मेहलक़ा इक़बाल अंसारी, ब्यूरो चीफ, बुरहानपुर (मप्र), NIT:

असहाबे सुफफा एजुकेशनल सोसायटी ने बहुत कम समय में शहर में एक मक़ाम हासिल किया है। इस समिति को परवान चढ़ाने में इसके पीछे, जो छुपी हुई ताकत थी, उस शख्सियत का नाम मरहूम सैयद तिलत तमजीद उर्फ़ बाबा मियां का नामे नामी इस्मे ग्रामी है। मरहूम ने ही इस संस्था का नाम असहाबे सुफ्फा एजुकेशन सोसाइटी रखा और वे इस के सरपरस्त रुक्न थे। बाबा मियां की रहनुमाई और सरपरस्ती में सोसायटी के युवा कर्णधार हाजी अब्दुल बासित ने इस समिति की स्थापना करके खिदमत खल्क़ को अवाम तक पहुंचाया। लॉक डाउन में जब जनता बेहद परेशान थी। उस समय इस संस्था ने गरीबों को अनाज तकसीम करके और ईद पर शीर खुरमा का सामान देने से इस संस्था का ग्राफ बढ़ गया। मरहूम की रहनुमाई में कम अरसे में संस्था ने इन्सानियत की बेलौस खिदमत अंजाम देकर अपना नुमाया मक़ाम हासिल किया।

बाबा मियाँ खिदमतगारों की हौसला अफ़ज़ाई में हमेशा पेश रहते थे। उन्होंने अपने दफ्तर में आपने अनगिनत खिदमतगारों का इस्तक़बाल किए है और बेइंतिहा ख़ुशी का इज़हार करते हुए इससे जुड़े मेंबरों की हौसला अफजाई की, जिस की वजह से संस्था ने ना मुमकिन काम को भी मुमकिन बना दिया। संस्था की संक्षिप्त जानकारी इस प्रकार है:
2018 में सोसाइटी का आगाज़
2019 में मदरसा असहाबे सुफ्फा की इब्तिदा
2019 में ही बच्चों की पढ़ाई के लिए एक मुहिम की शुरुवात
2020 से 2021 तक लॉक डाउन में पुरे शहर की बे लॉस खिदमत
2022 में कई सैकड़ों बच्चों की पढ़ाई का फ़्री इंतेज़ाम
2023 में सैकड़ों ज़रूरत मंद बच्चों को स्कूल समग्री का निःशुल्क वितरण।
2024 के शुरुवात में उन्ही के सलाह से ज़रूरत मंद लोगों को फ़्री कारोबार की शुरूवात और ऐसे हजारों काम आपकी निगरानी में आज तक और इंशा अल्लाह कयामत तक असहाबे सुफ्फा एजुकेशनल सोसाइटी करते रहेगी। अल्लाह मरहूम को जन्नत नसीब फरमाए।
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