लेखपाल की दबंगई के आगे ज़िम्मेदार नतमस्तक, लेखपाल कर रहा है मनमानी | New India Times

वी.के. त्रिवेदी, ब्यूरो चीफ, लखीमपुर खीरी (यूपी), NIT:

लेखपाल की दबंगई के आगे ज़िम्मेदार नतमस्तक, लेखपाल कर रहा है मनमानी | New India Times

गरीबों की झूग्गी झोपड़ी उखाड़ फेंकने वाले लेखपाल को यह नहीं दिखाई पड़ रहा की उक्त जमीन पर पीड़िता के अलावा और भी लोग बसे हैं और तो और दो बीघा में गन्ना भी बोया है लेखपाल व कानूनगो की जुगलबंदी से लोगों को किया जा रहा प्रताड़ित। कुछ पर रहम कुछ पर सितम पीड़िता ने कहा चुप नहीं रहेंगे हम। लखीमपुर खीरी जिला अधिकारी को दिए शिकायती पत्र में पीड़िता रोशन जहां पत्नी स्व जाहिद खान ग्राम पंचायत फूलबेहड़ मजरा ककरपिट्टा ग ब्लाक फूल बहेड लखीमपुर खीरी ने बताया कि पीड़िता लगभग 15 सालों से ग्राम ककरपिट्टा में रह रही हैं पीड़िता के चार पुत्र दो पुत्रियां हैं पीड़िता भूमिहीन है चारो पुत्रों के साथ रह रही 80 वर्षीय बुढ़ी बेवा पीड़िता को ग्राम प्रधान ने गांव में ग्राम पंचायत की जमीन की भूमि पर रहने के लिए कहा जहां पर पीड़िता ने बास बल्ली गाड़ कर त्रिपाल तान लिया 10 दिनों से रह रही थी। पीड़िता अकेली नहीं आस पास कल्लूराम  पुत्र राम भजन, और रमिन्द कुमार पुत्र तौले, इश्हाक पुत्र  शौकत आदि रह रहे थे।

पीड़िता अत्यंत गरीब है उसके पास जमीन खरीदने तक के रुपए नहीं भवन निर्माण तो सपने में भी नहीं सोच सकती चारो पुत्र मज़दूरी पेशा करते हैं  पीड़िता त्रिपाल तान रह रही है उसे रहने नहीं दिया जा रहा प्रताड़ित किया जा रहा है। घटना  24. अप्रैल .2024 को लेखपाल अजय सिंह कानूनगो के साथ पहुंचे पीड़िता और का त्रिपाल तुड़वा दिया तथा पास में रह रहे इश्हाक जिसकी पत्नी गर्भवती थी उस का भी छप्पर हटा समान फेक दिया। टुटी झोपड़ी में खुले मैदान में इश्हाक की पत्नी ने रात को जन्म दिया सभी लेखपाल के आगे रोते गिड़गिड़ाते रहे लेकिन ऐसा लग रहा था लेखपाल की जाति दुश्मनी थी बाकी घरो को छोड पीड़िता और इश्हाक का घर तोड दिया पीड़िता ने  बताया की लेखपाल अजय सिहं ने सरफुददीन पुत्र बाबू से ग्राम पंचायत की भूमि पर 2 बीघा  गन्ना बुवाया है इसलिए उसके विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं किया जो ग्राम समाज की भूमि पर खेती कर धन कमा रहा पीड़िता पूरी रात उजड़े घर में बैठी रही।

गुरुवार को मुख्यमंत्री पोर्टल पर आन लाइन शिकायत की तथा जिला अधिकारी, उप जिलाधिकारी से मिलकर  अपनी व्यथा रखी है। दूसरी तरफ पीड़िता की पुत्री जो गांव में ही ब्याही है उसे और उसके पति सलीम को किसी न किसी षड्यंत्र में फंसाने की शाजिस रची जा रही है। हर तरफ़ से मजबूर पीड़िता को देखते हैं न्याय मिलता है की लेखपाल की मनमानी से पीड़िता लेखपाल के आवेश का शिकार होती है की इसी तरह खुले मैदान में जीवन गुज़ारने के लिए मजबूर होगी।


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