मेहलक़ा इक़बाल अंसारी, ब्यूरो चीफ, बुरहानपुर (मप्र), NIT:

बुरहानपुर के मायानाज़ सियासी रहनुमा मरहूम मौलाना हिफ़जुर रहमान अंसारी लाल टोपी के फरजंद, मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड, भोपाल के पूर्व सदस्य, पूर्व वरिष्ठ पार्षद (एल्डरमैन) पूर्व भाजपा नेता एवं वर्तमान में कांग्रेस के क़द्दावर नेता, ओजस्वी वक्ता, समाजसेवी, राजनैतिक, सामाजिक मंचों के स्टेज की शान मोईन अख्तर अंसारी (74) का 10 अगस्त 2024 को मुंबई में इलाज के दौरान इंतक़ाल हो गया। अपने राजनैतिक कैरियर की शुरुआत मुंबई से करने के बाद मोईन अख्तर अंसारी ने जन सेवा (खिदमते खल्क़) के लिए अपने वतन बुरहानपुर की सरज़मीन को चुना और भारतीय जनता पार्टी के मंच से नगर की जनता की सेवा की।
लेकिन यह भी एक संयोग ही है कि कुछ दिनों से बीमारी के चलते उन्हें इलाज के लिए मुंबई के केईएम अस्पताल परेल में भर्ती किया गया, जहां उन्होंने अपनी आखिरी सांस ली। इलाज के दौरान मुंबई में उनकी धर्मपत्नी दोनों पुत्र हबीब और सलमान के अलावा, अनस एवं उनकी ननिहाल के अन्य रिश्तेदार मौजूद थे। उनके छोटे भाई और समधी, सोशलिस्ट लीडर एवं सीनियर एडवोकेट खलील अंसारी अशरफी के ज़रिए मोईन अंसारी के इंतेक़ाल की ख़बर जैसे ही सोशल मीडिया के प्लेट फार्म के माध्यम से वायरल की गई, पूरे शहर सहित, सियासी समाजी हलकों सहित सर्व समाज और प्रदेश में शोक की लहर छा गई और हर किसी ने सोशल मीडिया के माध्यम से उनके हक़ में दुआ ए मगफिरत करने के साथ साथ भावपूर्ण श्रद्धांजलि देने का लंबा सिलसिला चलता रहा।
वे बुरहानपुर के कद्दावर भाजपा रहनुमा एवं मध्य प्रदेश विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष प्रोफ़ेसर पंडित बृज मोहन मिश्र के शागिर्द थे। एमपी वक्फ बोर्ड भोपाल के सदस्य रहते हुए अपने कार्यकाल में उन्होंने शहर की कुछ मस्जिदों के नवीनीकरण के लिए जो काम किए, वह अब तारीख़ के पन्नों पर ऐतिहासिक हैसियत के हामिल हो चुके हैं। अपनी जिंदगी के आखिरी दिनों में उन्होंने मोहल्ले मोमिनपुरा की मला मस्जिद (मस्जिद बागे इरम) के लिए, उन्होंने जो काम किया, अल्लाह के नज़दीक शायद यही काम उनकी मगफिरत का सबब बन जाए। वह ज़मीन से जुड़े जीरो ग्राउंड के कार्यकर्ता थे। और शहर की जनता में बेहद मक़बूल थे। भारतीय जनता पार्टी द्वारा उन्हें दो बार बुरहानपुर विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया गया था।
भाजपा की फ़ायर ब्रांड महिला नेत्री एवं पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती द्वारा भी उन्हें बुरहानपुर विधानसभा क्षेत्र से टिकट का अवसर दिया गया था, लेकिन पार्टी के बड़े नेताओं की साज़िश के चलते उनका टिकट वापस करवा कर उनका सियासी कैरियर खत्म करने की कोशिश की गई थी, और यहीं से उनका सियासी सितारा गर्दिश में आया हालांकि उन्होंने बाबरी मस्जिद की शहादत के बाद भी भाजपा नहीं छोड़ी थी, लेकिन भाजपा के वरिष्ठ नेताओं द्वारा उन्हें मुसलसल नज़र अंदाज़ किए जाने से वे पीड़ित थे और इसी के चलते उन्होंने अपने आखरी समय में भाजपा को छोड़ कर कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली थी और विगत विधानसभा और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के मंच से उन्होंने अपनी महत्ती भूमिका निभाई थी लेकिन कांग्रेस ज्वाइन करने के बाद जिंदगी उनके साथ दगा कर गई।
उनके जस्दे खाकी (पार्थिव शरीर) को मुंबई से बुरहानपुर लाकर उनके पैतृक निवास मोमिनपुरा से उनका जनाज़ा निकाला गया और मौलाना हिफजुर रेहमान ग्राउंड मोमिन पूरा में नमाज़ ए जनाज़ा अदा की गई। जनाजे की नमाज़ मला मस्जिद के ईमाम हाफ़िज़ इरफ़ान साहब ने पढ़ाई। जनाज़े में हज़ारों की तादाद में घर परिवार, समाज और रिश्तेदारों सहित नगर के गणमान्य लोगों की उपस्थिति में उन्हें हमीदपुरा स्थित दाई अंगा कब्रिस्तान में सुपुर्दे खाक किया गया। अल्लाह उनकी मगफिरत फरमाए और अपनी जवारे रहमत में आला से आला मक़ाम अता फरमाए। उनकी क़ब्र को कुशादा और मुनव्वर फरमाए। और जुमला एहले खाना को सबरे जमील अता फरमाए। आमीन।
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