सैय्यद फैज़ानुद्दिन, पुसद/यवतमाल (महाराष्ट्र), NIT; अमीरी और गरीबी के बीच फ़र्क करने के लिए भले ही दीवार का उदाहरण दिया जाता हो लेकिन एक शख्स ऐसा भी है जिसने ऐसी दीवार बना दी जो अमीरी और गरीबी के बीच पुल का काम कर रही है। यह दीवार अमीरों से मिली खुशियों को गरीबों और जरूरतमंदो में बांटने का ज़रिया बन गई है। येह बात है यवतमाल जिले के पुसद शहर की जहां गजानन जाधव नाम के इस शक्स ने इस दीवार को खड़ी करने का काम किया है।पुसद स्तिथ शनी मंदिर के पास एक दीवार से उन्होंने गरीबों कि मदद का प्लेट फार्म बाना दिया है। गरीबों के लिए कुछ कर गुज़र ने के जज़बे ने मानवता की दीवार खड़ी कर दी है। यहां लोग अपनी मर्ज़ी से कपडे जूते से लेकर सर की टोपी तक रख जाते हैं और जिसे ज़रूरत होती है वे ले जाते हैं। कपडे जूतों के साथ साथ इस मानवता की दीवार के चबूतरे पर हर रविवार को गरीब, अनाथ, बेवाओं और ज़रूरत मंदों को मुफ्त में खाना खिलाया जाता है। जबकि इस रक्षा बंधन के मौके पर मानवता की दीवार के सदस्यों ने अनाथ और अपंग बच्चों द्वारा बनाई हुई राखी को खरीद कर मानवता की दीवार फाउंडेशन के सदस्यों के घर की महिलाओं ने वृद्धा आश्रम जाकर वहां की साफ सफाई की, रंगोली बनाई और आश्रम के वृद्धों को राखी बांध कर उन्हें टोपी, टावेल, कपडे, शाल देकर खाना खिला कर रक्षा बंधन का त्योहार खुशी खुशी मनाया। गरीबों और बेसहारों का सहारा बनी इस दीवार की चारों आेर सरहना की जा रही है।
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