन को देश की रक्षा का आंदोलन बताया।
सम्मेलन को हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सर्वेश जी ने संबोधित करते हुए इसके नागरिकता के बारे में संविधान के प्रावधानों की चर्चा की। सम्मेलन को प्रो. अली अहमद फातमी साहेब ने संबोधित करते हुए साझा संस्कृति बारे में अनेक उदाहरण रखा। सम्मेलन को पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता कमरुल हसन सिद्दीकी साहेब, जावेद मोहम्मद, सहित विभिन्न जिलों से आये अधिवक्ताओं सहित अधिवक्ता मोहम्मद सईद, नाथूराम बौद्ध, राम कुमार गौतम , राकेश प्रसाद, आदि ने संबोधित किया।
सम्मेलन में एक प्रस्ताव पास किया गया, जिसमें,प्रस्ताव पारित करते हुए निम्नलिखित मांगे की गई।
1- डॉक्टर कफील सहित इस संबंध में गिरफ्तार किए गए सभी लोगों को न सिर्फ रिहा किया जाए, बल्कि उन पर लगाए गए सभी मुकदमों को वापस लिया जाय।
2- आजमगढ़ के बिलरियागंज में 39 लोगों पर लगाया गया देशद्रोह का मुकदमा वापस लिया जाए, और प्रदर्शन करने के अधिकार के इस्तेमाल के लिए इनपर देशद्रोह का मुकदमा लगाने वालों पर दंडात्मक कार्यवाही की जाए।
3- उत्तर प्रदेश में 23 और दिल्ली में 34 लोगों की मौत के जिम्मेदार पुलिस कर्मियों और उनके सांप्रदायिक सहयोगियों पर हत्या के मुकदमे दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया जाय।
4- बिना जांच के लोगों पर फर्जी मुकदमें थोपने वाले पुलिस कर्मियों और संबंधित थानों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाय।
5- प्रदर्शनकारियों को बिना जांच के संपत्तिजब्ती, वसूली, जुर्माने आदि किसी भी तरह की नोटिस भेजने की गैरकानूनी कार्यवाही को तुरंत बंद किया जाय।
6- न्यायधीशों पर सरकारी दबाव डालने, न्याय की प्रक्रिया में सरकारी हस्तक्षेप करने की आपराधिक काम को तुरंत बंद किया जाय।
7- शांतिपूर्ण ढंग से महीनों से प्रदर्शन कर रहे लोगों को प्रताड़ित करने, इनपर हमला करने, धमकी देने, उन्हें बार-बार नोटिस भेजने की प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाई जाए।
8- प्रदेश और देश भर में चल रहे CAA NRC NPR विरोधी आंदोलन का सम्मान करते हुए, उनसे बात की जाय, और इस विभाजनकारी कानून को वापस लिया जाय।
हम सभी लोकतंत्र समर्थक, संविधान में यकीन रखने वाले अधिवक्ता मंच यह घोषणा करते हैं कि हम इस विभाजनकारी कानून CAA, तथा इसकी सहयोगी प्रक्रिया NPR NRC के विरोध में संगठित रहेंगे।
यह अधिवक्ता मंच इन आंदोलनों के समर्थन में सक्रिय रहेगा, साथ ही आंदोलनकारियों पर लादे गए मुकदमों की पैरवी में तत्पर रहेंगे।
CAA NRC NPR विरोधी अधिवक्ता मंच अपनी इस ऐतिहासिक ज़िम्मेदारी का निर्वाह ज़िम्मेदारी पूर्वक करेगा।
सम्मेलन के दूसरे सत्र का संचालन अधिवक्ता माता प्रसाद पाल ने किया तथा तीसरे सत्र का संचालन काशन सिद्दीकी और नौशाद गयूर ने किया। इस दौरान अधिवक्ता आशुतोष तिवारी सरताज अहमद सिद्धकी आकिब अख्तर खान, रेहान जैदी, शमीमुद्दीन, मोहम्मद उस्मान, डी. एन. यादव, बदिउज्जमा, धीरेन्द्र यादव, बिपिन बिहारी, नफीस खान, बृजेश, शमशुल इस्लाम, शाहिद, आबिदा सैयद, अइशा, गजाला बानो कादरी, राजीव, इन्द्रसेन सेन सिंह, पंचम लाल , यादव, कपिल यादव, विनोद कुमार, प्रमोद कुमार गुप्ता, सीमा आज़ाद आदि सैकड़ो अधिवक्ता उपस्थित रहे।
सम्मेलन के बाद प्रदेश स्तर पर पुलिस द्वारा किये जा रहे उत्पीडन के खिलाफ़ कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए प्रदेशव्यापी अधिवक्तों की लीगल सेल बनाने का फैसला लिया गया। कार्यक्रम का मार्ग निर्देशन अधिवक्ता के के राय ने किया।


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