वी.के.त्रिवेदी, ब्यूरो चीफ, लखीमपुर-खीरी (यूपी), NIT:
पूरे जिले में आवारा पशुओं के आतंक से कस्बों व ग्रामीणों में रोष बढ़ता जा रहा है। विशेषकर किसान वर्ग को इन पशुओं के कारण भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है। आवारा पशु उनकी खेती को बर्बाद कर रहे हैं। खेतों में दिनरात पहरा देने के बावजूद भी इन पशुओं के आतंक से छुटकारा नहीं मिल रहाहै। गन्ना, मटर, आलू, सरसों की फसलों को आवारा पशु तहस-नहस कर रहे हैं। इससे दिन-रात रखवाली करने वाले किसानों की नींद उड़ गई है। साफ़ देखा जा सकता है कि किस तरह गाय-बैल किसान की लहलहाती फसल को नुकसान पहुंचा रहे हैं। किसान जिस फसल को तैयार करने के लिए न दिन देखता है, न रात देखता है, जी-तोड़ मेहनत करता है। उसे उम्मीद रहती है कि इसी फसल से उसको पैसा मिलेगा जिससे उसके घर का खर्चा चलेगा, बच्चों की पढ़ाई की फीस जायेगी, बेटी की शादी के लिए भी पैसा जमा करेगा। लेकिन जब उसी फसल को आवारा पशु नष्ट करते हैं तो किसान परिवार पर क्या बीतती होगी इसको वो व्यक्ति तो जरूर समझ सकता है जिसके अंदर जरा सी भी संवेदना होगी। आवारा पशुओं के कहर से अन्नदाता किसान की फसल सुरक्षित रहे, इसके लिए जितनी जिम्मेदारी सरकार की है, उससे ज्यादा जिम्मेदारी आम जनता की भी है। बहुत सारे लोग गाय को तब तक रखते हैं जब तक वह दूध देती है लेकिन जैसे ही दूध देना बंद कर देती है, ये लोग उन गायों को आवारा छोड़ देते हैं। इसके बाद ये गायें किसानों की फसल को बर्बाद करती हैं। जिस गाय को हम माँ कहते हैं, उसी गाय माता के दूध देना बंद करते ही हम उन्हें किसानों की फसल को बर्बाद करने या फिर कटने के लिए छोड़ देते हैं। यूपी की योगी सरकार ने इन आवारा घूमते गोवंशों के लिए लगभग हर जिले में गौशालाएं भी बनाई हैं लेकिन इसके बाद भी आवारा पशुओं से फसलों को बचाया नहीं जा सका है। इसके जिम्मेदार वो अधिकारी हैं जिनके ऊपर इन आवारा गोवंशों को सरकार द्वारा बनाई जा रही गौशालाओं में पहुंचाने की जिम्मेदारी है। लेकिन ये अधिकारी इन गोवंशों को गौशालाओं में लेकर ही नहीं जा रहे हैं या नाममात्र के लिए ले जा रहे हैं।
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