नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
31 जनवरी को दिल्ली के जंतर मंतर मैदान पर BAMCEF भारत मुक्ति मोर्चा की ओर से EVM हटाओ आंदोलन किया गया। आंदोलन में BAMCEF चीफ वामन मेश्राम , NCP सुप्रीमो शरद पवार ने मार्गदर्शन किया गया। इस खबर को गोदी न्यूज़ चैनलों ने टीवी स्क्रीन से छू मंतर कर दिया। दूसरी ओर चुनाव आयोग का एक पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हुआ जिसमें 16 अप्रैल को वोटिंग की बात कही गई। हम इस पत्र की पुष्टि नहीं करते, हो सकता है कि जंतर मंतर पर हो रहे आंदोलन की प्रतिक्रिया में पत्र का संबंध हो। दुनिया भर के विकसित देशों ने सरकार चुनने के लिए EVM को बैन कर बैलेट पेपर को अपनाया है। भाजपा EVM पर क्यो अड़ी है इसका जवाब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मांगना बेकार है क्योंकि वो दस साल से जनता के सवालों से भागते आए हैं। गनीमत है भारत के संविधान में हर पांच साल के बाद विधायिका यानी लोकसभा और विधानसभा के चुनाव करवाने का अनिवार्य प्रावधान है वरना 2024 के चुनाव भी नहीं होते।
जर्मनी – इजराइल में रोज़गार के सब्जबाग – मोदी जी के आदेश के बाद देश में किसी भी समय आम चुनाव घोषित किए जाने है। बिहार और महाराष्ट्र ये दोनों राज्य भाजपा के लिए अपने बूते अजेय है। यहां से लोकसभा की 40+48=88 सीटें आती है, महाराष्ट्र में भाजपा ने प्रसार प्रसार के लिए सरकारी खजाने के सहारे सारी ताकत झोंक दी है। ब्लॉक स्तर पर यूवाओं को जर्मनी-इसराइल में रोज़गार गारंटी का वादा किया जा रहा है। जामनेर के एक सम्मेलन में जर्मनी की उद्यम प्रतिनिधि पॉलिना ने सामने बैठे बेरोजगारों को जर्मनी का भूगोल, अर्थशास्त्र, मानव वंशशास्त्र बताया। 70 लाख रोजगार के अवसरों की गवाही दी, आखिर में पॉलिना ने इस बात पर जोर दिया कि जर्मनी में संस्कृती के नाम पर किसी के साथ कोई भेद भाव नहीं किया जाता। आयोजकों ने बताया कि पहले भी ऐसा सम्मेलन आयोजित किया गया था जिसमें 50 युवकों को सिलेक्ट कर लिया गया है बस उनको जर्मन भाषा सिखाई जा रही है। मंच पर भाजपा नेता संजय गरुड़, जे के चव्हाण, चंद्रकांत बाविस्कर समेत मान्यवर मौजूद रहे। ज्ञात हो कि इसराइल में मज़दूर मुहैय्या कराने के नाम पर बिहार, हरियाणा से बेरोज़गार युवकों को रोज़गार की गारंटी दी जा रही है। सरकार में बैठे दल का जर्मनी और इसराइल से क्या नाता है इसे इतिहास में खोजना पड़ेगा। हर साल दो करोड़ रोज़गार की गारंटी देने वाली नरेन्द्र मोदी सरकार दस साल में बीस करोड़ रोज़गार देने में फेल हो चुकी है। झूठ से सजे जुमलों से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए प्रसार प्रसार के हमले तेज़ कर दिए गए हैं।
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