वी.के.त्रिवेदी, लखीमपुर-खीरी (यूपी), NIT:
प्रदेश में अपराधों को रोकने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अधीनस्थ मातहतों को भले ही कड़े फरमान जारी कर रहे हो लेकिन शासन के द्वारा किये जा रहे प्रयासों पर महिला थाना जिला खीरी की प्रभारी निरीक्षक हंसमती पानी फेरते हुए बलात्कार के आरोपियों को अभयदान देने में लगी दिखाई पड़ रही हैं। एक तरफ जहां प्रदेश व केन्द्र सरकार संयुक्त प्रयास कर देश भर में बेटी बचाओं की मुहिम युद्धस्तर पर चला रही है जिसके प्रचार प्रसार पर करोड़ों रूपये पानी की तरह बहाया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ खीरी पुलिस सरकार की इस मुहिम पर पानी फरेने में लगी हुई है।
ऐसा ही एक मामला थाना फरधान क्षेत्र के एक गांव का है जहां पर कुछ दबंग व कथित भाजपा कार्यकर्ताओं ने 12.09.2018 को लगभग 8 बजे रात को उस समय जबरन एक नाबालिग लड़की को अगवा करके बलात्कार किया जब वह दुकान पर अपने घर से सामान लेने जा रही थी। सत्ता मद में मदहोश दरिन्दों ने दरिंदगी के बाद बेहोशी की दवा पीड़िता को खिलाकर बेहोशी की हालात में श्रीनगर विधायक मन्जू त्यागी के आवास पर मो. श्यामनगर लाकर रखा गये। मामला गम्भीर होते देख मन्जू त्यागी द्वारा पीड़िता के परिजनों को काफी भला बुरा कहते हुए अपने घर से लड़की ले जाने की बात टेलीफोनिक कही गयी थी जिसकी पुष्टि पीड़िता के पिता के फोन पर आने वाली काल की डिटेल से की जा सकती है। मु.अ.सं. 288/18 में पुलिस द्वारा पीड़िता की तहरीर बदलकर लीपापोती की गयी और 164 सी.आर.पी.सी. में पीड़िता ने चार लोगों के विरूद्ध बयान दिये गए जो 13.09.2018 को सी.डी. पर अंकित किये गये। इसके बाद भी पुलिसिया आतंक का सिलसिला थमा नहीं अब मुकदमें की जांच अधिकारी महिला थाना प्रभारी हंसमती भी उसी राह पर चलते हुए पीड़िता व उसके परिजनों को भयाक्रान्त कर बलात्कार जैसे संज्ञेय अपराधी में फाईनल रिपोर्ट लगाने को भरसक प्रयासरत है। घटना दिनांक 13.10.2018 को पीड़िता के परिजनों को महिला थाना से काल आती है और बयान के लिए थाना बुलाया जाता है करीब 1 बजे दिन में पीड़िता अपने मां बाप व अधिवक्ता के साथ महिला थाना पहुंचती है और आई.ओ. हंसमती से मिलती है साथ में वकील देखकर विवेचक हंसमती का पारा सातवें आसमान पर पहुंच जाता है जिससे वह सर्वोच्च न्यायालय का वह आदेश भी भूल जाती हैं जो वर्ष 2012 में निर्भया हत्याकाण्ड के दौरान सुनवाई करते हुए सभी संबन्धित अधिकारियों को दिये थे, उस आदेश में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि पीड़िता चाहे तो वह अपनी इच्छानुसार अपनी पसन्द का अधिवक्ता अपने साथ रख सकती है। आक्रोशित हंसमती ने अपनी महिला आरक्षियों को बुलाकर पहले पीड़िता के परिजनों का वीडियो बनवाया फिर उन्हें धमकाते हुए सारी घटना को फर्जी बताकर भगा दिया गया इतना ही नहीं पीड़िता के अधिवक्ता के प्रवेश पर भी रोक लगा दी गयी फिर उस नाबालिग पीड़िता को तन्हा कमरें में कैद कर वीडियो बनाया जाने लगा और उसको भय व पुलिसिया आतंक दिखाकर मामले को आरोपियों को अभयदान देने की मंशा से बयानों को बदलवाये जाने का प्रयास किया जाने लगा। आखिर क्यों बदली गयी तहरीर*? कहां चले गये खून से सने पीड़िता के कपड़े*? 164 सी.आर.पी.सी. के बयान के बाद भी पुनः बयान की क्या आवश्यकता शेष रही? किन कारणें से सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद पीड़िता के अधिवक्ता को मौके से बाहर रखा गया? पीड़िता के मां बाप को भी भगाकर पीड़िता को 4 बजे तक तन्हा कमरे में क्यों रखा गया कैद?किन कराणें से अभी तक नहीं की जा रही आरोपी की गिरफ्तारी? इन प्रश्नों के उत्तर आई.ओ. हंसमती के पास ढूंढे नही मिल पा रहे हैं। और न ही अभियुक्तों की गिरफ्तारी ही हो पा रही है यह सब विवेचक की आरोपियों से मिलीभगत व खाऊ-कमाऊ नीति की ओर इशारा करती है, इनकी इस तानाशाह रवैया की पीड़िता ने शिकायत डी.एम. खीरी से लेकर राज्य महिला आयोग मुख्यमंत्री सहित राज्य मानवाधिकार आयोग से कर हंसमती महिला थानाध्यक्ष व क्षेत्रीय विधायक मन्जू त्यागी के विरूद्ध कठोर कार्यवाही की मांग की है।
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