क्या 50 प्रतिशत कमीशन वाली मध्यप्रदेश सरकार 40 प्रतिशत के निर्यात ड्यूटी से अपने किसानों को बचाएगी: विधायक कुणाल चौधरी | New India Times

जमशेद आलम, ब्यूरो चीफ, भोपाल (मप्र), NIT:

कांग्रेस विधायक श्री कुणाल चौधरी ने प्रेस कांफ्रेंस कर मीडिया को बताया कि देश और प्रदेश में जिस तरह से पिछले 8 वर्षाे में महंगाई ने लोगों की कमर तोड़ रखी है इससे कोई भी व्यक्ति अछूता नहीं रहा। पेट्रोल, डीजल, केरोसिन से लेकर गैस, दाल, सब्जियों तक सब महंगा। परंतु देश की विडंबना है की 8-9 वर्षाें तक लगातार देश एवं प्रदेश के आमजन को लूटकर अपनी और अपने उद्योगपति मित्रों की तिजोरियां भरने का काम करने वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार चुनावों के ठीक पहले महंगाई कम करने के बहाने एक बार फिर इस देश एवं प्रदेश के अन्नदाताओं पर कुठाराघात करने का काम कर रही है। 50 रुपए के डीजल पेट्रोल को सरकार ने 100 रुपए के पार पहुंचा दिया, गैस की टंकी को 400 से 1200 रुपए पर पहुंचा दिया, लेकिन महंगाई कम करने के नाम पर सरकार पहले से कर्ज में डूब रहे इस देश के अन्नदाताओं की पीठ में छुरा घोंपने का काम कर रही है। इस वर्ष हमारे प्रदेश में जिस तरह से ठंड एवं गर्मी के मौसम में बार बार होने वाली अप्राकृतिक बारिश ने किसानों की प्याज एवं लहसुन की फसलों को नुकसान पहुंचाया है, नतीजा ये रहा कि प्याज की फसल कम पैदावार के साथ-साथ मौसमी बीमारियों से घिर गई। बिगड़ती फसलों को किसानों ने खेत से ही पानी के भाव बेचने का काम किया, फेंकने का काम किया। परंतु सही भाव आने के इंतजार में जैसे-तैसे मशक्कत कर थोड़ी प्याज को बचाया, ताकि सही दाम आने पर उन्हें बेचकर अपने नुकसान की थोड़ी भरपाई कर पाए। लेकिन किसान विरोधी भाजपा ने अपनी किसान विरोधी नियत को एक बार फिर उजागर कर दिया। प्याज की बढ़ती अंतर्राष्ट्रीय मांग के कारण पिछले कुछ दिनों से भाव में थोड़ा उछाल आया और 6-7 रूपए बिकने वाला प्याज 15 रुपए के ऊपर बिकने लगा जिससे किसानों ने थोड़ी राहत की सांस भरी ही थी कि अचानक से प्याज के निर्यात पर ‘असंवैधानिक निर्यात शुल्क’ लगा कर किसानों के ऊपर बड़ा प्रहार किया गया। 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाने के कारण अब किसानों का प्याज देश के बाहर जाना लगभग खत्म हो गया और एक बार फिर गिरती हुई प्याज की कीमत किसानों को खून के आंसू गिराने का काम कर रही है।
एक बीघा में प्याज की अनुमानित लागत लगभग 60 हजार रुपए है और उत्पादन लगभग 50 से 60 क्विंटल और जब प्याज 10 रुपए (1000/क्विंटल) किलो बिकता है, तब जाकर किसान अपनी लागत निकालने के करीब पहुंचते हैं और यदि किसान को प्याज 2-3 महीने स्टोर करना पड़ता है तो 5 रुपए प्रति किलो लागत भी बढ़ जाती है। यदि अंतर्राष्ट्रीय मांग बढ़ने के कारण किसानों को 20 रुपए प्रति किलो भाव मिल रहा था तो इस पर निर्यात ड्यूटी 40 प्रतिशत क्यों लगा दी? बीते मई के महीने में भी मप्र में प्याज 2 से 4 रूपये किलो तक बिकने में आ गया था, किसानों ने सड़कों पर प्याज फेंका और भाजपा की निर्लज्ज सरकार सोती रही।
मध्यप्रदेश के भीतर 2011 में प्याज के भाव ने आसमान छुआ तो नतीजा ये रहा अगले 3-4 वर्षाें में बुवाई का रकबा कई गुना बढ़ गया, 2016 में जिस प्रदेश सरकार ने प्याज की कीमतों की 10 रुपए प्रति किलो एमएसपी तय की थी उसकी हकीकत क्या रही। प्रदेश का किसान क्यों 2-3 रुपए किलो के हिसाब से प्याज बेचने मजबूर होता रहा और आज 50 प्रतिशत कमीशन वाली मध्यप्रदेश सरकार क्या 40 प्रतिशत के निर्यात ड्यूटी से अपने किसानों को बचाएगी?
भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा प्याज उत्पादन करने वाला देश है और महाराष्ट्र एवं मध्यप्रदेश दो बड़े उत्पादन करने वाले राज्य, फिर क्यों प्याज की खेती करने वाला किसान अपनी जमीन बेचने को मजबूर है? क्यों उसकी जमीन, ट्रैक्टर ट्रॉली नीलाम होती जा रही है। अकेले नाशिक में प्याज की खेती करने वाले लगभग 62 हजार किसानों की जमीनें बैंक नीलाम करने जा रहा है।
सवाल उठता है 4-5 वर्षाे में किसी एक वर्ष यदि प्याज की कीमत किसी कारण से किसानों को अच्छी मिल रही है तो सरकार की नियत क्यों बिगड़ रही है?

सदमे में हैं किसान

प्याज़ के निर्यात पर 40 प्रतिषत ड्यूटी के बाद किसान सदमे में हैं, क्योंकि मौसमी हालातों के चलते बहुत प्याज सड़ गया था, अब निर्यात भी बंद समझो, किसान सोने के भाव नहीं बेचना चाहता, जायज भाव बेचना चाहता है, डैच् गारंटी एक तरीका है।
भाजपा की केंद्र सरकार ने प्याज एक्सपोर्ट पर 40 प्रतिशत एक्सपोर्ट ड्यूटी लगा कर उसका किसान विरोधी चरित्र दर्शाया है। प्याज़ के भाव फिर घटेंगे। मप्र में प्याज सबसे ज्यादा पैदा होता है मालवा निमाड़ में। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तत्काल इस एक्सपोर्ट ड्यूटी को समाप्त करना चाहिए।
प्याज 18 से 20 रुपए किलो ही बिक रहा था जिसमें किसान की लागत भी नहीं निकल रही थी क्योंकि ज्यादातर प्याज तो मालवा निमाड़ में बेमौसम बारिश से काफी नुकसान होने से खराब हो गई थी वहीं बची हुए प्याज की फसल किसानों ने रोक रखी थी कि उन्हें अपनी फसल के अच्छे दाम मिलेंगे परंतु केंद्र सरकार ने इस पर 40 फ़ीसदी टैक्स लगा दिया जो न्यायोचित नहीं है।

दो सालों से किसान अपने प्याज को फैंकने पर मजबूर

भाजपा सरकार की गलत नीतियों के कारण पिछले दो सालों से किसान अपने प्याज को फेंकने या औने-पौने दामों पर बेचने पर मजबूर हैं।
इस साल मध्य प्रदेश में फरवरी, मार्च, अप्रैल माह में हुई असमय बारिश के कारण पहले तो प्याज में फंगस झुलसा रोग थ्रिप्स आदि समस्याओं के कारण किसानों को अपने प्याज की फसल बचाने के लिए कई प्रकार की दवाइयां को छिड़काव करने से किसानो की लागत डबल हो गई और ऊपर से प्याज की खुदाई के समय लगातार हुई असमय बारिश के कारण लगभग किसान का आधा प्याज खेत में ही खराब हो गया और जो प्याज बचा था उसमें पानी घुसने के कारण उसे भंडारण कर लंबे समय तक बचा पाना किसान के लिए एक बड़ी चुनौती थी।
जब किसान ने भंडारण किया तो उसमें भी आधा प्याज लगभग खत्म सा हो गया, अब किसान बड़ी उम्मीद से जो 25 से 30 प्रतिशत प्याज बचा था उसे उम्मीद लगाए बैठा था कि ठीक-ठाक भाव आ गए तो कम से कम मेरी लागत जो इस प्याज को पैदा करने में लगी है वह तो निकल ही जाएगी और जब मार्केट में किसानों के प्याज बिकने का समय आया तब सरकार ने प्याज निर्यात पर 40 प्रतिशत टैक्स उन व्यापारियों पर लगा दिया जो दूसरे देशों में अपना प्याज बेचते हैं।
जिस प्याज के भाव से किसान उम्मीद लगाए बैठा था वह अचानक से आधे हो गए क्योंकि टैक्स व्यापारियों पर नहीं टैक्स लगा है तो किसान पर।
सीधी से बात है व्यापारी जिन पर पहले प्याज खरीदने में कोई टैक्स नहीं लगता था विदेश भेजने पर आज उन्हें 100 रुपए की प्याज निर्यात करने पर 40 रुपए टैक्स सरकार को देना पड़ेगा इसका सीधा मतलब है कि व्यापारी 100 रुपए की प्याज पर 40 रुपए भाव कम करके ही किसान का प्याज खरीदेगा।


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