अशफाक कायमखानी, जयपुर (राजस्थान), NIT:
राजस्थान का जाट मतदाता परम्परागत रुप से कांग्रेस का वोट बैंक होने के बावजूद पिछले चुनावों में कुछ लोकसभा सीटों से जाट उम्मीदवार के हारने पर उनकी जगह गैर जाट उम्मीदवार को टिकट देने की मांग कांग्रेस में मजबूती के साथ उठने के कारण अनेक जगह उन्हे टिकट से हाथ धोना पड़ा है। अगर इस लोकसभा चुनाव मे कुछ जगह फिर जाट उम्मीदवार चुनाव हार जाते है तो अगले लोकसभा चुनावों मे जाट उम्मीदवारो की उम्मीदवारी पर गहरा संकट मंडरा सकता है।
कांग्रेस में जाट उम्मीदवारों के लिये एक तरह से अच्छी माने जाने वाली श्रीगंगानगर, बीकानेर व भरतपुर सीटें पहले से आरक्षित हो चुकी हैं। बाडमेर से 2014 के लोकसभा चुनाव में तत्तकालीन सांसद हरीश चौधरी के व चूरु से कांग्रेस उम्मीदवार प्रताप जाट के चुनाव हारने पर उनकी जगह मानवेन्द्रसिंह व रफीक मण्डेलिया को उम्मीदवार बनाया जा चुका है। सीकर, झूंझनू, नागोर व पाली से भी 2014 के लोकसभा चुनाव में जाट उम्मीदवारों के हारने पर यहां से गैर जाट उम्मीदवार को 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की टिकट देने की मांग काफी जोर पकड़ने के बावजूद एक दफा फिर जाट उम्मीदवारों को मौका मिलना असाधारण बात बताते हैं। कृष्ण पूनिया को जयपुर ग्रामीण से टिकट मिलना एक संयोग मात्र बताते हैं।
जाट समुदाय के अंदर ही अंदर एक खास चर्चा चल पड़ी है कि अगर 2019 के लोकसभा चुनाव में किसी वजह से बद्री जाखड़, ज्योती मिर्धा, सुभाष महरिया व श्रवण चौधरी में से किसी के भी चुनाव हारने पर अगले दफा होने वाले चुनावों में जाट जाती की उम्मीदवारी को लेकर दावा काफी कमजोर ही नहीं बल्कि उन्हें टिकट से हाथ भी धोना पड़ सकता है।
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