राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के तहत 10 अगस्त से जिले में सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम (आईडीए) के अंतर्गत घर घर खिलाई जाएगी दवा | New India Times

वी.के. त्रिवेदी, ब्यूरो चीफ, लखीमपुर खीरी (यूपी), NIT:

राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के तहत 10 अगस्त से जनपद में सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम (आईडीए) शुरू हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग की टीम घर-घर पहुंचकर फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाएगी। गंभीर बीमारी फइलेरिया से सुरक्षित बनने के लिए दवा का सेवन जरूर करें। यह बातें मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संतोष गुप्ता ने कहीं। डॉ. गुप्ता स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में सेंटर फार एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) संस्था के सहयोग से सोमवार को यहाँ एक निजी होटल में आयोजित मीडिया संवेदीकरण कार्यशाला को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।डॉ. गुप्ता ने कहा – अभियान की सफलता को लेकर सीएचसी (सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र) वार आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायकों की टीम बनाई गई हैं, जो टीम 10 से 28 अगस्त के मध्य घर-घर जाकर लोगों को अपने सामने फाइलेरियारोधी दवा खिलाएंगी। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया को हाथी पांव भी कहते हैं। यह बीमारी क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होती है। यह एक लाइलाज बीमारी है और अगर किसी को हो गई तो यह ठीक नहीं होती है और व्यक्ति को आजीवन दिव्यांगता के साथ जीना पड़ता है। इस बीमारी का केवल प्रबंधन ही किया जा सकता है। इस बीमारी के लक्षण पांच से 15 साल बाद दिखाई देते हैं। इससे बचाव का एकमात्र उपाय फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन करना है। इस बीमारी से लटके हुए अंग जैसे अंडकोष, हाथ, पैर और स्तन प्रभावित होते हैं। इसके साथ ही पेशाब के साथ सफेद रंग का द्रव्य आने लगता है जिसे काईलूरिया कहते हैं।

सीएमओ ने जनपदवासियों से अपील की कि वह स्वयं तो स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के सामने फाइलेरियारोधी दवा खाएं हीं, साथ ही परिवार के सदस्यों और आस-पास के लोगों को भी यह दवा खाने के लिए प्रेरित करें क्योंकि फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी है और इससे बचने का एकमात्र उपाय समय पर फाइलेरियारोधी दवा सेवन करना है जिससे कि समय रहते फाइलेरिया के परजीवी पर नियंत्रण पाया जा सके। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि इस अभियान के दौरान जिले में तीन दवाएं (आइवरमेक्टिन, डाईइथाइल कार्बामजीन और एल्बेंडाजॉल) खिलाई जाएंगी। फाइलेरियारोधी दवा का सेवन एक वर्ष के बच्चों, गर्भवती और अति गंभीर बीमार को छोड़कर सभी को करना है। आइवरमेक्टिन ऊंचाई के अनुसार खिलाई जाएगी। एल्बेंडाजोल को चबाकर ही खानी है। एक से दो वर्ष की आयु के बच्चों को एल्बेंडाजोल की आधी गोली खिलाई जाएगी। इस मौके पर जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डा. प्रमाेद वर्मा और डब्ल्यूएचओ के डॉ. विकास सिंह ने नियमित टीकाकरण के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम में एसीएमओ डॉ. अनिल गुप्ता, डिप्टी सीएमओ डॉ. लालजी, जिला मलेरिया अधिकारी हरीशंकर, डीपीएम अनिल कुमार यादव सहित प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशल (पीसीआई) और सीफार प्रतिनिधि सहित मीडिया प्रतिनिधि मौजूद रहे। इस मौके पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने पत्रकारों के सवालों के जवाब भी दिए। मीडिया प्रतिनिधियों ने भी अभियान में पूर्ण सहयोग का भरोसा दिलाया ।

फाइलेरियारोधी दवा सेवन के दुष्प्रभाव से न घबराएं

राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी और उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. धनीराम ने बताया कि दवा का सेवन स्वास्थ्य कार्यकर्ता अपने सामने ही करवाएंगे। दवा खाली पेट नहीं खानी है। दवा खाने के बाद किसी-किसी को जी मिचलाना, चक्कर या उल्टी आना, सिर दर्द, खुजली की शिकायत हो सकती है, ऐसे में घबराने की जरूरत नहीं है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है। ऐसा शरीर में फाइलेरिया के परजीवी होने से हो सकता है, जो दवा खाने के बाद मरते हैं। ऐसी प्रतिक्रिया कुछ देर में स्वतः ठीक हो जाती है, फिर भी जरूरी समझें तो आशा कार्यकर्ता के माध्यम से रैपिड रिस्पांस टीम की मदद ले सकते हैं । उन्होंने बताया कि जिले की कुल आबादी 47.23 लाख है, इसके सापेक्ष 35.16 लाख लोगों को यह दवा खिलाने का लक्ष्य है। उन्होंने यह भी बताया कि बीते वर्ष जिले में 2056 फाइलेरिया रोगी पाए गए थे।

10 अगस्त को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस भी चलेगा
पाथ संस्था की प्रतिनिधि डॉ. आएशा आलम ने बताया कि मितौली, बिजुआ और निघासन ब्लॉक के साथ ही लखीमपुर के शहरी क्षेत्र में माइक्रो फाइलेरिया रेट (एमएफआर) एक प्रतिशत से कम होने के कारण इन क्षेत्रों में आईडीए राउंड नहीं चलाया जाएगा। इन क्षेत्रों में तीनों सीएचसी सहित शहर के बस अड्डा, रेलवे स्टेशन, महिला व पुरुष अस्पताल, में बूथ लगाकर लोगों को फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाएंगे। इसके अलावा दो टीमें कारागार, कलेक्ट्रेट, विकास भवन, एसएसबी कैंप आदि स्थलों पर जाकर लोगों को दवा खिलाने का काम कराएंगी। उन्होंने बताया कि इन क्षेत्रों में शीघ्र ही ट्रांसमिशन असेस्मेंट सर्वे (टास) यानि संचरण मूल्यांकन सर्वेक्षण कराया जाएगा। यदि टास रिपोर्ट अर्थात माइक्रो फाइलेरिया (एमएफ) रेट यदि एक प्रतिशत से अधिक हाेगा तो इन क्षेत्रों में फरवरी 2024 में घर-घर जाकर दवा खिलाने का अभियान चलाया जाएगा।


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