अबरार अहमद खान, चित्रकूट/भोपाल (मप्र), NIT:
लेखन जगत के वैश्विक पटल पर स्थापित लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यक संस्था वातायन यू.के द्वारा प्रवासी दिवस व विश्व हिंदी दिवस की पूर्व संध्या पर वातायन यू.के द्वारा आयोजित वर्चुअल संगोष्ठी – 38 वीं “ब्रिटेन में कविता की नई पौध” पर आधारित रही।
कवियत्री अंतरीपा ठाकुर मुखर्जी की कविता ‘यादों की अर्थी’, दहेज प्रथा पर केंद्रित – ‘हुई स्वाहा’। कवि अभिषेक त्रिपाठी के मुक्तक छंद ‘नई पौध की कोपल देखी – दीप की ज्योत जलाकर एवं यह जो अपनी हिंदी है। कवियत्री ॠचा जैन द्वारा रचित ‘क्योंकि किसी ने गुफाओं में चित्र उकेरे थे एवं मेरे परदादा में दादा बसते थे। कवि आशुतोष कुमार द्वारा प्रवासी की मन: स्थिति पर आधारित कविता परदेस में रहकर जब हम जड़ से कटने लगते हैं हिंदी अपनी मिट्टी से जुड़ने का हुनर देती है। कवियत्री तिथि दानी द्वारा रचित खानाबदोश के जीवन पर आधारित ‘उनका माथे पर रखना हाथ’, ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
वातायन यू.के. संस्था के डाॅ. पद्मेश गुप्त ने ब्रिटेन की धरती से लिखे जा रहे हैं साहित्य जगत की संक्षिप्त यात्रा का वर्णन किया। कार्यक्रम के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कार्यक्रम का उद्देश्य ब्रिटेन में रह रहे नई पीढ़ी के अनिवासी भारतीयों द्वारा रचित हिंदी भाषा की मुख्य धारा में रचे जा रहे काव्य, साहित्य व लेखन को भारत के साथ ही वैश्विक स्तर पर जुड़े हिंदी के पाठकों से जोड़ने का एक प्रयास है। केंद्रीय हिंदी संस्थान के उपाध्यक्ष अनिल शर्मा जोशी ने कहा कि हिंदी भारत की बिंदी है।हिन्दी भाषा ही देश दुनिया में रहने वाले भारत देश में रहने वाले और अन्य देशों में भारतीय प्रवासियों के स्थायी और सतत संपर्क का माध्यम है।
संगोष्ठी कार्यक्रम की अध्यक्षता केंद्रीय हिंदी संस्थान के उपाध्यक्ष अनिल शर्मा जोशी ने की। मुख्य अतिथि वाणी प्रकाशन के अरुण माहेश्वरी और वेविनार का संयोजन डॉ पद्मेश गुप्त ने किया।
वातायन संगोष्ठी का संचालन आशीष मिश्रा (यू.के) व आभार प्रदर्शन महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के शुभम राय त्रिपाठी ने किया। वातायन संगोष्ठी द्वारा आयोजित इस वर्चुअल संगोष्ठी में भारतीय मूल के ब्रिटिश सांसद वीरेंद्र शर्मा, बुद्धिनाथ मिश्र , वातायन संस्थापिका दिव्या माथुर, मीरा कौशिक जी की उपस्थित रहीं। वैश्विक रूप से कई देशों में रह रहे अनिवासी भारतीय साहित्यकार, लेखक व पत्रकारिता जगत से जुड़े प्रबुद्ध जनों ने सहभागिता की।
स्थानीय हिंदी प्रेमी भी शामिल हुए
इस अवसर पर महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय से शुभम राय त्रिपाठी, हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ कुसुम सिंह एवं जनसंपर्क अधिकारी जय प्रकाश शुक्ला भी सम्मिलित हुए।