संदीप शुक्ला, ब्यूरो चीफ, ग्वालियर (मप्र), NIT:
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की पूर्व मुख्य प्रशासिका रहीं दादी प्रकाशमणि का 16वां स्मृति दिवस देशभर के साथ ग्वालियर के माधौगंज केंद्र प्रभु उपहार भवन एवं ओल्ड हाईकोर्ट स्थित संगम भवन सहित सभी केंद्रों पर विश्व बंधुत्व दिवस के रूप में मनाया गया।
प्रभु उपहार भवन माधवगंज केंद्र पर ब्रह्माकुमारीज संस्थान से जुड़े साधकों को संबोधित करते हुए केंद्र प्रमुख आदर्श दीदी ने कहा कि दादी प्रकाशमणि ने भारतीय संस्कृति का संदेश विश्वभर में दिया। उन्होंने अपने नाम को चरितार्थ कर भारतीय संस्कृति का प्रकाश दुनियाभर में फैलाया।
अध्यात्मिक ज्ञान से उन्होंने दुनिया के 130 देशों में योग और आध्यात्म की अलख जगाई। जब वे ब्रह्माकुमारी संस्थान से जुड़ी, तो इस संस्थान को ओम मंडली के नाम से जाना जाता था। 14 वर्ष की छोटी उम्र में ही उन्होंने अपना जीवन मानव कल्याण को समर्पित कर दिया। उनके कुशल नेतृत्व में संयुक्त राष्ट्र संघ ने गैर सरकारी संस्था के तौर पर आर्थिक एवं समाजिक परिषद का परामर्शक सदस्य बनाया एवं यूनीसेफ ने अपने कार्योंं मेें सहभागी बनाया।
बीके प्रहलाद ने कहा कि दादी प्रकाशमणि के नेतृत्व में ब्रह्माकुमारीज ने विश्व शांति के लिए कई रचनात्मक कार्य किए, जिसके लिए संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1987 में एक अंतर्राष्ट्रीय तथा 5 राष्ट्रीय स्तर के शांतिदूत पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया। ये उनके व्यकित्व का ही प्रभाव था कि दुखी लोग भी उनके पास जाकर मुस्कराते हुए आते थे।
25 अगस्त 2007 को वे अपने भौतिक शरीर को त्यागकर अव्यक्त लोक की यात्रा पर निकल गईं, लेकिन उनके विचार संस्थान के भाई बहिनों को सदा प्रेरणा देते रहेंगे।
इस मौके पर इंजी. बीके गुप्ता, राजेश राजपाल, संतोष बंसल, जगदीश मकरानी, राजेन्द्र सिंह, चंद्र प्रकाश, किरण सारड़ा, डॉ निर्मला कंचन, संजय चौहान, विजेंद्र कुशवाह, संजय बीके सुरभि, बीके रोशनी सहित सैकड़ों लोगों ने दादाी प्रकाशमणि को श्रद्धासुमन अर्पित किए।
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