रहीम शेरानी हिन्दुस्तानी, ब्यूरो चीफ, झाबुआ (मप्र), NIT:
मेघनगर के औद्योगिक क्षेत्र में मैसेस एस एम ओं फेरों अलाइज प्रो लिमिटेड कम्पनी मेघनगर ने पर्यावरण स्वीकृति के लिए नगर के चुनिंदा लोगों को लेकर जन सुनवाई कि गई। इस जन सुनवाई में नगर के जागरुक पत्रकार समाजसेवियों ने नगर के औद्योगिक क्षेत्र में लगने वाली इकाईयों फैक्ट्रीयों का स्वागत किया। लेकिन उसमें से अनेक ज़हर उगलते वाली फैक्ट्रीयों का विरोध किया जों नगर एवं क्षेत्र की आबो हवा को खराब कर लोगों के स्वास्थ्य के साथ खुल्ला खिलवाड़ कर रहे हैं। मेघनगर में जब से केमिकल फैक्ट्रीयां स्थापित हुए तब से यहां की हवा, पानी और मिट्टी बंजर हो गई है।
केमिकल फैक्ट्रीयों की चिमनियों से निकलने वाला बदबूदार और प्रदुषण युक्त धुंआ आबो हवा के साथ लोगों के स्वास्थ पर प्रतिकुल प्रभाव डाल रहा है। औद्योगिक प्रदुषण पर नियंत्रण करने के लिए राज्य प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड के नोटिसों और क्लोजरों के बाद भी केमिकल फैक्ट्रियां नियम कायदे कानून को ताक में रखकर जनता के स्वास्थ के साथ खुल्ला खिलवाड़ करते हुए संचालित हो रही है। पिछले कुछ वर्षों से केमिकल फैक्ट्री संचालकों ने प्रदुषित पानी को जमीन में छोड़ के यहां की जमीन और भूजल को प्रदुषित कर दिया।

मेघनगर में पीसीबी (प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड) के किसी सदस्य या अधिकारी की नियुक्ति ना होने से यहां जल प्रदुषण, वायु प्रदुषण, भूमि प्रदुषण, ध्वनि प्रदुषण के चलते आए दिन जनता की परेशानियों का सबब बन रहा है। नियम कायदे कानून को ताक में रखकर खुले में प्रदुषित पानी छोड़ने के चलते पिछले दो साल से मेघनगर शहर की नल जल योजना पेयजल सप्लाई के लिए बनाई गई 30 करोड़ की परियोजना के तहत बने इंटेक वेल और डेम का करोड़ों गेलन लीटर पानी खराब हो चुका है, जिसे बिना उपयोग के बहा दिया गया। भीषण गर्मी में जहां एक ओर जमीन फट रही है वहीं औद्योगिक क्षेत्र कि पक्की नालियों से केमिकल युक्त लाल-काला पानी बहकर नदी नालों में पहुंच रहा है।
केमीकल युक्त प्रदुषत पानी भरा पड़ा है जो नालेे से बहकर रेलवे लाईन ब्रिज से राखड़िया, गुजरपाड़ा के जंगलों में जा रहा है। आगे यहीं प्रदुषित पानी नदी में भी मिलता है। पीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी श्री निवास द्विवेदी ने बताया कि ट्रेंट केमीकल, राठौर फार्मा, सिद्धी विनायक, विनी इंडस्ट्रीज सहित प्रदुषण फैलाने वाली तमाम फैक्ट्रीयों को इंदौर और भोपाल पीसीबी कार्यालय से नोटिस जारी किए गये हैं। लगातार औद्योगिक क्षेत्र का भ्रमण कर यहां के प्रदुषण को समाप्त करने की कार्य योजना पर काम किया जा रहा है। इसके लिए उद्योगों को सख्त निर्देष दिये जा रहे हैं।
द्विवेदी ने बताया कि मेघनगर औद्योगिक क्षेत्र में ट्रेंट केमीकल और राठौर फार्मा को क्लोजर नोटिस (काम बंद करने के लिए) भोपाल से जारी हुआ है यदि संबंधित कारखानों द्वारा एसओपी के अनुसार काम नहीं किया जायेगा तो पीसीबी द्वारा सख्त कार्यवाही की जायेगी। बदनाम हो गया औद्योगिक क्षेत्र एक ओर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री औद्योगिक निवेश के लिए देश-विदेश जाकर निवेषों को रिझाने में लगे हैं तो दुसरी ओर कथित प्रदुषण फैलाने वाली औद्योगिक ईकाइयों द्वारा प्रदुषण फैला कर जनता के साथ खिलवाड़ करने के चलते उत्पंन स्थितियों से औद्योगिक क्षेत्र का नाम बदनाम हुआ है।
पूर्व में भी औद्योगिक फैक्ट्रीयों कारखानों पर हुए हिंसक प्रदर्शन, धरना, चक्काजाम क्षेत्र की जनता अपनी बात बैबाकी से सरकार के सामने रख चुकी है इन्हीं घटनाओं की परिणीति के कारण कई निवेशकों ने अपना निवेश यहां करने का मन बदल लिया जिससे एमपीआईडीसी के प्रयासों को भी धक्का लगा है। केमिकल कारखानों के कारण यहां लाॅ एंड आर्डर खराब होने की स्थितिया निर्मित हो चुकी है, बावजूद ज़हर उगलते वाली फैक्ट्री संचालक प्रदुषण पर नियंत्रण के अपने वादों को पूरा नहीं कर पा रहे। कोरोना काल के बाद स्थिति में सूधार होता दिखा किंतु पिछले छः-सात माह से औद्योगिक प्रदुषण में पुनः तेजी देखी जा रही है।
सख्त कार्यवाही की दरकार हाल ही में मेघनगर नगर परिषद ने अनास नदी पर बने अपने डेम के सभी गेट खोल कर करोड़ गेलन लिटर पानी जो गर्मीयों में हजारों नगरवासियों को पेयजल के लिए सप्लाई कराना था को प्रदुषित होने के चलते बहा दिया। ये इस बात का पुख्ता प्रमाण है कि केमिकल से जुडी औद्योगिक इकाईयों तय (एसओपी) मापदंडों के अनुसार अपने वेस्ट का सही निस्तार नहीं कर रही। कास्ट कटिंग और अपने लाभ के लिए कथित कारखाना संचालक खुले में प्रदुषित पानी और गैस छोड़ कर आम लोगों के जानों-माल के साथ खुल्ला खिलवाड़ कर रहे हैं। एमपीआईडीसी ने जल प्रदुषण को रोकने के लिए करोड़ों रूपये खर्च किए।
सीईपीटी प्लांट बनाया किंतु औद्योगिक इकाईया इस प्लांट को प्रदुषित पानी देने में आना कानी कर रही है क्योंकि वेस्ट पानी का ट्रीटमेंट करना कारखानों को मंहगा लग रहा है। इस खर्च से बचने के लिए कुछ कारखाने खुले में प्रदुषित पानी को छोड़ कर क्षेत्र को खराब करने में लगे हैं। तालेबंदी के साथ एफआईआर भी की पूर्ववर्ती एसडीएम मुकेश सोनी औद्योगिक प्रदुषण को रोकने के कई प्रयास करते दिखे थे उन्होंने अपने सेवा निवृत्ति के पहले कई कारखानों को सील भी किया था। इस कार्यवाही के बाद एमपीआईडीसी और प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय ने भी कई कारखानों को नोटिस जारी किए बावजूद मेघनगर क्षेत्र में प्रदुषण का स्तर कम होने का नाम ही नहीं ले रहा।
प्रदुषण का सिला देहाडी जिले का सबसे बड़ा औद्योगिक क्षेत्र होने के बावजूद यहां के शैक्षित युवाओं को इन कारखानों के कार्यालयों की बजाय देहाडी मजदूरों के रूप में रोजगार दिया जा रहा है। अधिकांश कारखानों में तकनिकी कार्यालयीन पदों पर बाहरी राज्यों के लोगों को रखा जाता है। तक्षता का हवाला देकर कारखाना संचालक यहां के आदिवासी समुदाय के लोगों को रोजगार के नाम पर सिर्फ मजदूर बना कर अपनी पीठ खुब थपथपाते हैं।
जबकि उद्योग स्थापना के पहले सरकार और जनता के सामने शत प्रतिषत स्थानीय लोगों को रोजगार से जोड़ने के दावे किए जाते है। ये बोले जिम्मेदार श्रीनिवास द्विवेदी (क्षैत्रीय अधिकारी, पीसीबी इंदौर) क्षेत्र का सतत भ्रमण कर प्रदुषण नियंत्रण के उपयोग किए जा रहे हैं। प्रदुषण फैलाने वाले कारखानों को सख्त नोटिस देकर सूधार कराया जा रहा है। विधि अनुसार ट्रेंट केमीकल और राठौर फार्मा को कार्य बंद आदेष ( क्लोजर नोटिस) जारी किया है, यदि गाईड लाइन का उल्लंघन किया जायेगा तो इकाई बंद करने की कार्यवाही की जायेगी।
अनुविभागीय अधिकारी रीतिका पाटीदार मेघनगर प्रदुषण संबंधित शिकायतों से पीसीबी, एमपीआईडीसी और कलेक्टर मेडम को अवगत कराया है। मेघनगर में पेयजल की दिक्कत ना हो इसके लिए एमपीआईडीसी को 4 लाख लीटर पानी प्रतिदिन देने के साथ इसके स्थाई समाधान के लिए काम किया जा रहा है।
जन सुनवाई में इन्होंने अपनी बात बैबाकी से रखी दिनेश पाटीदार, मनिष नाहटा, अरुण ओहारी, इमरान शेख, वेद प्रकाश बसेर, नीरज श्रीवास्तव, कमलेश आदी ने कहा पर्यावरणविद औद्योगिक विकास से कोई आपत्ति नहीं है किंतु पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वाले उद्योगों को अनुमति नहीं दी जाना चाहिए। जो उद्योग जल, जगल जमीन को प्रदुषित करने के साथ मानव जीवन के लिए परेशानी के बनें बन उन पर मध्यप्रदेश के मुख्या मुख्यमंत्री को संज्ञान लेकर कार्यवाही करना चाहिए।
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