मो. मुजम्मिल, जुन्नारदेव/छिंदवाड़ा (मप्र), NIT:
परासिया जिंदगी की कमियों की ज़िद और जुनून से जीत रही है। लेकिन इस दुनिया में कुछ लोग ऐसे होते हैं जो अपनी कमियों के बाद भी आगे बढ़ने के लिए झुझते रहते हैं उनसे सब लोग को प्रेरणा लेना चाहिए, बारहवीं की परीक्षा के दौरान परीक्षा कक्ष में कुछ ऐसा ही नज़ारा देखने को मिल रहा है। जहां नेत्रहीन छात्रा अपने साथी की मदद से परीक्षा दे रही है।
ये वह छात्रा है जिनकी आंखें देखने में सक्षम नहीं है। लेकिन वे अपनी जुझारू क्षमताओं से दुनिया को रोशनी दिखा रही है। चांदामेटा की एक सिफा छात्रा बीमारी से अपनी रोशनी खो चुकी थी। इस बार बारहवीं की परीक्षा वह प्राइवेट से दे रही है। एक निजी स्कूल की छात्रा पेपर लिखने में उसकी मदद कर रही है। छात्रा ने बताया कि वह देख नहीं सकती। लेकिन जिंदगी में आगे बढ़ना चाहती है। ईकलेहरा की एक पुजा भारती छात्रा भी अपनी नेत्रहीनता के बाद भी परीक्षा दे रही है। दिव्यांग छात्राएं अपनी मेहनत के बल पर खुद की कमियों को दूर करती दिख रही हैं। ये ऐसा काम है जो खुद के कमज़ोरी होने के बाद भी अपनी कमियों पर अपनी ज़िद और जुनून के माध्यम से उड़ान भर रही हैं।
Discover more from New India Times
Subscribe to get the latest posts sent to your email.