रहीम शेरानी हिन्दुस्तानी, ब्यूरो चीफ, झाबुआ (मप्र), NIT:
लेटलतीफी देरी के चलते पहले ठेकेदार पर हो चुकी ब्लैक लिस्टेड की कार्रवाई, जर्जर ब्रिज से गुजर रहे हजारों लोग
झाबुआ मंदसौर शिवना नदी पर ब्रिज का काम 2018 से लेकर अब तक जारी है। ब्रिज को लेकर 6 साल बाद भी अधिकारियों का कहना है कि 40 फीसदी काम हो चुका है। दोबारा टेंडर प्रक्रिया के बाद नए ठेकेदार को जुलाई माह 2024 तक का समय दिया गया है।
7 माह में 60 फीसदी काम कर पाना मुश्किल दिख रहा है। पूर्व में ठेकेदार पर काम में लापरवाही के चलते ब्लैक लिस्टेड की कार्रवाई हो चुकी है। अब देखना यह है कि अधिकारी अब निगरानी रखेंगे या मेहरबानी करने की परंपरा को निभाएंगे। वर्ष 2018 में सेतु विकास ने एनडीबी (न्यू डेवलपमेंट बैंक) के तहत 30.13 करोड़ की लागत से मंदसौर- नीमच जिले में 10 ब्रिज का काम गुजरात के ठेकेदार को दिया था। एनडीबी से राशि मिलने पर मप्र शासन के सेतु विकास विभाग ने 2018 में टेंडर प्रक्रिया कर मंदसौर जिले में गरोठ- बोलिया मार्ग, शिवना ब्रिज, शामगढ़- सुवासरा मार्ग पर दो ब्रिज समेत कुल 4 ब्रिज का निर्माण कार्य गुजरात के एक ही ठेकेदार को दिया था। अनुबंध के अनुसार सभी ब्रिज का निर्माण 2020 में पूरा होना था, लेकिन ठेकेदार ने प्रारंभ से काम में रुचि दिखाना गवारा ना समझा
शिवना ब्रिज पर मानसून के खत्म होने के बाद से काम जारी है।
ठेकेदार ने वर्क आर्डर लेकर काम कराने के लिए दूसरे ठेकेदारों को पेटी कांट्रेक्ट दे दिया। दोनों के मध्य आपसी विवाद के चलते सालों से सभी ब्रिज के काम अधूरे पड़े रहे। विभाग द्वारा दो से तीन बार अतिरिक्त समय भी दिया गया, लेकिन फिर भी ठेकेदार ने काम नहीं किया। आखिरकार पांच साल बाद एनडीबी ने ठेकेदार का अनुबंध निरस्त कर दिया। इसके बाद मई में दोबारा टेंडर प्रक्रिया कराकर मंगलम कंस्ट्रक्शन का ठेका हुआ। अब शिवना ब्रिज पर मानसून के खत्म होने के बाद से काम जारी है। फाउंडेशन सहित करीब 40 फीसदी काम हो चुका है, लेकिन समयावधि 28 जुलाई 2024 तक की है। जानकारों का कहना है कि 7 माह में काम कर पाना मुश्किल है।
यातायात का दबाव बढ़ने से ब्रिज के एक लेन पर चालू किया आवागमन
शिवना ब्रिज पर यातायात का दबाव बढ़ने के साथ ही निर्माण कार्य चालू होने के कारण अभी एक लेन यानी शहर में प्रवेश होने वाले वाहनों का आवागमन चालू है। शहर से बाहर जाने वाले वाहन छोटी पुलिया से होकर गुजर रहे हैं।
काम कर रहे मजदूरों का कहना पड़ता था कि वाहनों पर बैठे यात्री नदी में नारियल, सिक्के या अन्य कोई चढ़ावा फेंकते हैं। इससे कई बार चोंट लग जाती थी। इसको लेकर वरिष्ठ स्तर पर अवगत कराया था। फिलहाल ब्रिज पर एक लेन से आवागमन जारी है।
सीतामऊ-चौमहला – गंगधार मार्ग पर ब्रिज की आगामी दिनों में स्थिति स्पष्ट होगी कि ठेकेदारों ने रूचि दिखाई या नहीं।
सीतामऊ व चौमहला के बीच चंबल नदी पर बना ब्रिज 2019 की बाढ़ में बह गया था। तब से आज तक नए ब्रिज का निर्माण नहीं हो पाया है। तब से लेकर अब तक परेशानी का सबब बना हुआ है प्रदेश के विभिन्न कार्यों के साथ अधिकारियों ने तत्कालीन सीएम से 6 अक्टूबर को सीतामऊ-चौमहला – गंगधार मार्ग पर ब्रिज का वर्चुअल भूमिपूजन भी कराया था। वहीं अब तक इसके पांच बार टेंडर निरस्त हो गए हैं। छठीं बार टेंडर प्रक्रिया के लिए 6 जनवरी आखिरी तारीख थी। अधिकारियों का कहना है कि आगामी दिनों में स्थिति स्पष्ट होगी कि ठेकेदारों ने रूचि दिखाई या नहीं।
निर्माण में विद्युत पोल अड़चन दे रहा है कर्मचारियों ने इसे लेकर संबंधित विभाग को अवगत कराया
वर्तमान में सेतु के 7 पिलर खड़े हो चुके हैं, आठवें का निर्माण जारी है। निर्माण में विद्युत पोल अड़चन दे रहा है। मौके पर काम कर रहे कर्मचारियों ने इसे लेकर संबंधित विभाग को अवगत कराया और अधिकारियों ने निराकरण का आश्वासन भी दिया। इसके बाद भी पोल शिफ्टिंग में हो रही देरी से काम प्रभावित हो रहा है। समय पर काम पूरा होने का दावा करने वाले अधिकारी इस समस्या का निराकरण तक नहीं करवा पा रहे है।अगर अधिकारी जोर देते है तो समस्या का हल हो सकता है।
चौमहला ब्रिज को लेकर आगामी दिनों में स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।
• शिवना ब्रिज की समयावधि जुलाई 2024 तक की है। अभी कह पाना मुश्किल है कि काम पूरा होगा या नहीं। लेकिन निर्माण कार्य जारी है। वहीं चौमहला ब्रिज को लेकर आगामी दिनों में स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।
–प्रवीण नरवरे, एसडीओ,सेतु विकास विभाग, मंदसौर
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