मेहलक़ा इक़बाल अंसारी, ब्यूरो चीफ, बुरहानपुर (मप्र), NIT:
लोकसभा चुनावों की आमद के साथ जिस प्रकार कांग्रेस में भगदड़ का माहौल है वह किसी से छिपा नहीं है। केंद्रीय मंत्री रहे नेता से लेकर आम कार्यकर्ता, जिस प्रकार भाजपा का पट्टा गले में डालने पर आतुर दिख रहे हैं उससे एक बात तो सर्वथा साबित हो गई है कि इनकी अंतरात्मा में भाजपा का वास पूर्व से था और दिखावे के रूप में यह कांग्रेसी बने बैठे थे। यही कारण रहा कि गीदड़ के भेस में कांग्रेस को जड़ से कमज़ोर करने वाले विभीषण एक लंबे अंतराल से कांग्रेस में रहकर उसको दीमक की तरह चाट रहे थे और समय आने पर पाला बदल गए।
कांग्रेस से भाजपा में भगदड़ का आगाज़ 2020 में तब हुआ जब अपने छोटे से राजनैतिक केरियर में ग्वालियर की माटी के सपूत कैलासवासी माधव राव सिंधिया के एक मात्र चश्मों चिराग ज्योतिरादित्य सिंधिया (जो कांग्रेस नेता राहुल गांधी के हम प्याला हम निवाला होते थे) ने अचानक कांग्रेस से नाता तोड़ भाजपा का न सिर्फ दामन थामा वरन कमलनाथ की चुनी हुई सरकार को गिराने का अपराध किया है। जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से भाजपा की ओर प्रस्थान किया उस समय सारा विश्व महामारी का दंश झेल रहा था। सत्ता की लोभी भाजपा ने ज्योतिरादित्य सिंधिया की कमर को पायदान बनाकर पीछे के दरवाजे से सत्ता की चाबी पर कब्ज़ा किया था। सिंधिया के पीछे कई नेता भी भाजपा के हो गए।
कमलनाथ सरकार गिरी और शिवराज ने कोरोना संक्रमण महामारी की आड़ में सत्ता हथिया ली। 2023 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने शिवराज सिंह चौहान को बकरा बनाकर सत्ता तो हथिया ली लेकिन शिवराज को खदेड़ दिया और एक नए मोहन यादव को सत्ता की चाबी सौंप दी। लोकसभा चुनाव के पूर्व अचानक एक बाढ़ आई कांग्रेस के शीर्ष से लेकर आम नेता ने भाजपा का दामन तो थाम लिया लेकिन हकीक़त में उनकी औकात धोबी के कुत्ते की भांति लग रही है जो न घर का होता है और घाट का। इस बात का अहसास भाजपा के नेताओं की तल्ख टिप्पणी से पता चलता है।
गत दिनों शिवराज मंत्री मंडल में कद्दावर नेता और वर्तमान में उपेक्षित महसूस कर रहे बीजेपी के सीनियर नेता और पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव ने ऐसे नेताओं की तुलना पकी बेरी से की है, तो मोहन यादव सरकार के मंत्री (पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे ) प्रहलाद पटेल ने इस भगदड़ के बाद भाजपा में आए कांग्रेसियों को कचरे की संज्ञा दे डाली थी। यह बात अभी यहीं खत्म नहीं हुई, शिवराज सरकार में ही मंत्री रही पूर्व मंत्री ललिता यादव ने कांग्रेस नेताओं के बड़ी संख्या में बीजेपी में आने से साइड इफेक्ट के सवाल पर कहा कि हमारे पास अच्छी मेडिसिन है। उन्होंने ये भी कहा कि कांग्रेस नेताओं को एडजस्ट नहीं करेंगे, उन्हें एडजस्ट होना पड़ेगा। इस तरह की टिप्पणियां केवल शिवराज मंत्रिमंडल के मंत्री रहे और वर्तमान में उपेक्षित महसूस करने वाले उन नेताओं की है जो अपने भाजपा समर्पित कार्यकर्ताओं को किस मुंह से समझाए कि कल तक जिनसे गालियां खाते थे आज उनके साथ एक जाजम में कैसे एडजेस्ट करेंगे। यह पीड़ा भाजपा के सक्रिय हर कार्यकर्ता की है जिसने 40/50 साल सेवा की जिन कांग्रेस वालों के खिलाफ वोट मांगे आज उनके साथ कैसे खड़े रहेंगे।
भाजपा के उपेक्षित नेताओं की तल्ख टिप्पणी पर कांग्रेस ने भी चुटकी लेने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। मोहन यादव सरकार के मंत्री प्रहलाद पटेल के बयान पर कांग्रेस ने तंज कसा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के मीडिया सलाहकार के के मिश्रा ने सोशल मीडिया पर लिखा- ‘आखिरकार आपने भी यह स्वीकार कर ही लिया कि कांग्रेस के स्वार्थी दलबदलू ‘कचरा’ हैं। यहीं नहीं इस बात पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा ज्वाइन करने वाले नेताओं के लिए कहा, ‘राजनीति विचारधारा की लड़ाई होती है। जो छोड़कर जा रहे हैं, उन्हें धंधा करना है, दलाली करनी है। वे अकेले जा रहे हैं, जनता उनके साथ नहीं जा रही। कांग्रेस छोड़ भाजपा ज्वाइन करने वाले जहां कांग्रेस में गद्दार, धोखेबाज़, अवसरवादी कहला रहे हैं वहीं भाजपा के लिए उनकी औकात पके बेर और कचरा से ज्यादा कुछ नहीं है। लोकसभा चुनावों के बाद इन भगोड़ों की क्या औक़ात होगी यह तो वक्त बताएगा लेकिन यह सर्वथा सत्य है कि भाजपा इनको अछूत मानती रहेगी और यह उपेक्षित ही रहेंगे।
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