60 हजार करोड़ का घाटा उसके बाद भी 55 हजार करोड़ रुपए की अतिरिक्त मांग, कहां से आएगा पैसा? क्या केंद्र सरकार महाराष्ट्र को देगी आर्थिक पैकेज??? | New India Times

नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

60 हजार करोड़ का घाटा उसके बाद भी 55 हजार करोड़ रुपए की अतिरिक्त मांग, कहां से आएगा पैसा? क्या केंद्र सरकार महाराष्ट्र को देगी आर्थिक पैकेज??? | New India Times

महाराष्ट्र विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन विभिन्न प्रशासनिक विभागों के लिए 55 हजार करोड़ रुपए के आवंटन का अतिरिक्त प्रस्ताव सदन के पटल पर रखा गया। 60 हजार करोड़ रुपए के वित्तीय घाटे के बजट के बाद 55 हजार करोड़ रुपए की मांग कहां से पूरी की जाएगी इस सवाल का जवाब सरकार ने नहीं दिया है। शिंदे-फडणवीस सरकार की वैधता को लेकर बने सस्पेंस के कारण रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने महाराष्ट्र सरकार को दिया जाने वाला सालाना 70 हजार करोड़ रुपए के ऋण वितरण को रोक दिया है। राज्य की जनता पर करीब तीन लाख करोड़ रुपयों के कर्ज का बोझ चढ़ चुका है।

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कुदरती आपदा का शिकार बने कृषि क्षेत्र की सहायता के लिए 20 हजार करोड़ की आवश्यकता है। PWD और अन्य सार्वजनिक उपक्रमों के निर्माणों को पूरा कर चुके ठेकेदारों का 10 हजार करोड़ रुपया सरकार को देना है। इस नाजूक स्थिति में क्या केंद्र सरकार राज्य को आर्थिक पैकेज देगी, इस सवाल का जवाब स्पीकर द्वारा विधायिका को दिया जाना चाहिए। पुरानी पेंशन, सरकारी नौकरी के कम होते अवसर, आरोग्य विभाग के टेंडरिंग में हो रहा भ्रष्टाचार, 25/15 का बकाया, OBC के लंबित राजकीय आरक्षण के कारण डेढ़ साल से अधर में लटके राज्य निकाय के आम चुनाव। जलगांव जिले में मंजूर सरकारी प्रोजेक्ट्स के जबरन हस्तांतरण प्रक्रिया की रोकथाम में तीनो कैबिनेट मंत्रियों की नाकामी, यह तमाम विषय फिलहाल चर्चा और कृति से बाहर हैं। अपने अपने निर्वाचन क्षेत्रों में विकास को लेकर नाकारा साबित हो चुके मंत्रियों के सोशल मीडिया पेजेस उनकी अपने ठाठ बाठ और फोटोज़ से भरे पड़े हैं। सत्र में वित्तीय परामर्श से जुड़े सारे विषयों की जगह नवाब मलिक के संदेहजनक राष्ट्रप्रेम और भाजपा की अपार “राष्ट्रवादी” भूमिका ने ले रखी है। जैसे जैसे सत्र का कामकाज आगे बढ़ेगा नेता लोग नई नई नाटिकाओं का मंचन करते नजर आएंगे। NIT शुरू से लिखता आया है कि संवैधानिक तौर पर अवैध होने के कारण शिंदे-फडणवीस सरकार के पास नीतिगत फैसले लेने की कोई वैध शक्ति नहीं है। बेमौसमी बारिश के कारण सूबे में ठंड की वापसी हो गई है। धर्म से देश की राजनीत को गर्म रखने के लिए कमाई पूतों की ओर से सड़कों पर पुतला फूंको खबरें सेंको प्रोग्राम चलाया जा रहा है।


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